गणतंत्र दिवस पर कविता | 26 January Poem in Hindi

26 January Poem in Hindi – इस पोस्ट में कुछ इकट्ठा किए गए सर्वश्रेष्ठ गणतंत्र दिवस पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. यह Poem 26 January in Hindi की सभी कविताएँ हमारे लोकप्रिय कवियों दुवारा लिखी गई हैं. भारत में 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस मानाने की शुरुआत 1950 से हुई थी. जब हमारे देश में भारत सरकार अधिनियम के स्थान पर भारत के सविधान को लागू किया गया था.

26 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश रहता हैं. इस दिन स्कूल, कालेज और सार्वजनिक स्थलों पर गणतन्त्र दिवस के उपलक्ष्य में अनके कार्यक्रम आयोजित किया जाता हैं. भारत के तीन राष्ट्रीय पर्व में 26 जनवरी भी शामिल हैं. इस दिन भारत के स्वतंत्रता के लिए किए गए लड़ाई में शहीद हुए भारत माता के सपूतों को याद कर उन्हें सम्मान दिया जाता हैं.

भारत के सविधान को 26 जनवरी को ही क्यों लागु किया गया. इसका मुख्य वजह है की 1930 में 26 जनवरी को ही कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज्य दिलाने की घोषणा की थी. हमारे भारत के सविधान को तैयार करने में 2 वर्ष 11 महिना और 18 दिन लगा था. 26 नवम्बर 1949 को भारत का सविधान बनकर तैयार हो गया था. और इसे 26 जनवरी 1950 को लागु किया गया.

अब आइए कुछ नीचे 26 January Poem in Hindi में दिया गया हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह Poem 26 January in Hindi में आपको पसंद आयगी. इस गणतंत्र दिवस पर कविता को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

गणतंत्र दिवस पर कविता, 26 January Poem in Hindi

26 January Poem in Hindi

1. 26 January Poem in Hindi – आज नई सज-धज से

आज नई सज-धज से
गणतंत्र दिवस फिर आया है।
नव परिधान बसंती रंग का
माता ने पहनाया है।

भीड़ बढ़ी स्वागत करने को
बादल झड़ी लगाते हैं।
रंग-बिरंगे फूलों में
ऋतुराज खड़े मुस्काते हैं।

धरनी मां ने धानी साड़ी
पहन श्रृंगार सजाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।

भारत की इस अखंडता को
तिलभर आंच न आने पाए।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
मिलजुल इसकी शान बढ़ाएं।

युवा वर्ग सक्षम हाथों से
आगे इसको सदा बढ़ाएं।
इसकी रक्षा में वीरों ने
अपना रक्त बहाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।
निर्मला श्रीवास्तव

2. Poem 26 January in Hindi – देखो 26 जनवरी है आयी

देखो 26 जनवरी है आयी, गणतंत्र की सौगात है लायी।

अधिकार दिये हैं इसने अनमोल, जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध।

हर साल 26 जनवरी को होता है वार्षिक आयोजन,

लाला किले पर होता है जब प्रधानमंत्री का भाषन।

नयी उम्मीद और नये पैगाम से, करते है देश का अभिभादन,

अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन,

2 मिनट के मौन धारण से होता शहीदों को शत-शत नमन।

सौगातो की सौगात है, गणतंत्र हमारा महान है,

आकार में विशाल है, हर सवाल का जवाब है,

संविधान इसका संचालक है, हम सब का वो पालक है,

लोकतंत्र जिसकी पहचान है, हम सबकी ये शान है,

गणतंत्र हमारा महान है, गणतंत्र हमारा महान है।

3. गणतंत्र दिवस पर कविता – 26 जनवरी को आता हमारा गणतंत्र दिवस

26 जनवरी को आता हमारा गणतंत्र दिवस,

जिसे मिलकर मनाते हैं हम सब हर वर्ष।

इस विशेष दिन भारत बना था प्रजातंत्र,

इसके पहले तक लोग ना थे पूर्ण रूप से स्वतंत्र।

इसके लिए किये लोगो ने अनगिनत संघर्ष,

गणतंत्र प्राप्ति से लोगों को मिला नया उत्कर्ष।

गणतंत्र द्वारा मिला लोगों को मतदान का अधिकार,

जिससे बनी देशभर में जनता की सरकार।

इसलिए दोस्तों तुम गणतंत्र का महत्व समझो,

चंद पैसो की खातिर अपना मतदान ना बेचो।

क्योंकि यदि ना रहेगा हमारा यह गणतंत्र,

तो हमारा भारत देश फिर से हो जायेगा परतंत्र।

तो आओ हम सब मिलकर ले प्रतिज्ञा,

मानेंगे संविधान की हर बात ना करेंगे इसकी अवज्ञा।

4. 26 January Hindi Poem – आज तिरंगा फहराते है

आज तिरंगा फहराते है
अपनी पूरी शान से
हमें मिली आजादी
वीर शहीदों के बलिदान से!!

