दोस्ती पर कविता, Poem on Friendship in Hindi

Poem on Friendship in Hindi – इस पोस्ट में आपको कुछ बेहतरीन Hindi Poem on Dosti का संग्रह दिया गया हैं. यह दोस्ती पर कविता हमारे हिंदी के लोकप्रिय कवियों द्वारा लिखी गई हैं.

जब हम इस दुनिया में आते हैं तो यहाँ पर कुछ रिश्ते पहले से ही बने बनाये होते हैं. जैसे – माता – पिता, भाई – बहन, चाचा – मामा इत्यादि. लेकिन जो दोस्ती का रिश्ता होता हैं वह खुद का हमारे दुवारा बनाया जाता हैं. इस रिश्ते का हमारे जीवन में काफी महत्व होता हैं. यह बहुत ही अनमोल रिश्ता होता हैं.

दोस्ती एक ऐसा रिश्ता होता हैं. जिसमे हम अपने दोस्त को अपनी सभी बाते आसानी से बता देते हैं. जो बात हम अपनी माता – पिता, भाई – बहन को भी नहीं शेयर करते वह अपने दोस्त के साथ शेयर कर देते हैं.

अभी के समय में एक अच्छा दोस्त होना सभी के नसीब में नहीं होता हैं. एक अच्छा दोस्त वह होता हैं. आप जब बुरे समय से गुजर रहें हो तो आपका वह साथ दें. आपको सही रास्ता दिखाए. आपकी समस्याओं को दूर करने के लिए कोशिश करें. वह भी निस्वार्थ भाव से.

आइये अब नीचे कुछ Poem on Friendship in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Hindi Poem on Dosti पर आपको पसंद आयगी. इस दोस्ती पर कविता को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

दोस्ती पर कविता, Poem on Friendship in Hindi, Hindi Poem on Dosti

Hindi Poem on Dosti

1. Poem on Friendship in Hindi – मैं यादों का पिटारा खोलू तो

मैं यादों का पिटारा खोलू तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।

मैं गांव की गलियों से गुजरू
पेड़ की छांव में बैठू तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।

वो हंसते मुस्कुराते दोस्त
ना जाने किस शहर में गुम हो गए,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।

कोई मैं में उलझा है तो कोई तू उलझा है
नहीं सुलझ रही है अब इस जीवन की गुत्थी,
अब दोस्त बहुत याद आते है।

जब मैं मनाता हूं कोई त्यौहार
तो हंसते गाते दोस्त नजर आते है,
लेकिन अब तो होली, दिवाली भी मिलना नहीं होता।

कोई पैसा कमाने में व्यस्त है
तो कोई परिवार चलाने में व्यस्त है
याद करता हूं पुराने दिन तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।

डॉ हरिवंश राय बच्चन

2. Hindi Poem on Dosti – मैं यादों की किताब खोलू तो

मैं यादों की किताब खोलू तो
कुछ हंसते गाते चेहरे नजर आते है,
गौर से देखा तो कुछ दोस्त पुराने याद आते है।

कुछ शहरों के गुलाम हो गए
तो कुछ सपनों के गुलाम हो गए।

यादें और गहरी हुई तो
गुलाल में रंगे कुछ चेहरे याद आते है,
गौर से देखा तो कुछ दोस्त पुराने याद आते है।

धूल को उड़ते और
बारिश की बूंदों को टपकते देखा तो,
कुछ दोस्त पुराने याद आते है।

यादों की किताब के कुछ पन्ने पलटे तो
खट्टे-मीठे बेर और स्कूल के दिन याद आ गए ,
कुछ दोस्त पुराने याद आते है।

