उदासी शायरी, Emotional Udas Shayari in Hindi

Udas Shayari – दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपके लिए कुछ उदासी शायरी इन हिंदी का संग्रह दिया गया हैं. आइए इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की आपको यह सभी Emotional Udas Shayari in Hindi में पसंद आयगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

उदासी शायरी, Emotional Udas Shayari in Hindi

Emotional Udas Shayari in Hindi

(1) उदासी पत-झड़ों की शाम ओढ़े रास्ता तकती
पहाड़ी पर हज़ारों साल की कोई इमारत सी
– बशीर बद्र

(2) न जाने किस लिए उम्मीद-वार बैठा हूँ
इक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं
– फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

(3) इस डूबते सूरज से तो उम्मीद ही क्या थी
हँस हँस के सितारों ने भी दिल तोड़ दिया है
– महेश चंद्र नक़्श

(4) दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
– अल्लामा इक़बाल

(5) वो कह रहे थे कि शाइर ग़ज़ब का है ‘इरफ़ान’
हर एक शेर में क्या ग़म है क्या उदासी है
– इरफ़ान सत्तार

(6) तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
– साहिर लुधियानवी

(7) हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
– साहिर लुधियानवी

(8) ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला
– बशीर बद्र

(9) अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे।
– शकील बदायूंनी

(10) उदास शाम की यादों भरी सुलगती हवा
हमें फिर आज पुराने दयार ले आई।
-राजेंद्र मनचंदा बानी

उदासी शायरी इन हिंदी

(11) एक बे-नाम उदासी से भरा बैठा हूं
आज दिल खोल के रोने की ज़रूरत है मुझे।
-अंजुम सलीमी

(12) वो बात सोच के मैं जिस को मुद्दतों जीता
बिछड़ते वक़्त बताने की क्या ज़रूरत थी
शारिक़ कैफ़ी

(13) दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जाएँगे ऐसा लगता है
क़ैसर-उल जाफ़री

(14) उस ने पूछा था क्या हाल है
और मैं सोचता रह गया
अजमल सिराज

(15) मुझ से बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्र भर
ये सोच ले कि मैं भी तिरी ख़्वाहिशों में हूँ
अहमद फ़राज़

(16) हमारे घर की दीवारों पे ‘नासिर’
उदासी बाल खोले सो रही है
नासिर काज़मी

(17) रात आ कर गुज़र भी जाती है
इक हमारी सहर नहीं होती
इब्न-ए-इंशा

(18) हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल
उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती
वसीम बरेलवी

(19) मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ें
ये लीजे आप का घर आ गया है हात छोड़ें
जावेद सबा

(20) तुम क्या जानो अपने आप से कितना मैं शर्मिंदा हूँ
छूट गया है साथ तुम्हारा और अभी तक ज़िंदा हूँ
साग़र आज़मी

उदासी शायरी दो लाइन

(21) चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया
इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया
परवीन शाकिर

(22) किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में
मिरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं
अख़्तर सईद ख़ान

(23) हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं
दिल हमेशा उदास रहता है
बशीर बद्र

(24) अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को
मैं ने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं
आसी उल्दनी

(25) अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
शकील बदायूनी

(26) तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो
बशीर बद्र

(27) कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
साहिर लुधियानवी

(28) मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए
कृष्ण बिहारी नूर

(29) तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
साहिर लुधियानवी

(30) अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
उबैदुल्लाह अलीम

उदासी शायरी

(31) कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

(32) ज़मीन-ए-दिल पे मोहब्बत की आब-यारी को
बहुत ही टूट के बरसी घटा उदासी की
शाहिदा मजीद

(33) शाम-ए-हिज्राँ भी इक क़यामत थी
आप आए तो मुझ को याद आया
महेश चंद्र नक़्श

(34) किसी ने फिर से लगाई सदा उदासी की
पलट के आने लगी है फ़ज़ा उदासी की
शाहिदा मजीद

(35) दर्द-ए-दिल क्या बयाँ करूँ ‘रश्की’
उस को कब ए’तिबार आता है
मोहम्मद अली ख़ाँ रश्की

(36) देखते हैं बे-नियाज़ाना गुज़र सकते नहीं
कितने जीते इस लिए होंगे कि मर सकते नहीं
महबूब ख़िज़ां

(37) दिन किसी तरह से कट जाएगा सड़कों पे ‘शफ़क़’
शाम फिर आएगी हम शाम से घबराएँगे
फ़ारूक़ शफ़क़

(38) आस क्या अब तो उमीद-ए-नाउमीदी भी नहीं
कौन दे मुझ को तसल्ली कौन बहलाए मुझे
मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम

(39) तुम मिटा सकते नहीं दिल से मिरा नाम कभी
फिर किताबों से मिटाने की ज़रूरत क्या है
अज्ञात