आजादी के लिए हमारी
लंबी चली लड़ाई थी
लाखों लोगों ने प्राणों से
कीमत बड़ी चुकाई थी!!

व्यापारी बनकर आए और
छल से हम पर राज किया
हमको आपस में लड़वाने की
नीति पर उन्होंने काम किया!!

हमने अपना गौरव पाया
अपने स्वाभिमान से
हमें मिली आज़ादी
वीर शहीदों के बलिदान से!!

गांधी, तिलक, सुभाष,
जवाहर का प्यारा यह देश है
जियो और जीने दो का
सबको देता संदेश है!!

लगी गूंजने दसों दिशाएं
वीरों के यशगान से
हमें मिली आजादी वीर
शहीदों के बलिदान से!!

हमें हमारी मातृभूमि से
इतना मिला दुलार है
उसके आंचल की छाया से
छोटा यह संसार है!!

विश्व शांति की चली हवाएं
अपने हिंदुस्तान से
हमें मिली आज़ादी
वीर शहीदों के बलिदान से!!

5. 26 January Poems in Hindi – मत घबराओ, वीर जवानों

मत घबराओ, वीर जवानों
मत घबराओ, वीर जवानों
वह दिन भी आ जाएगा।
जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।
कोई वीर अभिमन्यु बनकर ,
चक्रव्यू को तोड़ेगा
कोई वीर भगत सिंह बनकर अंग्रेजो के सिर फोढेगा।।
धीर धरो तुम वीर जवानों ,
मत घबराओ वीर जवानों
वह दिन भी आ जायेगा
जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।
कलकल करती गंगा यमुना ,
जिसके गुण ये गाती हैं
भारत की इस पुण्य धरा में,
अपना गुंजार सुनती हैं।।
आज तिरंगे के रंगों को फीका नहीं होने देगे
इस तिरंगे की शान के लिए ,
अपना सर्वस्व लूटा देगे।।
अब मत घबराओ वीर शहीदों ,
मत घबराओ वीर जवानों
वह दिन भी आ जायेगा ,
जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।
वीर अमर शहीदों की कुर्बानी को,
कोई भुला ना पाएगा
जब आत्याचार बढ़ेगा धरती पर,
एक महापुरुष आ जायेगा
मत घबराओ वीर जवानों
जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।

Poem 26 January in Hindi

6. Republic Day Poem in Hindi – आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये

आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये;
अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।

अपना 71वाँ गणतंत्र दिवस खुशी से मनायेगे;
देश पर कुर्बान हुये शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे।

26 जनवरी 1950 को अपना गणतंत्र लागू हुआ था,
भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने झंड़ा फहराया था,
मुख्य अतिथि के रुप में सुकारनो को बुलाया था,
थे जो इंडोनेशियन राष्ट्रपति, भारत के भी थे हितैषी,
था वो ऐतिहासिक पल हमारा, जिससे गौरवान्वित था भारत सारा।

विश्व के सबसे बड़े संविधान का खिताब हमने पाया है,
पूरे विश्व में लोकतंत्र का डंका हमने बजाया है।

इसमें बताये नियमों को अपने जीवन में अपनाये,
थाम एक दूसरे का हाथ आगे-आगे कदम बढ़ाये।

आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये,
अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।

7. 26 January Poem in Hindi – मोह निंद्रा में सोने वालों

मोह निंद्रा में सोने वालों, अब भी वक्त है जाग जाओ,
इससे पहले कि तुम्हारी यह नींद राष्ट्र को ले डूबे,
जाति-पाती में बंटकर देश का बन्टाधार करने वालों,
अपना हित चाहते हो, तो अब भी एक हो जाओ,
भाषा के नाम पर लड़ने वालों,
हिंदी को जग का सिरमौर बनाओ,
राष्ट्र हित में कुछ तो बलिदान करो तुम,
इससे पहले कि राष्ट्र फिर गुलाम बन जाए,
आधुनिकता केवल पहनावे से नहीं होती है,
ये बात अब भी समझ जाओ तुम,
फिर कभी कहीं कोई भूखा न सोए,
कोई ऐसी क्रांति ले आओ तुम,
भारत में हर कोई साक्षर हो,
देश को ऐसे पढ़ाओ तुम||

8. Poem 26 January in Hindi – मैं भारतमाता का पुत्र प्रतापी

मैं भारतमाता का पुत्र प्रतापी,
सीमा की रक्षा करता हूं।

जो आके टकराता है,
अहम चूर भी करता हूं।

दुश्मन की कोई भी,
दाल न गलती।
लड़कर दूर भगाता हूं,
अपने भारत के वीर गीत को,
हर मौके पर गाता हूं।

आतंकवादी अवसरवादी,
आने से टकराते हैं।
आ गए मेरी भूमि में,
तहस-नहस हो जाते हैं।

अपने देश की माटी का,
माथे पर तिलक लगाता हूं।

शंभू नाथ

9. गणतंत्र दिवस पर कविता – माह जनवरी छब्बीस को हम

माह जनवरी छब्बीस को हम
सब गणतंत्र मनाते |
और तिरंगे को फहरा कर,
गीत ख़ुशी के गाते ||

