परी पर कविता, Poem on Pari in Hindi

Poem on Pari in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ परी पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

परी पर कविता, Poem on Pari in Hindi

Poem on Pari in Hindi

1. परी पर कविता – आयी सुंदर एक परी है

मेरे घर के आँगन में आयी,
सुंदर सी एक परी है।
मेरी ममता के आँचल में,
खिली जैसे कोई कली है।

रुई के फायों सी मुलायम ,
नर्म अहसासों से भरी है।
लाल होंठ ,गुलाबी गाल,
हीरों सी चमकती लड़ी है।

कभी- कभी रो रही है,
कभी- कभी हँस रही है।
ममता के मेरे आँचल को,
खुश्बू से भर रही है।

एक सुखद अहसास ,
मेरे अंदर भर रहा है।
माँ मुझे बनाकर मुझको,
पूर्णता से भर गयी है।

– राजेश्वरी जोशी

2. Poem on Pari in Hindi

एक रात मेरे सपने में
एक प्यारी-सी परी आई,
मैं दूर खड़ा था और
वह धीरे-धीरे पास चली आई।।

वह थोड़ी-सी नटखट है
और थोड़ी भोली भाली है,
चेहरा उसका चांद जैसा
और होंठ सूरज की लाली हैं।

और बाल उसके रेशम जैसे
दोनों आंख उसकी मोती है,
मैं जन्नत वाली सैर करता
जब बातें उससे होती है।

जी चाहता चूम लूं उसके
इन अनछुई फोटो को,
पर बिना इजाज़त डरता हूं
और रोक लेता हूं होठों को।

और छोड़ हकीकत सपनों में,
मैं उसके लिए जीता हूं,
तसबीह उसके नामों का
पढ़ कर ही मैं सोता हूं।

रूठ ना जाए मुझ से वह
दिल पलपल मेरा डरता है,
मेरी रूह शायद इश्क़ इबादत
उसी परी से करता है।

जियाउल हक

3. Hindi Poem On Pari

रात मेरे सपनों में आई
परी सुनहरे पंखों वाली
हाथ प्यार से फेरा सिर पर
दी किताब फिर एक निराली

कथा कहानी गीत थे उसमें
सुंदर सुंदर थे संदेश
रंग बिरंगे चित्र बने थे
इन्द्रधनुष जैसा परिवेश

प्यार लुटाते रहना सब पर
कुछ ऐसी थी प्यारी सीख
पेड़ नदी पर्वत पशु पक्षी
इन्हें समझना अपना मीत

ध्यान पढ़ाई पर तुम देना
बड़ों का करना आदर खूब
टीचर जी की बात मानना
साफ़ सफाई रखना खूब

अगला पन्ना खुलता जब तक
टूट गये सपने मेरे
जितने पन्ने पढ़ पाए थे
काम बहुत आए मेरे

4. Short Poem On Pari In Hindi Language

एक परी ने कल सपने में
दिए बहुत से पैसे
आओ मम्मी तुम्हें सुनाऊं
खर्च किए सब कैसे?

दादा जी को एनक लाया
दादी जी को साड़ी
फिर मैंने पापा को ले दी
नीली मोटरगाड़ी

भैया जी को बल्ला लाया
दीदी को अलमारी
और तुम्हारी लिए खरीदी
घर की चीजें सारी

मम्मी ने यह कहकर झट से
उसको गले लगाया
अपने लिए नहीं क्यों पगले
कुछ भी लेकर आया?

5. मुन्नी से बोलीं मम्मी

मुन्नी से बोलीं मम्मी
सपने में मैंने तो कल
तरह तरह की परियों का
देखा रंग बिरंगा दल!

सुनकर नन्हीं मुन्नी ने
खुश हो मारी किलकारी
पूछा मम्मी, बतलाओं
कितनी थीं परियाँ सारी?

मम्मी कुछ कहतीं उससे
पहले ही नन्हा मुन्ना
तुतलाकर यों बोल उठा
मुन्नी का भाई चुन्ना

मम्मी ने चछ्मा लख देतीं
छोने छे पहले हल दिन
उछ्को पहने बिना भला
वो कैसे छ्कती थीं गिन?

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