(40) अब तो कुछ भी याद नहीं है
हम ने तुम को चाहा होगा
मज़हर इमाम

Emotional Udas Shayari in Hindi

(41) वैसे तो सभी ने मुझे बदनाम किया है
तू भी कोई इल्ज़ाम लगाने के लिए आ
अज्ञात

(42) सब सितारे दिलासा देते हैं
चाँद रातों को चीख़ता है बहुत
आलोक मिश्रा

(43) इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे
किसी मा’ज़ूर को देखोगे तो याद आऊँगा
वसी शाह

(44) ये ज़िंदगी जो पुकारे तो शक सा होता है
कहीं अभी तो मुझे ख़ुद-कुशी नहीं करनी
स्वप्निल तिवारी

(45) उठते नहीं हैं अब तो दुआ के लिए भी हाथ
किस दर्जा ना-उमीद हैं परवरदिगार से
अख़्तर शीरानी

(46) सुपुर्द कर के उसे चाँदनी के हाथों में
मैं अपने घर के अँधेरों को लौट आऊँगी
परवीन शाकिर

(47) ये और बात कि चाहत के ज़ख़्म गहरे हैं
तुझे भुलाने की कोशिश तो वर्ना की है बहुत
महमूद शाम

(48) इस डूबते सूरज से तो उम्मीद ही क्या थी
हँस हँस के सितारों ने भी दिल तोड़ दिया है
महेश चंद्र नक़्श

(49) मायूसी-ए-मआल-ए-मोहब्बत न पूछिए
अपनों से पेश आए हैं बेगानगी से हम
साहिर लुधियानवी

(50) ज़ख़्म ही तेरा मुक़द्दर हैं दिल तुझ को कौन सँभालेगा
ऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना
ज़ेब ग़ौरी

(51) ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा
वगर्ना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता
गुलज़ार

(52) कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता
वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जाएँ जिधर जाएँ
साहिर लुधियानवी

(53) उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के शिकवे अब कहाँ
अब तो ये बातें भी ऐ दिल हो गईं आई गई
साहिर लुधियानवी

(54) आज तो जैसे दिन के साथ दिल भी ग़ुरूब हो गया
शाम की चाय भी गई मौत के डर के साथ साथ
इदरीस बाबर

(55) मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करे
कब मैं कहता हूँ मुझे प्यार ही करता जाए
इफ़्तिख़ार नसीम

(56) रोने लगता हूँ मोहब्बत में तो कहता है कोई
क्या तिरे अश्कों से ये जंगल हरा हो जाएगा
अहमद मुश्ताक़

(57) वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले
मगर अपने अपने मक़ाम पर कभी तुम नहीं कभी हम नहीं
शकील बदायूनी

(58) इश्क़ में कौन बता सकता है
किस ने किस से सच बोला है
अहमद मुश्ताक़

(59) दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जाएँगे ऐसा लगता है
क़ैसर-उल जाफ़री

(60) ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास
सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए
ख़ुमार बाराबंकवी

(61) उस ने पूछा था क्या हाल है
और मैं सोचता रह गया
अजमल सिराज

(62) हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल
ऐ ज़िंदगी वगर्ना ज़माने में क्या न था
आज़ाद अंसारी

(63) चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
साहिर लुधियानवी

(64) मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं
फिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं
फ़रहत एहसास

(65) कोई ख़ुद-कुशी की तरफ़ चल दिया
उदासी की मेहनत ठिकाने लगी
आदिल मंसूरी

(66) जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का ‘शकील’
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया
शकील बदायूनी

(67) हमारे घर की दीवारों पे ‘नासिर’
उदासी बाल खोले सो रही है
नासिर काज़मी

(68) अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब
अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं
साहिर लुधियानवी

(69) हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल
उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती
वसीम बरेलवी

(70) हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत
देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम
साहिर लुधियानवी

(71) जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए
तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया
नासिर काज़मी

(72) कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
परवीन शाकिर

(73) न जाने किस लिए उम्मीद-वार बैठा हूँ
इक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

(74) किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में
मिरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं
अख़्तर सईद ख़ान

(75) कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
साहिर लुधियानवी

(76) हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं
दिल हमेशा उदास रहता है
बशीर बद्र

(77) अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
शकील बदायूनी

(78) शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं
फ़िराक़ गोरखपुरी

(79) मैं हूँ दिल है तन्हाई है
तुम भी होते अच्छा होता
फ़िराक़ गोरखपुरी

(80) कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
साहिर लुधियानवी

(81) दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
अल्लामा इक़बाल

(82) ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला
बशीर बद्र

(83) तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
साहिर लुधियानवी

(84) हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
साहिर लुधियानवी

(85) ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
शकील बदायूनी

(86) कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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