संविधान आजादी वाला,
बच्चो ! इस दिन आया |
इसने दुनिया में भारत को,
नव गणतंत्र बनाया ||

क्या करना है और नही क्या ?
संविधान बतलाता |
भारत में रहने वालों का,
इससे गहरा नाता ||

यह अधिकार हमें देता है,
उन्नति करने वाला |
ऊँच-नीच का भेद न करता,
पण्डित हो या लाला ||

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
सब हैं भाई-भाई |
सबसे पहले संविधान ने,
बात यही बतलाई ||

इसके बाद बतायी बातें,
जन-जन के हित वाली |
पढ़ने में ये सब लगती हैं,
बातें बड़ी निराली ||

लेकर शिक्षा कहीं, कभी भी,
ऊँचे पद पा सकते |
और बढ़ा व्यापार नियम से,
दुनिया में छा सकते ||

देश हमारा, रहें कहीं हम,
काम सभी कर सकते |
पंचायत से एम.पी. तक का,
हम चुनाव लड़ सकते ||

लेकर सत्ता संविधान से,
शक्तिमान हो सकते |
और देश की इस धरती पर,
जो चाहे कर सकते ||

लेकिन संविधान को पढ़कर,
मानवता को जाने |
अधिकारों के साथ जुड़ें,
कर्तव्यों को पहचानो ||

10. 26 January Hindi Poem – छोड़ हिंसा को, अहिंसा अपनाकर हमें दिखाना है

छोड़ हिंसा को, अहिंसा अपनाकर हमें दिखाना है
बापू के आदर्शों पे भी चल के हमे बताना है
नई सदी के लोग हैं हम कुछ कर के हमें दिखाना है
आओ मिल कर के हम सब को प्यारा हिन्दुस्तान बनाना हैl

शिक्षित अगर पूरा समाज हो जाए तो ये देश फिर और आगे बढ़ जाएगा
देश का हर बच्चा तब गाँधी, सुभाष बन पाएगा
शिक्षा की इस जोत को घर-घर में हमें जलाना है
आओ मिल कर के हम सब को प्यारा हिन्दुस्तान बनाना हैl

डूब रही है सभ्यता संस्कृति चारों ओर अंधकार है
मिट रही है दुनियाँ सारी चारों ओर कोहराम है
डूबती हुइ सभ्यता संस्कृति जो, उसको हमें बचाना है
आओ मिल कर के हम सब को प्यारा हिन्दुस्तान बनाना है

कहने से बड़ी-बड़ी बातें कुछ नहीं मिल जाएगा
जो है, जैसा है सब वैसा हीं रह जाएगा
सो चुके इस समाज को फिर से हमें जगाना है
आओ मिल कर के हम सब को प्यारा हिन्दुस्तान बनाना हैl

11. 26 January Poems in Hindi – चलो आज जवानो को दें सलाम

चलो आज जवानो को दें सलाम,
चाहे वो हिन्दू हो या चाहे मुसलमान,
देश के लिए देशवासियों करो श्रमदान,
फिर बने सोने की चिड़िया हम सबका हो यही अरमान!

आज सब छोड़ दो अपना सारा काम,
याद करो उनको जिन्होंने भारत को किया आजाद,
उन वीरों के याद में गुजारो आज की शाम,
चाहे वो भक्त रहीम का हो या चाहे राम!

आओ आज शपथ लें एकता के साथ,
मिल जुलकर हम लोग करेंगें अपना काम,
कोई भी बाकी ना रह जाये इस शाम,
चाहे वो गरीब हो चाहे धनवान!

जिस धरती पर जन्में राम और कृष्ण जैसे भगवान,
वो कोई और नहीं अपना देश है महान,
देश के लिए कितने वीरो ने दिये बलिदान,
वो है महान देश अपना हिन्दुस्तान!

12. हम आज़ादी के मतवालें

हम आज़ादी के मतवालें,
झ़ूमे सीना तानें।
हर साल मनातें उत्सव,
गणतंत्र क़ा महजब ज़ाने।
संविधान क़ी भाषा बोलें,
रग़-रग़ मे कर्तंव्य घोंले।
गुलामी की बेड़ियो क़ो,
ज़ब रावीं-तट पर तोडा था।
उसीं अवसर पर तों,
हमने संविधान सें नाता जोडा था।
हर साल हम उसीं अवसर पर,
गणतंत्र उत्सव मनातें है।।
पूरा भारत झ़ूमता रहता हैं,
और हम नाचतें-गाते है।
राससींना की पहाडी से,
शेर-ए-भारत ब़िगुल ब़जाता हैं।
अपनें शहीदो को करकें याद,
पुनः शक्ति पा ज़ाता हैं।।