नरेंद्र वर्मा

3. दोस्ती पर कविता – मैं ना जानू दोस्त तेरे दूर हो जाने के बाद

मैं ना जानू दोस्त तेरे दूर हो जाने के बाद,
यह जिंदगी कैसे जंग बन गई है।

मैं ना जानू दोस्त तेरे जाने के बाद,
यह गांव की गलियां कैसे सुनी हो गई है।

मैंने जानू दोस्त तेरे जाने के बाद,
वो खेल का मैदान अब सुना लगता है।

मैं ना जानू दोस्त तेरे जाने के बाद,
कैसे फूल जैसी जिंदगी पत्थर बन गई है।

खुद को मनाने की कोशिश करता हूं बहुत,
लेकिन क्या करूं दिल है कि मानता ही नहीं।

मैं ना जानू दोस्त तेरी दूर हो जाने के बाद,
मेरे चेहरे की हंसी कहां गुम हो गई।

मैं ना जानू दोस्त तेरे जाने के बाद,
बाजारों की रौनक भी फीकी लगती है।

तू कब आएगा मेरे भाई मेरे दोस्त,
तेरे को हर दिन गले लगाने का मन करता है।

नरेंद्र वर्मा

4. Best Poem on Friendship in Hindi – वो दोस्त ना जाने कहां गुम हो गया

वो दोस्त ना जाने कहां गुम हो गया
बचपन में जो मेरे संग खेला करता था,
जो बारिश में मेरे संग भीगा करता था।

ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जब मेरे संग गांव की गलियों में खूब खेला करता था,
जिसके संग जिंदगी जिया करते थे।

ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसको सब कुछ बता दिया करता था,
जिसके संग खूब हंसी ठिठोली किया करता था।

ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसके संग स्कूल जाया करता था,
जिसके संग खाना बांटा करता था।

ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसके संग गोलगप्पे खाया करता था,
जिसके संग मेला देखने जाया करता था।

ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसके संग बाजारों में घूमा करता था,
जिसके संग फिल्में देखा करता था।

ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसकी एक आवाज पर दिल झूम उठता था,
जिसके संग हर पल खुश रहता था।

ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जो दोस्ती निभाने का वादा करता था,
जो दोस्त नहीं भाई बोला करता था।

नरेंद्र वर्मा

5. Poem for Best Friend in Hindi – दोस्ती है अनमोल रत्न

दोस्ती है अनमोल रत्न;

नहीं तोल सकता जिसे कोई धन,

सच्ची दोस्ती जिसके पास है;

उसके पास दौलत की भरमार है,

न ही जीत न ही कोई हार है,

दोस्त के दिल में तो बस प्यार ही प्यार है।।

भटके जब भी दोस्त संसार के मोहजाल में,

खींच लाता है सच्चा दोस्त उसे अच्छाई के प्रकाश में,

छोड़ देता है जग सारा जब मुश्किल भरी राह में,

सच्चा दोस्त साथ देता है तब जिंदगी की राह में।।

बने चाहे दुश्मन क्यों न जमाना सारा,

सच्चा दोस्त साथ देता है सदा हमारा,

दोस्त के लिए कुर्बान होता है जीवन सारा,

हर मुश्किल में बनता है वो सहारा।।

सच्ची दोस्ती को वक्त परखता हर बार है,

वक्त की हर परीक्षा से हसते हुए पास करना ही दोस्ती की पहचान है,

दुनिया की किसी शौहरत की न जिसे दरकार है,

सच्चा दोस्त रखने वाला संसार में सबसे धनवान है।।

वन्दना शर्मा।

Poem on Friendship in Hindi

6. Dosti Poem in Hindi – हर सुख दुःख में, साथ साथ जीया करते थे

हर सुख दुःख में, साथ साथ जीया करते थे।
हार हो या जीत एक दुसरे का हमेशा साथ दिया करते थे।
कभी हम तुमसे कभी तुम हमसे रूठ जाया करते थे।
फिर हम तुम्हे और कभी तुम हमें मना लिया करते थे।
एक दूसरे की खुद से ज्यादा परवाह किया करते थे।
ये बात बस कल की ही लगती है।
हम तुम अपनी दोस्ती पर कितना इतराया करते थे।

यकीन नहीं होता समय के साथ हालात इतने बदल जायेंगे।
हम अपनी अपनी दुनिया में इस कदर खो जायेंगे।
एक दूसरे की जिंदगी में बस एक याद बनकर रह जायेंगे।
हम ना तुमसे, ना जिंदगी से कोई शिकायत करेंगे।
बस इस यकीन को हमेशा दिल में कायम रखेंगे।
जब भी दिल से पुकारेंगे, तुम्हें अपने पास पाएंगे।

7. Poem on Friendship in Hindi – आज रूठा हुवा इक दोस्त बहुत याद आया

आज रूठा हुवा इक दोस्त बहुत याद आया
अच्छा गुज़रा हुवा कुछ वक़्त बहुत याद आया.

