बादल पर कविता, Poem about Clouds in Hindi, Poem on Clouds in Hindi

Poem on Clouds in Hindi – इस पोस्ट में दोस्तों आपको कुछ बेहतरीन बादल पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. यह Poem about Clouds in Hindi कविता को हमारे लोकप्रिय कवियों दुवारा लिखी गई हैं. मेघा, काले बादल पर आधारित हमारे हिन्दी के कवियों ने अनेकों कविताएँ लिखी हैं. स्कूलों में भी हमारे कक्षाओं की पुस्तकों में बादलों पर आधारित कविता पढने को मील जाते हैं.

बादल को बारिश आने का संदेश देने वाला माना जाता हैं. जब आसमान में बादल छा जाते हैं. तब मौसम काफी खुशनुमा हो जाता हैं. इस पल को हिंदी काव्य में काफी प्रमुखता दी गई हैं.

पृथ्वी पर बादलों के बिना जीवन असंभव हैं. प्रकृतिक के सभी घटक एक दुसरे से आपस में जुड़े हुए हैं. बादल से बारिश जल होता हैं. उस जल से धरती पर वनस्पति उत्पन्न होता हैं. और उन वनस्पति से धरती के सभी प्राणियों का जीवन संचालन होता हैं.

अब आइए कुछ निचे Poem about Clouds in Hindi में दिया गया हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह Poem on Clouds in Hindi में आपको पसंद आयगी. इस बादल पर कविता को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

बादल पर कुछ कवितायेँ, Poem about Clouds in Hindi, Poem on Clouds in Hindi

Poem About Clouds in Hindi

1. Poem about Clouds in Hindi – आज मुझसे बोल, बादल!

आज मुझसे बोल, बादल!

तम भरा तू, तम भरा मैं,
ग़म भरा तू, ग़म भरा मैं,
आज तू अपने हृदय से हृदय मेरा तोल, बादल
आज मुझसे बोल, बादल!

आग तुझमें, आग मुझमें,
राग तुझमें, राग मुझमें,
आ मिलें हम आज अपने द्वार उर के खोल, बादल
आज मुझसे बोल, बादल!

भेद यह मत देख दो पल-
क्षार जल मैं, तू मधुर जल,
व्यर्थ मेरे अश्रु, तेरी बूंद है अनमोल, बादल
आज मुझसे बोल, बादल!

हरिवंशराय बच्चन

2. Poem on Clouds in Hindi – झूम-झूम मृदु गरज-गरज घन घोर

झूम-झूम मृदु गरज-गरज घन घोर
राग अमर ! अम्बर में भर निज रोर!

झर झर झर निर्झर-गिरि-सर में,
घर, मरु, तरु-मर्मर, सागर में,
सरित-तड़ित-गति-चकित पवन में,
मन में, विजन-गहन-कानन में,
आनन-आनन में, रव घोर-कठोर-
राग अमर ! अम्बर में भर निज रोर !

अरे वर्ष के हर्ष !
बरस तू बरस-बरस रसधार !
पार ले चल तू मुझको,
बहा, दिखा मुझको भी निज
गर्जन-भैरव-संसार !

उथल-पुथल कर हृदय-
मचा हलचल-
चल रे चल-
मेरे पागल बादल !

धँसता दलदल
हँसता है नद खल्-खल्
बहता, कहता कुलकुल कलकल कलकल।

देख-देख नाचता हृदय
बहने को महा विकल-बेकल,
इस मरोर से- इसी शोर से-
सघन घोर गुरु गहन रोर से
मुझे गगन का दिखा सघन वह छोर!
राग अमर! अम्बर में भर निज रोर!

सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

3. बादल पर कविता – देखो काले काले मेघा आएं

देखो काले काले मेघा आएं ।
गगन पर ये जमकर छाये ।।
गरज गरजकर ,ये तड़ित कड़काते ।
साथ अपने ये अपने बरखा भी लाते ।।

देखो काले काले मेघा आएं ।
तपन को ये दूर भगाए ।।
वातावरण को भी खुशहाल ।
धरती पर हरियाली फैलाये ।।

देखो काले काले मेघा आएं ।
अनुपजाऊ को भी उपजाऊ बनाते ।।
कही – कही पर ये त्रासदी भी लाते ।
मगर अनावृष्टि को दूर भगाते ।।

देखो काले काले मेघा आएं ।
कुदरत को भी ये भाये ।।
इस धरा को भी नहलाये ।
देखो काले काले मेघा आएं ।