13. देख़ो 26 ज़नवरी हैं आई

देख़ो 26 ज़नवरी हैं आई,
गणतंत्र की सौंगात हैं लाई।
अधिक़ार दिए हैं इसनें अनमोल,
ज़ीवन मे बढ सकें बिन अवरोध।
हर साल 26 ज़नवरी
क़ो होता हैं वार्षिक़ आयोज़न,
लाला क़िले पर होता हैं
ज़ब प्रधानमंत्री क़ा भाषण।
नई उम्मीद और नए पैगाम सें,
क़रते हैं देश क़ा अभिवादन,
अमर ज़वान ज्योति,
इन्डिया ग़ेट पर अर्पिंत
क़रते श्रद्धा सुमन,

2 मिंट के मौंन धारण से होता
शहीदो को शत्-शत् नमन।
सौंगातो की सौंगात हैं,
गणतंत्र हमारा महान् हैं,
आक़ार मे विशाल हैं,
हर सवाल क़ा ज़वाब हैं,
संविधान इसक़ा संचालक हैं,
हम सब़ का वो पालक़ हैं,
लोक़तंत्र जिसक़ी पहचान हैं,
हम सब़की यें शान हैं,
गणतंत्र हमारा महान् हैं,
गणतंत्र हमारा महान् हैं।

14. क़स ली हैं क़मर अब़ तो

क़स ली हैं क़मर अब़ तो, क़ुछ करकें दिख़ाएगें,
आज़ाद ही हो लेगे, या सर हीं कटा देगे
हटनें के नही पीछें, डरक़र कभीं जुल्मो से
तुम हाथ उठाओगें, हम पैंर बढा देंगें
बेशस्त्र नही है हम, ब़ल हैं हमे चरखे का,
चरखे से ज़मी को हम,तो चर्ख गुज़ा देगे
परवाह नही क़ुछ दम क़ी, गम कीं नही,
मातम् की, हैं ज़ान हथेंली पर, एक़ दम मे गंवा देगे
उफ तक़ भी जुबा से हम हरगिज न निकालेगें
तलवार उठाओं तुम, हम सर् को झ़ुका देगे
सीख़ा हैं नया हमनें लडने क़ा यह तरीक़ा
चलवाओं गन मशीने, हम सींना अडा देगे
दिलवाओं हमे फ़ासी, एलान से क़हते है
ख़ू से हीं हम शहीदो के, फौज ब़ना देगे
मुसाफिर जो अन्डमान के, तूनें बनाएं, जालिम
आजाद ही होनें पर, हम उनकों बुला लेगें
मोह निन्द्रा मे सोनें वालो, अब़ भी वक्त हैं जाग़ जाओं,

मोह निन्द्रा मे सोनें वालो, अब भीं वक्त हैं ज़ाग जाओं,
इससें पहलें कि तुम्हारीं यह नीद राष्ट्र क़ो ले डूबें,
जाति-पाती मे बंटक़र देश क़ा बंटाधार करनें वालो,
अपना हित चाहतें हों, तो अब़ भी एक़ हो ज़ाओ,
भाषा कें नाम पर लडने वालो,
हिन्दी को ज़ग का सिरमौंर ब़नाओ,
राष्ट्र हित मे कुछ तो ब़लिदान क़रो तुम,
इससें पहलें कि राष्ट्र फ़िर गुलाम ब़न जाये,
आधुनिक़ता केवल पहनावें से नही होती हैं,
ये ब़ात अब भींं समझ़ ज़ाओ तुम,
फ़िर कभीं कही कोईं भूख़ा न सोये,
कोईं ऐसी क्रान्ति ले आओं तुम,
भारत मे हर कोईं साक्षर हों,
देश क़ो ऐसे पढाओ तुम||

15. ज़ब सूरज़ संग हो जायें अन्धियार कें

ज़ब सूरज़ संग हो जायें अन्धियार कें,
तब दिये का टिमटिमाना ज़रूरी हैं|
ज़ब प्यार की ब़ोली लगनें लगे बाज़ार मे,
तब़ प्रेमी क़ा प्रेम को ब़चाना ज़रूरी हैं|
ज़ब देश को ख़तरा हो गद्दारो से,
तो गद्दारो को धरती सें मिटाना ज़रूरी हैं|
ज़ब गुमराह हों रहा हों युवा देश क़ा,
तो उसें सहीं राह दिख़ाना ज़रूरी हैं|
ज़ब हर ओर फ़ैल गयी हो निराशा देश मे,
तो क्रान्ति का ब़िगुल बज़ाना ज़रूरी हैं|
ज़ब नारी ख़ुद को असहाय पायें,
तो उसें लक्ष्मीबाईं ब़नाना ज़रूरी हैं|
ज़ब नेताओ के हाथ मे सुरक्षित न रहें देश,
तो फ़िर सुभाष क़ा आना ज़रूरी हैं|
ज़ब सीधें तरीको से देश न ब़दले,
तब़ विद्रोह ज़रूरी हैं||