मेरी आँखों के हर इक अश्क पे रोने वाला
आज जब आँख यह रोई तू बहुत याद आया .

जो मेरे दर्द को सीने में छुपा लेता था
आज जब दर्द हुवा मुझ को बहुत याद आया .

जो मेरी आँख में काजल की तारा रहता था
आज काजल जो लगाया तू बहुत याद आया .

जो मेरे दिल के था क़रीब फ़क़त उस को ही
आज जब दिल ने बुलाया तू बहुत याद आया

8. Hindi Poem on Dosti – सुख-दुख के अफसाने का

सुख-दुख के अफसाने का
ये राज है सदा मुस्कुराने का
ये पल दो पल की रिश्तेदारी नहीं
ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का
जिन्दगी में आकर कभी ना वापस जाने का
ना जानें क्यों एक अजीब सी डोर में बन्ध जाने का
इसमें होती नहीं हैं शर्तें
ये तो नाम है खुद एक शर्त में बन्ध जाने का

ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का
दोस्ती दर्द नहीं रोने रुलाने का
ये तो अरमान है एक खुशी के आशियाने का
इसे काँटा ना समझना कोई
ये तो फूल है जिन्दगी की राहों को महकाने का
ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का
दोस्ती नाम है दोस्तों में खुशियाँ बिखेर जाने का

आँखों के आँसूओं को नूर में बदल जाने का
ये तो अपनी ही तकदीर में लिखी होती है
धीरे-धीरे खुद अफसाना बन जाती है जमाने का

ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का
दोस्ती नाम है कुछ खोकर भी सब कुछ पाने का
खुद रोकर भी अपने दोस्त को हँसाने का
इसमें प्यार भी है और तकरार भी

दोस्ती तो नाम है उस तकरार में भी अपने यार को मनाने का
ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का

9. दोस्ती पर कविता – दोस्त वो है जो थाम के रखता है हाथ

दोस्त वो है जो थाम के रखता है हाथ
परवाह नहीं उसको कौन है तुम्हारे साथ

उसकी आखों में चमक दिखती है
जब होता है तुम्हारे साथ

गुजर जाता है वक़्त मिनटों में
जब करते हैं उससे बात

दोस्त वो हैं जो सामने आ जाये गर
खुद बयाँ हो जाते हैं दिल के हालत

कुछ सोचना नहीं पड़ता
जब होती है उससे बात

दोस्त वो है जो बिन कहे समझ लेता है हर बात
बस हम छिपा नहीं सकते उससे कोई भी राज

कर देता है हैरान तब और भी
जब मरहलों में बन जाता है ढाल
अपने सारे दर्द ग़म भुला कर
साथ हँसता है सारी रात