4. Clouds Poem in Hindi – मैं बादल हूँ

मैं बादल हूँ, मैं बादल हूँ, मुझे बड़ा अभिमान है.
मैं बादल हूँ, मैं बादल हूँ मेरे बड़े अहसान है।
मैं न बरसूं मैं न ग़रजू, तो पानी को तरस जाओ,
मैं न बरसूं मैं न ग़रजू, तो तुम अन कहा से लाओ।
नीले नीले आसमान को काले काले घेरों से ढक लेता हूँ,
सड़के, गलियें, चौपालों पर खूब धूम मचा देता हूँ।
यही मेरी शान है, यही मेरी आन है, मुझे बड़ा अभिमान है,
मैं बादल हूँ, मैं बादल हूँ, मुझे बड़ा अभिमान है।
मैं जब बरसूं मैं जब ग्रजूँ, तभी तो हरयाली छाये,
मैं जब बरसूं मैं जब ग्रजूँ, तभी तो खेत लहरायें।
ऊंचे ऊंचे पर्वतो से जब भी मैं टकराता हूँ,
सबके मन को भाता हूँ।
झीलें नदियां तालाबो को सूखे से बचाता हूँ,
सब के मन को भाता हूँ।
मैं बादल हूँ, मैं बादल हूँ, मुझे बड़ा अभिमान हैं।
मैं बादल हूँ, मैं बादल हूँ, मेरे बड़े अहसान हैं।

5. Clouds Poems in Hindi – सूरज भी जब छुप जाता है

सूरज भी जब छुप जाता है आसमान में,
घने बादलों का डेरा सा लग जाता है।
बादलों की धमाचौकड़ी जब मचती है ,
तो आकाश खेल का मैदान बन जाता है।
काले, भूरे, सफेद, चमकीले बादल,
अठखेलियां सी करते दिखते हैं।
लगता है जैसे कोई छीटे शरारती बच्चे।,
मिलकर वहां उपर लूकन छुपी खेलते हैं।
मानसून में यहीं बदल गंभीर हो जाते हैं,
वर्ष करने के अपने काम में जुट जाते हैं
गर्मी की जलती -तपती धूप, लू से
यहीं बदल हमें राहत पहुंचाते हैं।
ओम प्रकाश बजाज

बादल पर कविता

6. Poem about Clouds in Hindi – खुशियाँ लाए बादल

आसमान पर छाए बादल
बारिश लेकर आए बादल
गड़-गड़, गड़-गड़ की धुन में
ढोल-नगाड़े बजाए बादल
बिजली चमके चम-चम, चम-चम
छम-छम नाच दिखाए बादल
चले हवाएँ सन-सन, सन-सन
मधुर गीत सुनाए बादल
बूँदें टपके टप-टप, टप-टप
झमाझम जल बरसाए बाद ल
झरने बोले कल-कल, कल-कल
इनमें बहते जाए बादल
चेहरे लगे हँसने-मुसकाने इतनी खुशियाँ लाए बादल

ओमप्रकाश चोरमा ‘किलोलीवाला’

7. Cloud Poem in Hindi – बादल कैसे गरज रहे हैं।

काले काले बादल आये, घनघोर घटा ये कैसी छाये।
बिजली कैसी चमक रही, बादल कैसे गरज रहे हैं।
बादल गरजा गर गर, मेंढक बोला टर टर।
पानी बरसा छम छम, छाता लेके निकले हम।
पांव फिसला गिर गए हम, नीचे छाता ऊपर हम।
काले काले बादल आये, घनघोर घटा ये कैसी छाये।
बिजली कैसी चमक रही, बादल कैसे गरज रहे हैं।
गर गर बादल आया, छम छम जल बरसाया।
खलिहान, सड़के, गलियां बागों में खिली हुई हैं कलियाँ।
बागों में मोर शोर मचाये, हम सबके मन को कितना भाये।
काले काले बादल आये, घनघोर घटा ये कैसी छाये।
बिजली कैसी चमक रही है, बादल कैसे गरज रहे हैं।

8. Poems about Clouds in Hindi – देखो काले बादल आये।

देखो काले बादल आये ।
आसमां पर ये हैं जमकर छाये ।।
गरजकर, ये बिजली कड़काते ।
संग अपने ये अपने वर्षा भी लाते ।।
देखो काले बादल आये ।
धरती की गर्मी को ये दूर भगाए ।।
सारे मौसम को भी खुशहाल ।
खेतों में हरियाली फैलायें ।।
देखो काले बादल आये ।
बंजर धरती को भी उपजाऊ बनाते ।।
कहीं – कहीं पर ये बाढ़ भी लाते ।
परन्तु अकाल को दूर भगाते ।।
देखो काले बादल आये ।
प्रकृति को भी ये भाये ।।
इस धरती को भी नहलाये ।
देखो काले बादल आये ।।

9. Poem on Clouds in Hindi – कितनी खुशियां लाते हैं बादल।

जब गरज गरज के आते बादल,
तब कितनी खुशियां लाते बादल,
जब उमड़ घुमड़ के आते बादल,
तब कितनी खुशियां लाते बादल,
जब काले भूरे आते है बादल,
तब हमको कितना डराते बादल,
जब रिम झिम रिम झिम पानी बरसाते बादल,
तब हम सबके दिल को कितना हैं भाते बादल,
फसलो की जैसे जान हैं बादल,
अन्न के लिए जैसे वरदान है बादल,
लेकिन हद से आगे बढ़ जाये बादल,
तब न जाने कितनी प्रलय है लाये बादल,
जब गरज गरज के आते हैं बादल,
तब कितनी खुशियां लाते हैं बादल।

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