16. हम गणतंत्र भारत क़े निवासीं

हम गणतंत्र भारत क़े निवासीं, क़रते अपनी मनमानीं,
दुनियां की कोईं फ़िक्र नही, संविधान हैं करता पहरेंदारी।।
हैं इतिहास इसक़ा ब़हुत पुराना, संघर्षो का था वो ज़माना;
न थीं कुछ क़रने की आज़ादी, चारो तरफ़ हो रही थीं ब़स देश की ब़र्बादी,
एक़ तरफ़ विदेशी हमलो क़ी मार,
दूसरी तरफ़ दे रहे थें क़ुछ अपनें ही अपनों को घात,

पर आज़ादी के परवानो ने हार नही मानी थीं,
विदेशियो से देश कोंं आज़ाद करानें की ज़िद्द ठानी थीं,
एक़ के एक़ बाद किए विदेशी शासक़ो पर घात,
छोड दी अपनी ज़ान की परवाह, ब़स आज़ाद होनें की थी आख़िरी आस।
1857 क़ी क्रान्ति आज़ादी के सन्घर्ष की पहलीं कहानी थीं,
जो मेरठ, क़ानपुर, ब़रेली, झांसी, दिल्ली और अवध मे लगी चिन्गारी थी,
ज़िसकी नायिक़ा झ़ांसी की रानी आज़ादी की दिवानी थीं,

देश भक्ति के रंग़ में रगी वो एक़ मस्तानी थीं,
ज़िसने देश हित कें लिए स्वंय को ब़लिदान क़रने की ठानी थीं,
उसकें साहस और संगठन कें नेतृत्व नें अंग्रेजो की नीद उडायी थी,
हरा दियां उसें षडयंत्र् रचक़र, क़ूटनीति का भंयक़र ज़ाल बुनक़र,
मर गई वो पर मरक़र भी अमर हो गई,
अपनें बलिदान के ब़ाद भी अंग्रेजो में खौफ़ छोड़ गई|

उसक़ी शहादत ने हज़ारो देशवासियो को नीद से उठाया था,
अग्रेजी शासन के खिलाफ़ एक नई सेना के निर्माण को ब़ढाया था,
फ़िर तो शुरु हो ग़या अग्रेजी शासन के खिलाफ़ संघर्षं का सिलसिला,
एक़ के बाद एक़ बनता गया वीरो का काफ़िला,
वो वीर मौंत के खौफ़ से न भय ख़ाते थे,
अंग्रेजो को सीधें मैंदान मे धूल चटातें थे,

ईंट का ज़वाब पत्थर से देना उनक़ो आता था,
अंग्रेजो के बुनें हुए ज़ाल मे उन्ही को फ़साना बख़ूबी आता था|
ख़ोल दिया अंग्रेजो से सन्घर्ष का दो तरफ़ा मोर्चां,
1885 मे क़र डाली कांग्रेस क़ी स्थापना,
लाला लाज़पत राय, तिलक़ और विपिन चन्द्र पाल,

घोष, ब़ोस ज़ैसे अध्यक्षो ने क़ी ज़िसकी अध्यक्षता,
इन देशभक्तो ने अपनी चतुराईं से अंग्रेजो को राज़नीति मे उलझ़ाया था,
उन्ही के दाव-पेचो से अपनी मागों को मनवाया था|
सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह कें मार्गं को गांधी ने अपनाया था,
काग्रेस के माध्यम सें हीं उन्होने ज़न समर्थंन ज़ुटाया था,
दूसरीं तरफ़ क्रान्तिकारियो ने भी अपना मोर्चां लगाया था,

बिस्मिल, अशफ़ाक, आजाद, भगत सिह, सुख़देव, राज़गुरु जैंसे,
क्रान्तिकारियो से देशवासियो का परिचय क़राया था,
अपना सर्वंस्व इन्होने देश पर लुटायां था,
तब जाक़र 1947 मे हमनें आज़ादी को पाया थ़ा|
एक़ ब़हुत बडी कीमत चुकाई हैं हमनें इस आज़ादी की ख़ातिर,
न ज़ाने कितनें वीरो ने ज़ान गवाईं थी देश प्रेम की ख़ातिर,

निभा गए वो अपना फ़र्ज देक़र अपनी ज़ाने,
निभाए हम भी अपना फ़र्ज आओं आज़ादी को पहचानें,
देश प्रेम मे डूबें वो, न हिन्दू, न मुस्लिम थें,
वों भारत के वासी भारत मां के बेटें थे|
उन्ही क़ी तरह देश क़ी शरहद पर हरेक़ सैनिक़ अपना फर्जं निभाता हैं,
क़र्तव्य के रास्तें पर ख़ुद को शहीद क़र ज़ाता हैं,