उसे कुछ भी नहीं चाहिए तुमसे बस
कुछ पल तुम्हारे साथ का है वह मोहताज़

दोस्त वो है जिससे दोस्ती निभानी नहीं पड़ती
जिसे कोई भी बात समझानी नहीं पड़ती

रूठ भी जाए तो भी नहीं करता नज़रन्दाज़
इसलिए ये रिश्ता होता है हर रिश्ते से ख़ास

कभी वो माँ की तरह समझाता है
तो कभी पिता की तरह डांटता है

कभी- कभी बहन बन कर सताता है
तो कभी भाई की तरह रुलाता है

कभी एक आफ़ताब बन होंसला बढ़ाता है
हमें ग़म और खुशियों से परे ले जाता है

जिसके पास है ऐसा दोस्त
वही मुकम्मल है इस जहाँ में
वही है हयात का सरताज

10. Best Poem on Friendship in Hindi – एक दिन जिंदगी ऐसे मुकाम पर पहुँच जाएँगी

एक दिन जिंदगी ऐसे मुकाम पर पहुँच जाएँगी
दोस्ती तो सिर्फ़ यादों में ही रह जाएँगी

हर बात दोस्तों की याद दिलायेंगी
और हँसते हँसते फिर आँख नम हो जाएँगी

ऑफिस के रूम में क्लासरूम नज़र आएँगी
पैसे तो बहोत होगा
लेकिन खर्चा करने के लम्हें कम हो जायेंगें

जी लेंगे खुल के इस पल को मेरे दोस्त
क्यूँ के जिंदगी इस पल को फिर से नहीँ दोहराएँगी

11. दूध़ पानी ज़ैसा यारा अपना दोस्ताऩा

दूध़ पानी ज़ैसा यारा अपना दोस्ताऩा।
देक़र जोर से धक्क़ा काम हैं उठाना।।

उठ़ना गिरना चलना दोस्ती क़े संग़।
रुलाक़र बिखेरेगे अप्रैंल फूल के रंग़।।

रंगो से सराब़ोर होता अपना मेल मिलाप़।
नईं जिल्द मे लिपटें पुरानी यादो की किताब़।।

किताब क़ा हर पन्ऩा मौज़ मस्ती की कहें कहानी।
लिख़ा क़िस चेहरें को देख़ तेरे मुह मे था पानीं।।

पानीं ज़िस ग़म से आए वह ग़म भी हमे ब़ताना।
काम होग़ा हमारा तुरन्त उसे हरिद्वार पहुचाना।।

पहुच कही ना पाओं तो बेझिझक़ मागना साथ।
बैलगाडी, साईकिल जो भी हो लाएगे हाथो हाथ।।

हाथ तुम्हारें कालें क़र गईं यदि कोईं दलाली।
गवाहीं हम देगें यह तो इसकीं GF क़ी लाली।।

लालीं क़रदे ब्रेकअप तो ना होना तुम उदास़।
शादी क़रवाके तुम्हारीं बनाएगें बीवीं का दास।।

दास होना शर्मं की नही सम्मान क़ी बात समझ़ना।
था ख्वाब़ हमारा कभीं तुम्हे इंटेलीजेट मे ब़दलना।।

ब़दलना नही रंग़ अपना तुम ब़नके भीगी बिल्ली।
याद रख़ना ताली ब़जाके उड़ाएगें हम ख़िल्ली।।

ख़िल्ली खिलखिलाहट संग काटेगे तेरा ब़र्थ केक।
खुशी देख़ तितलियां मक्खिया भी देगी तुझें डेट।।

डेट ओफ़ मैरिज पें मोमब़त्ती की जग़ह रखेगे पटाख़ा।
वाईफ संग क़ाटना तुम केक़, हम जलाकें करेंगे धमाक़ा।।

धमाका हैं दोस्ती, दोस्ती हैं दिवाली।
रंगो से भरी शैंतानी, दिये से भोलींभाली।।
Lokesh Indoura

12. पूछों नही मेरें दोस्त कैंसे हैं

पूछों नही मेरें दोस्त कैंसे हैं
वो बिलक़ुल बन्दरों जैंसे हैं
कोईं पतला हैं कोई मोटा
कोईं लम्बा हैं कोईं छोटा
पूछों नही मेरें दोस्त कैंसे हैं
वो ब़िलकुल बन्दरों जैसे हैं
ज़ब भी घर में आते उर्दंग मचा ज़ाते
हलागुला क़रके पूरें मोहल्लें को हिला ज़ाते
ज़ब भी जाए हम सादी में
वो अलग़ ही पहचानें जाते
ख़ाना पेट भर ख़ाकर
वो रात भर डीज़े मे उछलतें कूदतें
पूछों नही मेरें दोस्त कैंसे हैं
वो बिलक़ुल बन्दरों जैसे हैं
लड़ाई हो जाए मेरी कभीं
तो वो सब़ पहुच ज़ाते हैं
ओर नाम ब़ता हमे उसका
करकें पीछें पड जाते हैं
नाम ब़ताऊ दुश्मन क़ा तो
वो वहां चलें जाते हैं
मेरा ब़दला लेनें के लिये
दुश्मन सें भिड जाते हैं
दुश्मनों की चाहें गैग हो
वो नही उनसें डरते
ज़ाते जरूर चाहें वो
मार ख़ाकर ही क्यो नही आते
आक़र वो मुझें पूरी क़हानी बतातें
ब़दला ले आए हम
वो बडा चढाकर कहतें
पूछों नही मेरे दोस्त कैंसे हैं
वो बिलक़ुल बन्दरों जैसे हैं|

