रविवार पर कविता, Poem on Sunday in Hindi

Poem on Sunday in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ रविवार पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

रविवार पर कविता, Poem on Sunday in Hindi

Poem on Sunday in Hindi

1. रविवार पर कविता

मम्मी आज हमारी छुट्टी
प्लीज, अभी सोने दो ना
सुबह सुबह मीठी निंदिया में
थोड़ा सा खोने दो ना

ले देकर संडे मिलता है
थोड़ी मौज मनाने को
वरना मना कहाँ करते हैं
पढ़ने लिखने जाने को

आँख मूँद कर चिंता सारी
सपनों में धोने दो ना

होमवर्क देती क्यूँ टीचर
कोई उनको समझाए
संडे को हम खेलें कूदें
खाते पीते दिन जाए

ताले भीतर रख दो बस्ते
लाकर नए खिलौने दो ना

काश रोज ही संडे होता
तो कितना अच्छा होता
घर पर ही रहता हर बच्चा
खाता पीता और सोता

लेकिन ऐसा कभी न होगा
जो होता होने दो ना

2. Poem on Sunday in Hindi

अगर हफ्ते में छह दिन
आ जाता इतवार
वाह वाह के शब्द निकलते
होती जय जयकार

वालीवाल, क्रिकेट, कबड्डी
खेल खेलते खूब
इतराते फिरते मस्ती में
हम तो निसिदिन डूब

एक दिवस ही जाना पड़ता
शाला आखिरकार

सुबह देर तक सोना भाता
लड्डू पेडे खाते
होमवर्क के हाथी घोड़े
हमसे आँख चुराते
टीचर से भी रहती दूरी
पड़ती हमें न मार

कभी घूमने जाते शिमला
कभी पहुँचते ऊटी
होठों पर सज जाती आकर
मुस्कानों की बूटी
खुशियों से महका करता फिर
बचपन का संसार

3. Hindi Poem On Sunday

रविवार को बंद रहता था स्कूल
छुप कर आराम करती थीं किताबें
पुरानी पैंट के झोले में
कॉपियों पर पैर फैला कर
लेकिन उठ जाते थे हम सब
रूटीन से काफी पहले
कभी मूंगफली बोने
गेहूं के खेत में पानी लगाने
अरहर के मजबूत पेड़ को
बांके के एक ही वार से
गिरा देने का सुख लूटने

मुंह अँधेरे साइकिल पर बस्ते की जगह
होता था डीजल की जरीकेन
कभी होती ओस भरी पतली मेड पर
डगमगाती साइकिल के कैरियर में
पुरानी रबर ट्यूब से कसी गेहूं की बोरी

रविवार को ही लगता था साप्ताहिक बाजार
लाना होता था पूरे हफ्ते की सब्जी
डालडा भैंस के लिए खली, लालटेन का शीशा

कभी कभी खराब मौसम में मुस्कुराता था रविवार
होती थी कबड्डी
उफनाए ताल में तैराकी प्रतियोगिता
ऊदल का ब्याह या माड़ों की लड़ाई
दहला पकड़

मैंने कभी अलसाया हुआ रविवार
नहीं देखा बचपन में

4. बच्चों का त्योहार

कितना जल्दी भागा आता
बच्चों का त्योहार
सूरज बाबा ने दिया है…

हमको यह उपहार

ना तो सुबह, सुबह ही उठना
ना ही बस्ता जमाना
भारी-भरकम मोटा बस्ता
कंधे नहीं उठाना

पानी की बोतल भरकर के
गले नहीं लटकाना
मुड़ा-तुड़ा ठंडा पराठा

आज नहीं है खाना

भागा-भागा मिलने आता
हमसे ये त्योहार
सूरज बाबा ने दिया है…

हमको यह उपहार

खीर-पूड़ी की मीठी खुशबू
लार टपकती आती
गोदी में बैठा के माता
अपने हाथ खिलाती

बैठ कार में पिकनिक जाते
बन ठनकर महाराजा
खेले-कूदे भरे चौकड़ी
खुशी का बजता बाजा

पूरा जग ही खुशी मनावे
यह है रविवार
छ: दिन के पीछे आ जाता
मिलने ये त्योहार

सूरज बाबा ने दिया है…
हमको यह उपहार।

साभार – देवपुत्र

5. रविवार का प्यारा दिन

रविवार का प्यारा दिन है,
आज हमारी छुट्टी है।
उठ जायेंगे क्या जल्दी है,
नींद तो पूरी करने दो।
बड़ी थकावट हफ्ते भर की,
आराम ज़रूरी करने दो।

नहीं घड़ी की ओर देखना,
न करनी कोई भागम- भाग।
मनपसंद वस्त्र पहनेंगे,
आज नहीं वर्दी का राग।

खायेंगे आज गर्म पराँठे,
और खेलेंगे मित्रों संग।
टीचर जी का डर न हो तो,
उठती मन में खूब उमंग।

होम-वर्क को नमस्कार,
और बस्ते के संग कुट्टी है।
मम्मी कोई काम न कहना,
आज हमारी छुट्टी है।

~ श्याम सुन्दर अग्रवाल

6. Short Poem On Sunday In Hindi Language

एक संडे ही तो है,
मजे का एक दिन ही तो है ।
देर तक सोने की लालसा है,
इसके अंत का मलाल-सा है,
इसके आने को गिन-ते तो है।
ना देखता है कोई भी नहाने को,
जाता है थोड़ा खेल कूद आने को,
सारा दिन पढ़ाई के बिन ही तो है।

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