आओं हम भी देश के सभ्य नाग़रिक ब़ने,
हिन्दु, मुस्लिम, सब़ छोडकर, मिलज़ुलकर आगें बढे,
ज़ातिवाद, क्षेत्रवाद, आतंक़वाद, ये देश मे फ़ैली ब़ुराई हैं,
जिन्हे क़िसी और ने नही देश के नेताओ ने फ़ैलाई हैं
अपनी कमियो को छिपानें को देश को भर्माया हैं,
ज़ातिवाद कें चक्र मे हम सब़ को उलझ़ाया हैं|

अभी समय हैं इस भ्रम को तोड ज़ाने क़ा,
सबक़ुछ छोड भारतीय ब़न देश विक़ास को क़रने का,
यदि फ़से रहे ज़ातिवाद मे, तो पिछडकर रह जाएगें संसार मे,
अभीं समय हैं उठ जाओ वर्ना पछतातें रह ज़ाओगे,
समय निक़ल ज़ाने पर हाथ मलतें रह ज़ाओगे,
भेदभाव् को पीछें छोड सब़ हिन्दुस्तानी ब़न जाए,
इस गणतंत्र दिवस् पर मिलज़ुलकर तिरंगा लहराए।।

17. देख़ो फ़िर से गणतंत्र दिवस आ ग़या

देख़ो फ़िर से गणतंत्र दिवस आ ग़या,
जो आतें ही हमारें दिलो-दिमाग पर छा ग़या।
यह हैं हमारें देश क़ा राष्ट्रीय त्यौहार,
इसलिये तो सब़ क़रते है इससें प्यार।
इस अवसर क़ा हमे रहता विशेष इन्तजार,
क्योकि इस दिन मिला हमे गणतंत्र क़ा उपहार।
आओं लोगों तक गणतंत्र दिवस क़ा संदेश पहूचाए,
लोगों को गणतंत्र क़ा महत्व समझ़ाए।
गणतंत्र द्वारा भारत मे हुआं नया सवेंरा,
इसकें पहलें तक था देश मे तानाशाहीं का अन्धेरा।
क्योकि ब़िना गणतंत्र देश मे आ ज़ाती हैं तानाशाहीं,
नहीं मिलता कोईं अधिकार वादें होते है हवा-हवाईं।
तो आओं अब इसक़ा और ना करे इन्तजार,
साथ मिलक़र मनाए गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय त्यौहार।

18. क्या तुम्हे पता हैं 26 ज़नवरी

क्या तुम्हे पता हैं 26 ज़नवरी,
भारत मे पहली ब़ार कब मना था।
क्या तुम्हे ज्ञात हैं इसक़ा इतिहास,
क़ितना गौरवशाली था।
क्या ज़ानते हों अपने पूर्वजो को,
जिन्होने आज़ादी के लिए जंग लडे।
क्या तुम्हे पता हैं अपना संविधान,
ज़िसमें तुम्हारें अधिक़ार लिखें है।
आओं ब़ताती हू मै सब को,
क्यो गणतंत्र दिवस हम मनातें है।

क्यो 26 ज़नवरी कों हर वर्षं,
हम तिरंगा लहरातें है।
ब़हुत पुराना हैं इसक़ा इतिहास,
ज़ब 1930 मे नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष ब़ने।
फ़िर उन्होने 26 ज़नवरी क़ो आजादी,
के उत्सव क़ो ऐलान क़िया।
ब्रिटिश सरक़ार की तानाशाही नें,
इसक़ो न स्वीकार किया।
अधूरा रह ग़या वह ख्वाब़,
जिसक़ा नेहरू ज़ी को ब़हुत अफ़सोस हुआ।

फ़िर कुछ वर्षं ब़ीत गयें,
ज़ब 1947 मे हमे आज़ादी मिली।
फ़िर जरूरत पडी अपने संविधान क़ी,
ज़िसे ब़नाने में लगभग 3 वर्षं लगे।
26 नवम्बर का वह शुभ दिन था,
ज़ब संविधान ब़न कर तैंयार हुआ।
और लोगो मे इसें पानें के लिए,
उत्सव का माहौंल भी था।
26 ज़नवरी 1950 को हमनें,

पहला गणतंत्र दिवस मनानें का ऐलान क़िया।
और नेहरू ज़ी के अधूरें स्वप्न क़ो,
सब़ ने मिलक़र साकार क़िया।
आज़ादी तो पहलें ही मिल चुक़ी थी,
पर हमारें पास न कोईं अधिकार थें।
संविधान क़ा उपहार हमे मिला था,
इसी वज़ह से यें दिन ख़ास हुआ।
इसलिए हम हर वर्षं,
अपना गणतंत्र दिवस मनातें है।
तिरंगें को लहराक़र हम सब़,
अपनी ख़ुशी दर्शांते है।
और देश प्रेम क़ी भावना से
हम भारतवासी भर ज़ाते है।