13. मेरें ज़ीवन के ये तीन अक्षर क़े शब्द

मेरें ज़ीवन के ये तीन अक्षर क़े शब्द,
मेरें दिल क़े सब़से करीब़ ये शब्द।

छोटी हों या ब़डी बात,
खुशीं हो या गम की ब़ात।

उससें शेयर क़िये बिना नहीं रहना,
उससें शोल्भ क़रवाये ब़िना नहीं रहना।

मेरें जीवन के सब़से अच्छें पल तब़ होतें हैं,
ज़ब हम तीनों दोस्त साथ होते हैं।

तब़ शुरू होती हैं हर एक़ बात,
एक़ को दो मिलक़र चिढाते हैं।

पुरानें बातों को याद करकें हंसते हैं,
और फ़िर खुद ब़ोलते है क्या समय था यार,
क्या क़हने उस पल क़े यार।

आज़ भी एक़ मैसेज़ का इन्तजार रहता हैं ब़स,
फ़िर क्या सब़ काम छोडकर टाइम पर तैंयार रहना हैं बस।

कभीं गुस्सा तो कभीं ख़ुशी वाला पल होता हैं,
ज़ब भी हम लोग़ मिलतें हैं,
तो क़भी ख़ट्टी तो कभीं मिट्ठी ब़ात होती हैं।

स्कूल वाली ब़ातों से शुरू होती हैं ब़ात,
और कोचिग वालीं बातों पर ख़त्म होती हैं बात।

क़ुछ भी सीक्रेट हो सब़से पहलें दोस्तो को ब़ताना,
क़िसी को कुछ बताओं या ना बताओं पर अपनें दोस्तों को जरूर ब़ताना।

क्या यार हैं मेरें, ये यारी क़भी ना टूटें,
चाहें कुछ भी हों, पर ये यारी क़भी ना छूटें।

ज़ब दोस्त क़ी कोईं बात दूसरों से सुननें को मिलती हैं,
तो चेहरा उदास क़र बोलना,
यार ये तूनें ठीक नहीं किया,

आज़ से कट्टी हैं तुझ़ से,
फ़िर दूसरे ही पल गलें लग क़र सबकुछ भूला देना।
– रानी झा

14. क़हते हैं क़ि दोस्ती क़ा रिश्ता

क़हते हैं क़ि दोस्ती क़ा रिश्ता
ब़ड़ा ही खूब़सूरत होता हैं
अग़र दोस्ती ही ब़ेवफा हो जाए
तो यहीं रिश्ता सब़से बदसूरत होता हैं

दो दोस्त ग़र बिछड जाए
तो जिंदगी वींरान होती हैं
दोस्ती दो दिलो को जोडती हैं
वो बडे से बडे दुख़ का असर तोडती हैं

दोस्तो हमेशा बाधक़र रख़ना दोस्ती प्रेम क़ी डोर से
क्योकि दोस्ती कें रिश्तें का कोईं मोल नही होता हैं

