भगवान पर कविता, Best Poem on God in Hindi

Best Poem on God in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ भगवान पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

भगवान पर कविता, Best Poem on God in Hindi

Best Poem on God in Hindi

1. Bhagwan Par Kavita

ओ मेरे अच्छे भगवान !
मम्मी पापा मुझे न मारें
और न ही डांटे फटकारें
मेरी करतूतों पर अब वे
कभी न खींचे मेरे कान
दे दे बस ऐसा वरदान

ओ मेरे अच्छे भगवान
चले सदा मेरी मनमानी
खेल कूद ऊधम शैतानी
कोसों दूर रहूँ पढने से
फिर भी बन जाऊं विद्वान्
दे दे बस ऐसा वरदान

ओ मेरे अच्छे भगवान
बिस्कुट चाकलेट औ टॉफी
महंगे होते जाते काफी
मेरे घर के गमलों में ये
उगा करें अब कृपानिधान
दे दे बस ऐसा वरदान

ओ मेरे अच्छे भगवान
जल्दी खूब बड़ा हो जाऊ
छोटों पर फिर रोब जमाऊं
घर में अपना भी हो भगवन्
मम्मी पापा सा सम्मान
दे दे बस ऐसा वरदान

2. God Poem in Hindi

सुबह सुबह जब आंख खुली
चिड़ियों ने चहचहया
हवाओं का झोंका सरसराया
मीठी धूप की किरणो ने सराहा
मानो जीवन धन्य हुआ.

वो कौन है जो तुझे जगाया
वो तू ही तो है वो तू ही तो है
जिसे सबने भगवान बताया.

तू है समाया हुआ
प्रकाश में पुण्य में
विकास में दिव्य में
दुआवों मे प्राथनाओं
हर उस पवित्र भावनाओं में.

जो जीवन देती है
धरा की सभी संरचनाओं में
वो तू ही तो है, वो तू ही तो है
जिसे सबने भगवान बताया।
-Anjana Anjan

3. Ishwar Par Kavita

ज्ञानी कहते है
कि यह दुनिया
ईश्वर की माया है,
माया क्या होती है?
किसी के समझ में
नहीं आया है।

क्या सच है क्या सपना है,
क्या पराया है, क्या अपना है,
मुसीबत में जब कोई सहारा न हो
तो राम नाम जपना है,
छोटी-सी जिंदगी को
जिंदगी भर समझना है,
कितने भी हल ढूंढ लो
पर अंत में उलझना है।

कोई ज्ञान की प्राप्ति से
ईश्वर को पाना चाहता है,
कोई प्रेम की प्राप्ति से
ईश्वर को पाना चाहता है,
कोई दान देकर
ईश्वर को पाना चाहता है,
इस पाने की चाह ने ही
ज्यादा दूरी बढ़ाई है,
ज्ञानी सच ही कहते है
ये ईश्वर की माया है
जो किसी के समझ में
आज तक नहीं आया है।

4. भगवान पर कविता

इस पूरे ब्रह्माण्ड
इस पूरी सृष्टि को
कोई समझ नहीं पाता है,
ईश्वर को कई नामों
से जाना जाता है।

खुद के आस-पास देखो
हमने ईश्वर के नाम पर
सिर्फ आडंबर बढ़ाया है,
धर्म का नाम लेकर मासूमो
को आपस में लड़ाया है
सबको पता है
प्रेम में ईश्वर बसता है
मगर इंसान के स्वार्थ ने
नफरत और आतंक
को बढ़ाया है।

इंसान ने ही धर्म को
व्यापार बनाया हैं,
राजनीति ने इसका
सदा लाभ उठाया है,
जबसे धर्म को बचाने
का जिम्मा मूर्खों के
कन्धों पर आया है,
तब से सर्वश्रेष्ठ बनने की
होड़ ने नफरत और
आतंक को बढ़ाया है।

इस पूरे ब्रह्माण्ड
इस पूरी सृष्टि को
कोई समझ नहीं पाता है,
ईश्वर को कई नामों
से जाना जाता है।

5. Best Poem on God in Hindi

ईश्वर कहाँ हैं?
प्रेम की मिठास में,
फकीरों के लिबास में,
सच के एहसास में.
इंसान के हर सांस में
जीवन के आस में,
मन के विश्वास में हैं।

ईश्वर कहाँ हैं?
पत्थर के आकार में,
पेड़-पत्ते हर डार में,
समंदर के खार में,
जीव के व्यवहार में,
जीत और हार में,
मासूम से प्यार में है।

ईश्वर कहाँ हैं?
मष्तिस्क के ज्ञान में,
जीवन के विज्ञान में,
संगीत के गान में,
मुनियों के ध्यान में,
नन्हीं चींटी की जान में,
सच के बयान में हैं।

ईश्वर कहाँ हैं?
इस ब्रह्माण्ड के
कण-कण में,
बीते हुए और
आने वाले क्षण में,
खुद के अंदर देखो
हमारे मन में हैं।

