हाथी पर कविता, Poem On Elephant In Hindi

Poem On Elephant In Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ हाथी पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

हाथी पर कविता, Poem On Elephant In Hindi

Poem On Elephant In Hindi

1. हाथी पर कविता

धम्मक धम्मक जाता हाथी
धम्मक धम्मक आता हाथी

अपनी सूंड उठाता हाथी
अपनी सूंड गिराता हाथी
जब पानी जाता हाथी
भर भर सूंड नहाता हाथी

धम्मक धम्मक जाता हाथी
धम्मक धम्मक आता हाथी
कितने केले खाता हाथी
यह तो नहीं बताता हाथी

धम्मक धम्मक जाता हाथी
धम्मक धम्मक आता हाथी

2. Poem On Elephant In Hindi

सोच रहा हूँ पाल लूँ हाथी,
लेकिन मन घबराता है।

पेट बड़ा है उस हाथी का,
और बहुत वह खाता है।

जीव अनोखा है धरती का,
बहुत विशाल है काया।

भगवान इंद्र के ऐरावत की,
सभी जानते हैं माया।

अगर क्रोध में हों गजराज तो,
शेर भी पूँछ चुराता है।

सोच रहा हूँ पाल लूँ हाथी,
लेकिन मन घबराता है।

बाइस माह का गर्भकाल है,
सत्तर साल है जीता।

किसी गंध को डेढ़ कोस से,
है यह सूंघ लेता।

बच्चा इसका कुन्तल भर का,
सरपट दौड़ लगाता है।

सोच रहा हूँ पाल लूँ हाथी,
लेकिन मन घबराता है।

हाथी के दांत दिखाने के कुछ,
खाने के कुछ होते हैं।

देख के हाथी चिड़ियाघर में,
बच्चे सब खुश होते हैं।

शादी विवाह में हाथी से ही,
द्वार को पूजा जाता है।

सोच रहा हूँ पाल लूँ हाथी,
लेकिन मन घबराता है।

आमतौर से काले हाथी,
मिलते हैं इस धरती पर।

लेकिन सफेद हाथी भी,
मिलते हैं कुछ हिस्सों पर।

हिमयुग के विशाल मैमथ का,
विज्ञान पता लगाता है।

सोच रहा हूँ पाल लूँ हाथी,
लेकिन मन घबराता है।

सूई को भी सूँड़ से अपने,
उठा सकता है हाथी।

सूँड़ में घुस जाए चींटी तो,
मर सकता है हाथी।

कुत्ते भौंकते रहते हैं और,
हाथी मस्ती में जाता है।

सोच रहा हूँ पाल लूँ हाथी,
लेकिन मन घबराता है।

राजाओं की फौज में हाथी,
करते थे चिंघाड़।

राह में आने वाले दुश्मन,
को देते थे फाड़।

पीलवान के अंकुश से ही,
हाथी काबू में आता है।

सोच रहा हूँ पाल लूँ हाथी,
लेकिन मन घबराता है।

गन्ना-केला बड़े चाव से,
देखो खाता है हाथी।

बुद्धिमान प्राणी होता है,
हाथी मेरा साथी।

पीठ पे अपने बैठाकर वह,
सबको सैर कराता है।

सोच रहा हूँ पाल लूँ हाथी,
लेकिन मन घबराता है।

कान बड़ा होने का सुन लो,
हाथी का तुम राज।

इससे ताप नियंत्रण होता,
जान लो इसको आज।

अपने कीमती दाँत के चलते,
हाथी मारा जाता है।

सोच रहा हूँ पाल लूँ हाथी,
लेकिन मन घबराता है।

बहुत बड़ा तैराक है होता,
हाथी तुम लो जान।

दोगुना बड़ा आंखों से देखे,
इसको भी लो मान।

हाथी गणेश का रूप है होता,
सो वह पूजा जाता है।

सोच रहा हूँ पाल लूँ हाथी,
लेकिन मन घबराता है।

अरविन्द दुबे(मनमौजी)

3. सदा झूमता आता हाथी

सदा झूमता आता हाथी,

सदा झूमता जाता हाथी।

पर्वत जैसी काया इसकी,

भारी भोजन खाता हाथी।

सूंड से भोजन सूंड से पानी,

भर-भर सूंड नहाता हाथी।

छोटी आंखें कान सूप से,

दांत बड़े दिखलाता हाथी।

राजा रानी शान समझते,

बैठा पीठ घुमाता हाथी।

अपनी पर जो आ जाए तो,

सबको नाच नचाता हाथी।

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