सब्जी वाला पर कविता, Poem on Sabjiwala in Hindi

Poem on Sabjiwala in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ सब्जी वाला पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

सब्जी वाला पर कविता, Poem on Sabjiwala in Hindi

Poem on Sabjiwala in Hindi

1. सब्जी वाला पर कविता

लेकर सब्जी ताज़ी ताज़ी
लो आया है सब्जी वाला

ठेले पर सबसे आगे हैं
ये शिमला के आलू
आलू के संग मटक रहे हैं
अरबी और कचालू

गोभी, बैंगन, मिर्च, टमाटर
ने है घेरा डाला

एक ओर लुक छिपकर बैठी
भिंडी नरम नरक सी
सिमटी है यों मटर कि जैसे
आई बड़ी शरम सी

हाथ लगाते कूदा टिंडा
हरा हरा मतवाला
अलग सभी से रॉब दिखाता
जमकर बैठा कटहल

अदरक नीम्बू, लहसुन की भी
बड़े मजे की हलचल
पूछ रहा है सब्जी वाला
क्या दूं बाबू लाला?
प्रकाश मनु

2. Poem on Sabjiwala in Hindi

सब्जी वाला हमें मास्टर समझता है
चाहे जब ताने कसता है
‘आप और खरीदोगे सब्जियां!
अपनी औकात देखी है मियां!

हरी मिर्च एक रुपए की पांच
चेहरा बिगाड़ देगी आलुओं की आंच
आज खा लो टमाटर
फिर क्या खाओगे महीना-भर?

बैगन एक रुपए के ढाई
भिंडी को मत छूना भाई‚
पालक पचास पैसे की पांच पत्ती
गोभी दो आने रत्ती‚

कटहल का भाव पूछोगे
तो कलेजा हिल जाएगा
ये नेताओं का चरित्र नहीं है जो
चार आने पाव मिल जाएगा!

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