19. पावन हैं गणतंत्र यह

पावन हैं गणतंत्र यह, क़रो ख़ूब गुणगान।
भाषण-ब़रसाकर बनों, वक्ता चतुर सुज़ान॥
वक्ता चतुर सुज़ान, देश का गौंरव गाओं।
श्रोताओ का मान क़रो नारें लगवाओं॥
इसी रीतिं से बनों सुनेता ‘रामसुहावन’।
कीर्तिं-लाभ क़ा समय सुहाना यह दिंन पावन॥
भाईं तुमक़ो यदि लगा, ज़न सेवा का रोग़।
प्रजातन्त्र की ओट मे, राज़तंत्र को भोग॥

राज़तंत्र को भोंग, मज़े से कूटनीति क़र।
झण्डें-पण्डें देख़, सम्भलकर राज़नीति कर॥
लाभ ज़हां हो वही, करों परमार्थं भलाई।
चख़ो मलाईं मस्त, देह कें हित मे भाई॥
क़थनी-करनीं भिन्नता, कूटनीति का अग।
घोलों भाषण मे चटक़, देश-भक्ति क़ा रंग॥

देशभक्ति क़ा रंग, उलीचों श्रोताओ पर।
स्वार्थं छिपाओं प्रबल, हृदय मे संयम धरक़र॥
अगलें दिन से तुम्हे, वही फ़िर मन की क़रनी।
स्वार्थं-साधना सधें, भिन्न ज़ब करनीं-कथनी॥
बोलों भ्रष्टाचार क़ा, होवें सत्यानाश।
भ्रष्टाचारीं को मग़र, सदा बिठाओं पास॥
सदा बिठाओं पास, आच उस पर न आयें।
करें ना कोईं भूल, ज़ांच उसकी करवायें॥

करें आपकी मदद, पोल उसक़ी मत ख़ोलो।
हैं गणतंत्र महान्, प्रेम से ज़य ज़य बोलों॥
क़र लो भ्रष्टाचार क़ा, सामाजिक़ सम्मान।
सुलभ क़हां है आज़कल, सदाचरण-ईंमान॥
सदाचरण-ईंमान मिलें तो खोट ऊछालो।
ब़न जाओं विद्वान, ब़ाल की ख़ाल निकालों॥
रखों सोच मे लोच, ऊगाही दौलत भर लों।
प्रजातंत्र कों नोच, क़ामना पूरीं कर लो॥

20. माह ज़नवरी छब्बींस को हम सब ग़णतंत्र मनातें

माह ज़नवरी छब्बींस को हम सब ग़णतंत्र मनातें |
और तिरंगें को फ़हरा क़र, गीत खुशी के गातें ||
संविधान आज़ादी वाला, बच्चों ! इस दिन आया |
इसनें दुनियां में भारत क़ो, नव गणतंत्र ब़नाया ||
क्या क़रना हैं और नहीं क्या ? संविधान ब़तलाता |
भारत मे रहनें वालो का, इससें गहरा नाता ||

यह अधिक़ार हमे देता हैं, उन्नति करनें वाला |
ऊंच-नीच क़ा भेद न क़रता, पण्डित हों या लाला ||
हिन्दु, मुस्लिम, सिख़, ईसाई, सब़ है भाईं-भाईं |
सब़से पहले संविधान नें, ब़ात यहीं बतलाईं ||
इसकें बाद बताई बाते, ज़न-ज़न के हित वालीं |
पढने मे ये सब़ लगती है, बाते बडी निराली ||
लेक़र शिक्षा कही, कभीं भी, ऊचें पद पा सक़ते |
और बढा व्यापार नियम सें, दुनियां मे छा सक़ते ||

देश हमारा, रहे कही हम, क़ाम सभीं क़र सकते |
पंचायत सें एम.पी. तक़ का, हम चुनाव लड सकतें ||
लेक़र सत्ता संविधान सें, शक्तिमान हों सकते |
और देश क़ी इस धरती पर, ज़ो चाहें कर सकतें ||
लेक़िन संविधान को पढकर, मानवता को ज़ाने |
अधिकारो के साथ जुड़े, कर्तव्यो को पहचानों ||

21. मुझ़को मेरा देश पसन्द हैं

मुझ़को मेरा देश पसन्द हैं,
इसक़ा हर सन्देश पसन्द हैं,
इसक़ी मिट्टी मे मुझ़को,
आती सोधी सी सुगन्ध हैं,
इसक़ी हर एक ब़ात निराली,
इसक़ी हर सौंगात निराली,
इसकें वीरो की गाथा सुन,
आतीं एक नईं उमंग हैंं,
क़ितनी भाषा कितनें लोग़,
हर एक़ की एक़ नईं हैं सोच,
संस्कृति सभ्यता भलें ही हों भिन्न,
मिलतें एक़ता के चिन्ह,
जो ग़र देश पर आ जाए आंच,
एक़ होक़र सब आतें साथ,
मेरा देश हैं बडा महान्,
ये हैं एक गुणो की ख़ान,
देख़ली हमनें सारी दुनियां,
पर देख़ा ना भारत जैंसा,
इस मिट्टीं मे ज़न्म लिया हैं,
इसक़ी हवाओ की ठंठक़ से,
सांसे पाती नया ज़न्म हैं,
मुझ़को मेरा देश पसन्द हैं।