6. कोई मंदिर, कोई मस्जिद

कोई मंदिर, कोई मस्जिद
कोई गुरद्वारा तो कोई चर्च में
ईश्वर की प्रार्थना के लिए जाता है,
और वो इस सृष्टि का स्वामी
किसी शबरी की कुटिया में
प्रेम से दिए जूठे बेर खाता है।

हर कोई ईश्वर को पूजा,
अजान, प्रेयर, यज्ञ, व्रत, रोजा
करके पाना चाहता है,
और वो ईश्वर यशोदा के
आँगन में आकर माखन
चुराना चाहता है।

ईश्वर को पाने के लिए
ईश्वर की शक्ति को पाने के लिए
जप, तप, बलि, तंत्र-मन्त्र
आदि बेवजह आजमाता है,
ईश्वर तो प्रह्लाद जैसे भक्तों
को हर मुसीबत से बचाता है।

ईश्वर को तुम पा नहीं सकते
आडंबर भरे व्यवहार से,
ईश्वर को तुम पा नहीं सकते,
स्वार्थ, लालच और अहंकार से,
ईश्वर तो हर सुदामा का दोस्त है
अगर कोई पुकार ले प्यार से।

7. ईश्वर के हों भले ही रूप अनेक

ईश्वर के हों भले ही रूप अनेक
सभी के भगवान हैं केवल एक

सम्पूर्ण सृष्टि को वो है चलाता
तभी कहलाए भाग्य- विधाता

मर्ज़ी बगैर इनकी पत्ता ना हिले
स्व-कर्मों से ही सुख-दुःख मिले

कष्ट ना कभी पहुंचाना , ना ही देना धोखा
ऊपर वाले के पास है, सबका लेखा-जोखा

इनका सोचा प्लान कभी फेल नही होता
इनके ध्यान सागर में लगा लो सब गोता

अग्नि,जल,पशु हो या भूमि,वृक्ष – वायु
सन्मार्ग पर चलने से निश्चित बढ़ेगी आयु

बिना भक्ति भाव से ईश्वर का अर्चन कैसा
किनारे पर बैठकर सागर के दर्शन जैसा

सूरज देवता बनकर करे रोज़ ये सवेरा
चांद बनकर निकलते जब छाए अंधेरा

ना हो उदास मैं, तेरे ही आसपास हूँ
दिल से तू याद कर, मैं तेरा विश्वास हूँ

भरोसा खुदा पर है तो
तक़दीर का लिखा पाओगे
यक़ीन ख़ुद पर है तो खुदा
वही लिखेगा जो आप चाहोगे

– पंकज जैन

8. ऐ मौला मेरे तु इतना बता

ऐ मौला मेरे तु इतना बता
इतनी सी क्यों तुने दी ज़िन्दगी
करता हर कोई हिफाज़त यहाँ
पर तेरे आगे हैं किसकी चली

कुछ दिन की दिवाली देखी यहाँ
अपने सपनों को रोशन किया
कुछ पल सजाई रंगोली यहाँ
फिर उड़ गया वह रंग अब कहाँ
ढूंढे ना जाने ये सारा जहाँ
ये चाल तूने है कैसी चली

कागज़ पे रंगा ये सारा जहान
लहलहाती धरती खुला आसमान
रंगता मिटाता तु देता आकार
इस पूरे जहां का तु चित्रकार
संभाले कहाँ तक किसी को यहाँ
है कागज की नैय्या कब तक चली

ये जग तो समंदर हर गम इसके अंदर
जर्रा ये जीवन सहे कैसे बवंडर
जजबात का ज्वार तु लाता यहाँ
किसको ले जाता कहाँ से कहाँ
ना जाने कोई तु जाने है सब
है साहिल के पत्थर कहाँ कब चली

 Lokesh Indoura

9. मेरे भगवान मेरे खुदा

मेरे भगवान मेरे खुदा
कोई तो राह तु दिखा
आजा आजा अब तु आजा
कैसे चलूँ मैं ज़रा सीखा

भरता तु झोली सबकी
ख्वाहिशें पूरी करता तु
हो ना सका जो बरसों में
पलभर में वह करता तु
नाम रटता जहाँ सारा
तुझे पाने का राज बता

तेरी रंगत बड़ी प्यारी
नजरें जाये वारी वारी
देख करता पूजन तेरा
मन भजन की तैयारी
इस तन मन का माली तु
हो ना सके तुझ से खता

हो धनवान या हो गरीब
तेरे दर पे सब बराबर
हर तरफ तेरी माया
तु ही धरती तु ही अम्बर
हो गई पीर बहुत मेरी
मुझको यूँ तु ना सता

 Lokesh Indoura

10. सत्य के साक्षात्कार में

सत्य के साक्षात्कार में,
मन के विश्वास में,
आशाओं के समुंदर में,
है बसा वो।
निराकार है, अदृश्य है,
परंतु है सारभौमिक।
सकल ब्रम्हांड में व्याप्त है,
हो प्रकृति, धरा या पाताल।
है वो हर साँस में,
जीवन की हर आस में,
बंद नेत्रों में भी,
और खुले आकाश में।
वाद्य है, वो ही स्वर,
नही है नश्वर, है वो अमर,
है वही, हाँ वही है,
साकार ब्रह्म ईश्वर।
– Nidhi Agarwal

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