मच्छर पर कविता, Poem on Mosquito in Hindi

Poem on Mosquito in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ मच्छर पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

मच्छर पर कविता, Poem on Mosquito in Hindi

Poem on Mosquito in Hindi

1. मच्छर पर कविता

जूजूजू कर मच्छर बोला
काटा हाय समझ के भोला
अगर पकड़ लूं मैं भी तुमको
छेड़ूँ तुमको थोड़ा थोड़ा ?

हर जगह पैदा हो जाते
जब देखो तब हमें सताते
बहुत बेसुरा गाना गाते
सोते सोते हमें जगाते

कभी कभी तो हद कर देते
बीमारी का दुःख दे देते
क्या माँ ने यह नहीं सिखाया
दुःख किसी को कभी ना देते

जल्दी से अब समझ जा मच्छर
वरना तू ही पछताएगा
गुस्से में जो पकड़ लिया तो
पिट्टी बहुत बहुत खाएगा

2. Poem on Mosquito in Hindi

घिरे अँधेरा आते मच्छर
कानों में कुछ गाते मच्छर

कितना ही हम ढक ले खुद को
पर हमला कर जाते मच्छर

खुद तो दिन भर सोते रहते
रातों हमें जगाते मच्छर

अपना ही खा जाते थप्पड़
गाल काट उड़ जाते मच्छर

ठहरे पानी वाले घर में
लेकर डेंगू आते मच्छर

हवा धूप, हो खूब सफाई
वरना सुई लगाते मच्छर

सुमन सरीखे बच्चों का भी
खून चूस मुटियाते मच्छर

3. र्दी की धूप में, गर्मी की छाँव में

र्दी की धूप में, गर्मी की छाँव में
शहर की भीड़ में, शांत सुखद गाँव में
कूड़े के ढेर में, पानी के गंदे संग्रह में
मैं मच्छर मिल जाता हूँ हर राह में
कभी मैं डेंगू फैलाऊँ
या मलेरिया मैं ले आऊँ
चिकनकुनिया हो या हो ज़ीका
बीमारी फ़ैलाने का मेरे पास तरीका
यदि रहना है मुझसे दूर
तो पहले रखो गंदे जल को दूर
घर में हो ओडोमॉस आल आउट का वास
लगा दो खूब सारे नीम के वृक्ष आस-पास
देर रात निकलो जो बाहर तो पहनो पूरे कपड़े
यह सब सावधानी से हम किसी को न जकड़ें

-अनुष्का सूरी

4. आ गई गर्मी, पाधारो मच्छर जी

आ गई गर्मी, पाधारो मच्छर जी।
हो पधारो मच्छर जी, आरती उतारो जी।।

तुम राजमहल में, तुम ही भिखारी के घर में।

धरती पे तेरा राज है, हौसला है अम्बर में।।

संसार तुम्हारा एक है, हो हमारे मच्छर जी।

तुम दुनियाँ में भी दो दिन, हमारे साथ तो गुजारो मच्छर जी।।

क्या तुमको भेंट चढ़ाये, पसीना तन है, घर सुना है।

पी लो खून के दो आँसु, समझ लेना पानी का नमूना है।।

तुम हर नयन में हो, मन ही मन में डर तेरा।

तुम ही रक्तचूसक हो, कंठ-कंठ में जाप तेरा।।

आ गई गर्मी पाधारो मच्छर जी।

हो पधारो मच्छर जी, आरती उतारो जी।।

5. इन्सानी खून चूसते ये मच्छर

इन्सानी खून चूसते ये मच्छर
रातों की सुहानी नींद
छीनते ये मच्छर
मलेरिया, डायेरिया और डेंगू जैसी
महामारी फैलाते ये मच्छर
इन्सान को भी मच्छर
बना देते हैं ये मच्छर।

कछुआ, जेट, मोरटिन, फास्ट कार्ड और गुड नाईट
के जहर से भी
नहीं डर भागते ये मच्छर
पिटते नहीं थे जो कभी
अखाड़ों में
अपने ही हाथों से अपनी
पिटाई करवा देते हैं ये मच्छर
मजबूर कर देते हैं ये इतना
हाय कहां से आये
ना जानें ये मच्छर
हाथी, शेर, बदमाश हो तो
टक्कर भी ले उससे
हैं छोटे मगर बडे़ शैतान
होते हैं ये मच्छर !
यूं तो हर मुकाबला ही
जीता है हमनें ‘सागर’
रात की गहमा-गहमी में
हरा देते हैं ये मच्छर
डर लगता है इनसे
उठा लो इनको हे ईश्वर !
जीना सोना, खाना
सब हराम कर देते हैं ये मच्छर !

– डाँ. नरेश कुमार ‘सागर’

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