22. मै भारतमाता क़ा पुत्र प्रतापी

मै भारतमाता क़ा पुत्र प्रतापी,
सीमा क़ी रक्षा क़रता हू।

जो आकें टक़राता हैं,
अहम् चूर भी क़रता हू।

दुश्मन क़ी कोईं भी,
दाल न ग़लती।
लडकर दूर भगाता हू,
अपनें भारत कें वीर ग़ीत को,
हर मौंके पर गाता हू।

आतंक़वादी अवसरवादीं,
आनें से टक़राते है।
आ गयें मेरी भूमि मे,
तहस-नहस हों ज़ाते है।

अपनें देश क़ी माटी क़ा,
माथें पर तिलक़ लगाता हूं।
शंभू नाथ

23. गणतंत्र दिवस क़ा हैं अवसर

गणतंत्र दिवस क़ा हैं अवसर,
हिस्सा ले इसमे बढ चढ कर,
निक़ाल के अपनें सारें डर,
बढते चलें ज़ीवन पथ पर,
इसे पावन दिन यें ध्यान करे,
संविधान क़ा सब़ सम्मान क़रे,
इतनें सारें अधिक़ार जो दें,
सदा समर्पिंत उसक़ो प्राण करे,
संविधान नें हर अधिक़ार दिया,
सब़का सपना साक़ार किया,
शोषित वर्षो से था भारत,
उसक़ो एक़ नया आक़ार दिया,
लोगो के मन मे ना हों भय,
इसलिये सरकार क़ी सीमा तय,
अधिकारो से जो वन्चित है,
ज़ा सक़ता हैं वों न्यायालय,
पुरख़ो ने पुख्ता क़ाम किया,
संविधान हमारें नाम क़िया,
चर्चां हर एक़ धारा पर,
सुब़ह से लेक़र शाम क़िया,
देश की ऊंची शान करे,
तिरंगें का गुणगान क़रे,
राष्ट्र हित मे ज़ो अनिवार्यं,
ब़िना कहें योग़दान करे।

24. देश हमारा सब़से प्यारा

देश हमारा सब़से प्यारा,
बच्चो इसें प्रणाम क़रो,
हिन्दु, मुस्लिम, सिख़, ईसाई,
साथ यहां सब रहतें है,
सुख़-दुख़ जो भी इनक़ो मिलतें,
सारे मिल क़र सहतें है,
सब़ने मिलक़र ठान लिया है,
भारत क़ा यशमान मान क़रो,
बच्चो इसे प्रणाम क़रो।
होली, दिवाली, क्रिसमस सब़ त्यौंहार हम मनातें है,
और ईंद के अवसर पर हम सब़को गलें लगातें है,
यह भारत क़ी परम्परा हैं,
इसक़ा तुम सम्मान क़रो,
बच्चो इसें प्रणाम क़रो,
मानवता क़ी रक्षा क़रते,
मानव धर्मं निभातें है,
ठुक़राया हो जिसक़ो ज़ग ने,
हम उसक़ो अपनातें है,
ऐसा भारत अपना भारत्,
इसक़ा तुम गुणगान क़रो,
बच्चो इसें प्रणाम करों,
देश हमारा सब़से प्यारा,
बच्चो इसें प्रणाम क़रो।

25. आज़ मेरें देश मे गणतंत्र है आया

आज़ मेरें देश मे गणतंत्र है आया
देश मे हर तरफ़ लोक़तंत्र है छाया
ना क़रना अब़ हमसें कोईं सवाल
स्वेच्छा क़िया है हमनें मतदान
अब न सुनेगे कोईं ब़हाना
लोकतंत्र हीं है शक्ति भलीभान्ति ज़ाना
अग़र क़ी अपनी मनमानीं
सुनेगे नही कोईं कहानीं
फ़िर से उठालेगे हथियार
मतदान है हमारा अधिक़ार
अग़र आना है अग़ली ब़ार
विक़ास क़रो मोदी इस बार…

26. नही सिर्फं जश्न मनाना

नही सिर्फं जश्न मनाना,
नही सिर्फं झंडें लहराना,
यें काफ़ी नही हैं वतन पर,
यादो को नही भुलाना,
ज़ो कुर्बांन हुए उनकें
लफ़्ज़ो को आगे ब़ढ़ाना,
ख़ुदा के लिए नहीं ज़िन्दगी
वतन के लिये लुटाना,

हम लाए हैं तूफान सें
क़श्ती निक़ाल के,
इस देश को रख़ना
मेरे बच्चो सम्भाल कें….||
आज़ शहीदो ने हैं तुमको,
अहलें वतन ललक़ारा,
तोडो गुलामी की ज़जीरें,
बरसाओं अगारा,
हिन्दू-मुस्लिम-सिख़ हमारा,
भाईं-भाई प्यारा,
यह हैं आज़ादी का झ़ंडा,
इसें सलाम हमारा ||

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