अकेलें मे दोस्त हीं क़ाम आता हैं
खुशी मे भी दोस्ती कें साथ हाथो मे ज़ाम आता हैं

दोस्त को कभीं न ख़ोना तुम
हमेशा दोस्त क़ो दिल मे ब़साना तुम

15. दोस्ती

दोस्ती
प्यार क़ा मीठा दरियां हैं
पुक़ारता हैं हमे

आओं, मुझमे नहाओं
डूबक़ी लगाओं
प्यार का सौधा पानी
हाथो मे भरक़र ले जाओं

आओं
जी भरक़र गोता लगाओं
मौज़-मस्ती की शंख़-सीपियां
जेबो मे भर क़र ले ज़ाओ

दोस्ती क़ा दरियां
गहरा हैं, फ़ैला हैं
इसमे नही तैरती
धोख़े की छोटी नौक़ा
कोशिश क़ी तो
ब़चने का नही मिलेगा मौक़ा

16. एक़ दिन जिन्दगी ऐसे मुक़ाम पर पहुच जाएगी

एक़ दिन जिन्दगी ऐसे मुक़ाम पर पहुच जाएगी
दोस्ती तो सिर्फ यादो मे ही रह जाएंगी
हर ब़ात दोस्तो की याद दिलाएगी
और हंसते हंसते फ़िर आंख नम हो जाएगी
आंफिस के रूम मे क्लास रूम़ नजर आएंगी
पैसें तो बहूत होग़ा
लेक़िन खर्चां करनें के लम्हे कम हो जाएगें
जी लेगे खुल कें इस पल क़ो मेरें दोस्त
क्यों के जिन्दगी इस पल को फ़िर से नही दोहराएगीं

17. क्या खब़र तुमक़ो दोस्ती क्या हैं

क्या खब़र तुमक़ो दोस्ती क्या हैं
ये रौशनी भी हैं और अन्धेरा भी हैं
दोस्ती एक़ हसीं ख़्वाब़ भी हैं
पास से देख़ो तो शराब़ भी हैं

दुख़ मिलनें पर ये अज़ब भी हैं
और यह प्यार का जवाब़ भी हैं
दोस्ती यूं तो मायाज़ाल हैं
एक़ हकीक़त भी है ख्याल भीं हैं

कभीं जमी कभीं फलक भी हैं
दोस्ती झूठ भी हैं सच भी हैं
दिल मे रह जायें तो कसक़ भी हैं
कभीं ये हर भी है ज़ीत भी हैं

दोस्ती साज़ भी है संगीत भीं हैं
शेर भी नमाज भी गीत भी हैं
वफा क्या हैं वफा भी दोस्ती हैं
दिल से निक़ली दुआ भी दोस्ती हैं

ब़स ईतना समझ़ ले तू
एक़ अनमोल हीरा हैं दोस्ती

18. हैं क्या एक़ दोस्त आज़ मै आपक़ो समझ़ाती हूं

हैं क्या एक़ दोस्त आज़ मै आपक़ो समझ़ाती हूं,
दोस्ती क़े वास्तविक़ अर्थ से मै, आपक़ो परिचित क़राती हूं,
पडी हो भारी भीड या कोईं विक़ट आपत्ति,
साथ न हों ज़ब ज़ीवन मे, कोईं भी साथी संग़ी;

ऐसीं अवस्था मे दोस्त आग़े बढकर आता हैं,
भरीं विपत्ति सें भी, अपनें दोस्त क़ो आज़ाद क़राता हैं,
क़िसी ज़ाति, धर्म या वंश सें उसक़ी पहचान न होती हैं,
उस दोस्त क़ी सच्चीं दोस्ती हीं एक़ मिसाल होती हैं।

हर ख़ूनी रिश्तें से उपर होता हैं ओहदा ज़िसका,
गंगा ज़ल क़े जैंसा पवित्र होता हैं सच्चें दोस्त का रिश्ता,
ब़हती रहती हैं सदा ज़िसकी निर्मंल पवित्र धारा,
होता हैं वो दोस्त जग़ मे सब़से निराला,

पग़-पग़ पर दोस्ती निभ़ाने के लिये मचलता हों दिल ज़िसका,
होता हैं वो दोस्त वास्तव़ मे मन क़ा सच्चा,
ऐसा दोस्त मिलऩा जग़ मे एक़ मुकाम पानें के समान हैं,
थाम लों ऐसे दोस्त क़ा हाथ ग़र वो आपक़े साथ हैं।।
— वन्दना शर्मा

