मछली पर कविता, Poem on Fish in Hindi

Poem on Fish in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ मछली पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

मछली पर कविता, Poem on Fish in Hindi

Poem on Fish in Hindi

1. मछली पर कविता

तैर-तैर मछली इठलाती,
जल की रानी है कहलाती।

पंख सुनहरे नित चमकाती,
बिना कांटा पकड़ी नहीं जाती।

पानी में ही जीवित रहती,
पर भूखों का दुख न सहती।

परहित जीवन सदा लुटाती,
बलिदानी जग में कहलाती।
– सुगनचंद्र ‘नलिन’

2. Poem on Fish in Hindi

मैं हूं एक सोन मछली
तुम हो कौन?
लग रही कुछ कुछ मेरे जैसी
मैं बातूनी पर
तुम हो मौन
यहां से चली जाओ
वापिस अपनी दुनिया में
मेरे जीवन में तुम्हारा
नहीं कोई काम
बेमोल हो तुम
इस दुनिया में तुम्हारा
शून्य है दाम
तुम्हारा दिल
सोने का है
लेकिन तुम एक स्वर्ण मुद्रा
नहीं
तुम्हारी भावनाओं का
इस संसार में कोई महत्व नहीं
तुम मेरे मन के मुताबिक भी
नहीं
मेरे लिए भी तुम्हारा होना
व्यर्थ है
हो सके तो तुम अपनी जंग
खुद लड़ो
अपने अस्तित्व की खुद
रक्षा करो
अपने गुणों को खुद सराहो
सागर के दर्पण में खुद को
देखो और
मौन रहकर
खुद को ही पुकारो
खुद की आवाज को
अपने भीतर कहीं
तलाशो
खुद को पहचानो
खुद को चाहो
खुद के पीछे भागो
सागर की लहरों पे मत
विचरो
इसकी तलहटों में
अपने घर में
एकांत में
एक कोने में
चुपचाप बैठी रहो
ज्यादा शोर मत करना
भीतर रही या
बाहर निकली
तो मौका देखकर
कोई न कोई तुम पर
आक्रमण कर देगा
तुम्हारा प्रहरी कोई नहीं
खुद ही बनो अपनी
सुरक्षा कवच
लड़ती रहो
अपने जीवन की लड़ाई
अपने दम पे
अपने ढंग से
जब तलक तुम्हारी
आखिरी सांस तुम्हारा
शरीर न त्याग दे।

मीनल

3. Hindi Poem On Fish

इठलाती मठराती
बल खाती लहराती
जल मेँ
चलती हैँ मदमाती
मनमौजी हैँ मछली

नील कमल पर उड़ती सी
झुंडों मेँ मँडराती
जल मेँ
तिरती हैँ परियोँ सी
जल की रानी हैँ मछली

उन का चलना ही गाना है
रंगोँ से भरा तराना है
गाने मेँ
सरगम है रंगोँ की
चुप चुप – क्या गाती हैँ मछली

चपटी हैँ – मोटी हैँ
लंबी हैँ – छोटी हैँ
तन पर
चित्ती है – धारी है
प्यातरी सी सुंदर हैँ मछली

जल के बाहर भी दुनिया है
प्याेरे प्यािरे बच्चेी हैँ…
हैँ घाती मछुआरे भी
क्या जानेँ
फँस जाती हैँ मछली
भोलीभाली हैँ मछली
प्याभरी प्यानरी हैँ मछली
अरविन्द कुमार

4. जल की तितली मछली

इतने रंग बिरंगे कपड़े
पहन कहाँ को निकली हो
तुम तो मछली रानी लगती
मानो जल की तितली हो

जरा बताओ तो ये कपड़े
किस दर्जी से सिलवाए
किस कारीगर से ये अपने
प्यारे से पर लगवाए?

चलते चलते डुबकी खाना
किससे तुमने सीखा है?
पानी में यह खेल दिखाना
किस्से तुमने सीखा है?

कभी हमें भी न्यौता देकर
घर अपने तुम ले जाओ
और सभी मित्रों से अपने
हमको भी तो मिलवाओं

5. Short Poem On Fish In Hindi Language

माँ मैं अगर बाथटब में भी
डुबकी कभी लगाती हूँ
पल भर में बाहर आ जाती
दम घुटता, घबराती हूँ

पर होता आश्चर्य मुझे है
मछली जल में रहती है
रात रात भर दिन भर जल में
फिर भी सांस न घुटती हैं

मम्मी कहो भला वह कैसे
जल में साँसें ले पाती
कैसे निज संसार बसाती
कैसे वह पीती खाती

सुनो सुनो रे परी, सुनो तुम
मैं मछली का राज बताऊं
कैसे वह जल में रह लेती
किन्तु न घुटती साँस बताऊं

नहीं हमारे तेरे जैसे
मछली को फेफड़े मिले
श्वसन यंत्र कुछ अलग किस्म के
उसके गल में लगे हुए

ऑक्सीजन जो प्राण वायु है
है पानी में घुला हुआ
मुंह में जल भरकर ले लेती
प्राणदायिनी अमृत हवा

इसीलिए तो रात दिवस वह
है पानी में रह लेती
उसका कभी न दम घुटता है
ख़ुशी ख़ुशी से जी लेती

इसीलिए तो कहा गया है
मछली जल की रानी है
जल से बाहर हुई नहीं कि
होती खत्म कहानी है

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