राजा रानी पर कविता, Poem On king Queen in Hindi

Poem On king Queen in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ राजा रानी पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

राजा रानी पर कविता, Poem On king Queen in Hindi

Poem On king Queen in Hindi

1. राजा रानी पर कविता

एक था राजा
एक थी रानी
दोनों करते
थे मनमानी

राजा का तो
पेट बड़ा था
रानी का भी
पेट घड़ा था

खूब थे खाते
छक छक छक कर
फिर सो जाते
थक थक थक कर

काम यही था
बक बक बक बक
नौकर से बस
झक झक झक झक

2. Poem On king Queen in Hindi

नानी नानी, सुनो कहानी,
एक था राजा, एक थी रानी,
नानी नानी, सुनो कहानी,
एक था राजा, एक थी रानी,

राजा बैठा, हाथी पर,
रानी बैठी, पालकी पर,
राजा बैठा, हाथी पर,
रानी बैठी, पालकी पर,

बादल गरजा, बरसा पानी,
भीगा राजा, बच गई रानी,
बादल गरजा, बरसा पानी,
भीगा राजा, बच गई रानी।।।

3. राजा बसन्त, वर्षा ऋतुओं की रानी

राजा बसन्त, वर्षा ऋतुओं की रानी,
लेकिन, दोनों की कितनी भिन्न कहानी !
राजा के मुख में हँसी, कंठ में माला,
रानी का अन्तर विकल, दृगों में पानी ।

डोलती सुरभि राजा-घर कोने-कोने,
परियाँ सेवा में खड़ी सजाकर दोने।
खोले अलकें रानी व्याकुल-सी आई,
उमड़ी जानें क्या व्यथा , लगी वह रोने।

रानी रोओ, पोंछो न अश्रु अन्चल से,
राजा अबोध खेलें कचनार-कमल से।
राजा के वन में कैसे कुसुम खिलेंगे,
सींचो न धरा यदि तुम आँसू के जल से?

लेखनी लिखे, मन में जो निहित व्यथा है,
रानी की सब दिन गीली रही कथा है ।
त्रेता के राजा क्षमा करें यदि बोलूँ,
राजा-रानी की युग से यही प्रथा है।

विधु-संग-संग चाँदनी खिली वन-वन में,
सीते ! तुम तो खो रही चरण-पूजन में।
तो भी, यह अग्नि-विधान! राम निष्ठुर हैं;
रानी ! जनमी थीं तुम किस अशुभ लगन में?

नृप हुए राम, तुमने विपदाएँ झेलीं;
थीं कीर्ति उन्हें प्रिय, तुम वन गई अकेली।
वैदेहि ! तुम्हें माना कलंकिनी प्रिय ने,
रानी ! करुणा की तुम भी विषम पहेली।

रो-रो राजा की कीर्तिलता पनपाओ,
रानी ! आयसु है, लिये गर्भ बन जाओ।
सूखो सरयू ! साकेत ! भस्म हो; रानी !
माँ के उर में छिप रहो, न मुख दिखलाओ।

औ’ यहाँ कौन यह विधु की मलिन कला-सी,
संध्या-सुहाग-सी, तेज-हीन चपला-सी?
अयि मूर्तिमती करुणे द्वापर की ! बोलो,
तुम कौन मौन क्षीणा अलका-अबला-सी ?

अयि शकुन्तले ! कैसा विषाद आनन में?
रह-रह किसकी सुधि कसक रही है मन में?
प्याली थी वह विष-भरी, प्रेम में भूली,
पी गई जिसे भोली तुम खता-भवन में।

माधवी-कुंज की मादक प्रणय-कहानी,
नयनों में है साकार आज बन पानी।
पुतली में रच तसवीर निठुर राजा की
रानी रोती फिरती वन-वन दीवानी।

राजा हँसते हैं, हँसे, तुम्हें रोना है,
मालिन्य मुकुट का भी तुमको धोना है;
रानी ! विधि का अभिशाप यहाँ ऊसर में
आँसू से मोती-बीज तुम्हें बोना है।

किरणों का कर अवरोध उड़ा अंचल है,
छाया में राजा मना रहा मंगल है।
रानी ! राजा को ज्ञात न, पर अनजाने,
भ्रू-इंगित पर वह घूम रहा पल-पल है।

वह नव वसन्त का कुसुम, और तुम लाली,
वह पावस-नभ, तुम सजल घटा मतवाली;
रानी ! राजा की इस सूनी दुनिया में
बुनती स्वप्नों से तुम सोने की जाली।

सुख की तुम मादक हँसी, आह दुर्दिन की,
सुख-दुख, दोनों में, विभा इन्दु अमलिन की।
प्राणों की तुम गुंजार, प्रेम की पीड़ा,
रानी ! निसि का मधु, और दीप्ति तुम दिन की।

पग-पग पर झरते कुसुम, सुकोमल पथ हैं,
रानी ! कबरी का बन्ध तुम्हारा श्लथ है,
झिलमिला रही मुसकानों से अँधियाली,
चलता अबाध, निर्भय राजा का रथ है।

छिटकी तुम विद्युत्‌-शिखा, हुआ उजियाला,
तम-विकल सैनिकों में संजीवन डाला;
हल्दीघाटी हुंकार उठी जब रानी !
तुम धधक उठी बनकर जौहर की ज्वाला।

राजा की स्मृति बन ज्योति खिली जौहर में,
असि चढ़ चमकी रानी की विभा समर में;
भू पर रानी जूही, गुलाब राजा है;
राजा-रानी हैं सूर्य-सोम अम्बर में।
रामधारी सिंह “दिनकर”

4. युग यह परजा का

युग यह परजा का
कहते सब
राजा-रानी इतिहास हुए।
दिन रामराज के बीत चुके
सूरज-भी, सुना, नया आया
है पूजनीय देवा थुलथुल
सब हाट-लाट की है माया
बस जात-पात के
झगड़े ही
अपनी बस्ती में खास हुए।
गुन-अवगुन की बातें छूछी
हैं अंधे युग की घटनाएँ
हो गए गुणीजन व्यापारी
रच रहे नई नित इच्छाएँ
जो आम्रकुंज थे
वे भी अब
लाक्षागृह की बू-बास हुए।
हो रही मुनादी है सपनों की
सभागार में, बंधु, सुनो
कंचनमृग को साधो रथ में
नकली सोने का जाल बुनो
है अवधपुरी भी चकित
देख जो
नंदिग्राम में रास हुए।

यह भी पढ़ें:-

पत्नी पर कविता
शहर पर कविता
सुबह पर बेहतरीन कविता
सरदार वल्लभभाई पटेल पर कविता

आपको यह Poem On king Queen in Hindi कैसी लगी अपने Comments के माध्यम से ज़रूर बताइयेगा। इसे अपने Facebook दोस्तों के साथ Share जरुर करे.

Leave a Comment