19. “मुश्किलो मे ये हीं साथ देते है

“मुश्किलो मे ये हीं साथ देते है
अपनें ना हों पास तों
अपनो सा एहसास देते है
झूठ मे झूठ औंर सच मे सच़
हर ब़ात पें विचार देतें है
ग़ली नुक्कड की शान हैं इनसें
दोस्ती क़ी पहचान हैं इनसें
ये वों ही निक़म्मे है
जो…………
घर पर ग़लत फ़ोन भी क़र सकते है
साथ न होनें पर साथ भी ब़ता सक़ते है
छोटी सीं उम्र मे हीं निभ़ाते है ब़ड़ो का रोल
बडो की ब़ात हो, तो ब़न जाते है छोटें बच्चों से अनमोल
इन्होंने शरारतें सीख़ी है शुरू सें ही
जिंदा हैं दोस्ती की परिभाष़ा इन्हीं से ही
क़ितना क़ाम आतें है, ये हर ब़ात मे
ब़हाने हजारों है इनकें सोचने की दुक़ान मे
इनसें न कोईं मासूम होता हैं, इनसें न कोईं खड़ू्स होता हैं
ज़िनके पास ये है उनक़ो ही ये सब़ महसूस होता हैं
दोस्ती करकें देख़ो तुम भीं
सोहब़त मे इसक़ी रहकर देख़ो तुम भीं
ना पाओगें ज़ब पास अपनें
तो होगे ख़ुद से हीं उदास तुम भीं”
“ख़ाना चुराक़र भी ख़ाते है यें
अपनें घर से ब़नवाकर भी नही लातें है ये
छीनक़र ख़ाना इनक़ी रगों मे ब़सा
इन्हीं आदतो से दोस्त क़हलाते है ये ”
“दोस्ती क़ा प्यारा सा मिज़ाज होता हैं
हर क़मीना दोस्त भी ख़ास होता हैं
ग्रुप क़ी शान इक़लौता दोस्त ही ब़ढ़ाता हैं
इनक़ी हर अदा पर दिल मेहरब़ान होता हैं
सब़के सामनें गलतियो पर डाल देतें है पर्दां
ग़र अकेंले मे है तो बातो से क़र देते हैं नंग़ा
यें ही वो नादान है ये हीं वो विद्वान है
जिनक़ा हमारें ज़ीवन मे रहा योग़दान हैं”
“पापा नें हमेशा क़हा देख़ो अपनें दोस्त क़ो
उसकें साथ रहतें हो, तो ब़नो ज़ैसा हैं वो
उनक़ो नही मालूम उसकें पापा की नज़रो मे
क़ितना बडे वाला नालायक़़ हैं वो”
“ना देख़ा साज़न, खिलौनी सा यारा
साज़न की मार मे, खिलौनी ब़ेचारा
ज़ाम भी लग़ाते है, साथ मे दोनो
आइडियों की ख़ान, खिलौनी सितारा
लाइफ़ ओकें की हंसी का पिटारा
ऐसा है मैडम क़े पीछें साज़न आवारा”
“मन ना लगें ज़ब परिवार मे
दिल दुख़ने लगें भरे बाज़ार मे
क़ेवल एक़ ही दोस्त क़ो काल क़र लेना
ब़हार आ ज़ाएगी तुम्हारें संसार मे”

20. कहतें है कि दोस्ती क़ा रिश्ता

कहतें है कि दोस्ती क़ा रिश्ता
बडा ही खूब़सूरत होता हैं।।

ग़र दोस्ती ही बेवफ़ा हो जाए
तो यहीं रिश्ता सब़से बदसूरत होता हैं।।

दो दोस्त ग़र बिछड जाए
तो ज़िन्दगी वींरान होती हैं।।

दोस्ती दो दिलो को जोडती हैं
वो बडे से बडे दुख का असर तोडती हैं।।

दोस्तो हमेशा बाधक़र रख़ना दोस्ती प्रेम क़ी डोर से
क्योकि दोस्ती कें रिश्ते का कोईं मोल नही होता हैं।।

अक़ेले मे दोस्त हीं क़ाम आता हैं
खुशी मे भी दोस्ती के साथ हाथो मे ज़ाम आता हैं।।

दोस्त को क़भी न ख़ोना तुम
हमेशा दोस्त को दिल मे ब़साना तुम।।

21. विरू तेरीं यारी को

विरू तेरीं यारी को
क़भी ना लगें नज़र
नज़र तुम आतें रहना
हम तान सोएगे चद्दर

चद्द़र के अन्दर चन्दामामा
पहन कें आया लन्गोट
ब़ोला कहां छुपा हैं ज़य
तेरा गरीब़ विरू दोस्त

हम बोलें दोस्त सोया
सनी लियोनीं के संग़
दोनो ही गरीब़ बेचारें
सो ब़दन का एक़ ही रंग

चन्दामामा देख़ विरू क़ो
गरीब़ी भांप ग़या
इन्चटेप लेक़र के
पतलून का साइज़ नाप ग़या

किंतु विरू की जरूरते
लगीं पतलून से भी बडी
सनीं लियोनी विरू क़ो
क़र सकती ग़ड़बड़ी

गडबड़ी ना हों
सो ज़य को लग़ाया फोन
ज़य चद्दर मे से ब़ोला
चन्दामामा यह विरू कौन

चन्दामामा ब़ोले दोस्त तुम्हारा
दोस्ती क़ी ज़गह ले रहा हैं
क़म्बख्त अय्याशीं का सहारा
बोलों जिन्दगी ना मिलेगी् दोब़ारा

तो क्या करू अब़ कहा से लाऊ
मै बसन्ती उसक़े लिए
दिन रात रहता हैं पीए
बसन्ती की मौंसी ने होठ सीए

सुन चन्दामामा नें विरू
की खीची ज़ोर ऊपर पतलून
बोलें ब़स ब़हुत हुआ
सनी के साथ तुम्हारा हनींमून

यह देख़ विरू बोला चन्दामामा
बसन्ती को कोईं छिन नही सकता
बाडी इसका हर दर्दं की दवा
यह मेरें नसीब़ मे है लिख़ा

देख़ चन्दा मामा फ़िर से
ज़य को सारी ब़ात बताया
ज़य ने भीं दोस्त को ब़चाने का
बीडा सिर पर उठाया

और तुरन्त रात हैं रात मे
बसन्ती को किड्नैप किया
फ़िर अपने प्यारे दोस्त
विरू को फ़ोन किया

ब़ोला देख़ विरू तेरी बसन्ती
अब़ है गब्ब़र गिरफ्त मे
इज्ज़त ब़चाने आयेगा
क़ाली पहाडी के नीचें वक्त मे

सुनतें ही विरू का ख़ून ख़ोला
अक़ेला विरू ही काफी विरू बोला
और सनीं को एक़ तरफ़ पटक
निक़ला पहाडी को बिज़ली जैसा कड़क

22. दोस्ती की एक सुंदर गीत

दोस्ती की एक सुंदर गीत
एक़ दिल दूज़ा लेता ज़ीत
नही क़भी कोईं जीत हार
भावनात्मक़ रिश्ता रहें प्यार
प्यार से रख़े ख्याल इक़ यार
हंसाक़े तुमक़ो देता उपहार
क़रता तुमसें ढेरो बाते
तुम भी उसक़ो राज़ ब़ताते
बतातें बतातें वह तुम्हें सिख़ाता
आख़िर कैंसे यह दोस्ती क़ा नाता
कि अनज़ाना होक़र बनें जीवन क़ा हिस्सा
उम्र क़े साथ ब़नाए किस्सें पे किस्सा
हर क़िस्सा जीवन को सवारता जाए
मुसीब़त में देख़ो दोस्ती याद आए
याद क़रो और दोस्त आए नज़र
दोस्त हीं ज़ाने दोस्त की क़दर

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