आम पर कविता, Poem on Mango in Hindi

Poem on Mango in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ आम पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

आम पर कविता, Poem on Mango in Hindi

Poem on Mango in Hindi

1. Short Poem on Mango in Hindi

मेढ़क बोला आम दे
चिड़ियाँ बोली दाम दे
मेढ़क बोला दाम नहीं
चिड़ियाँ बोली आम नहीं
एक आम नीचे टपका
मेढ़क ने झट से लपका
चिड़ियाँ बोली खाना मत
मेढ़क बोला आना मत
चिड़ियाँ बोली आम दे
मेढ़क बोला दाम दे|

2. आम पर कविता

आमों के पेड़ों पर देखो
लटक रहे हैं कच्चे आम,
झूम रहे हैं संग हवा के
टहनी के दामन को थाम।

अभी हरे हैं पके नहीं हैं
अन्दर से हैं बहुत कठोर,
तोते कोयल इन्हें कुतरने
लगा रहे हैं पूरा जोर।

कुछ दिन में ये पक जाएँगे
सहते सहते आतप धूप,
दमक उठेगा तब सोने – सा
इनका चटक सुनहरा रूप।

टपक पेड़ से ये पड़ते हैं
आने पर आँधी तूफान,
फसल हुई तैयार आम की
जाते हैं यह समझ किसान।

कच्चे पक्के आमों का तो
कई तरह से है उपयोग,
शुभ अवसर पर पत्तों की भी
वन्दनवार बाँधते लोग।

इनके मीठे रस में होता
खट्टेपन का भी आभास,
बना फलों का राजा देते
इनको इनके गुण ही खास।

औरों को रस देने वाले
पा जाते गुठली के दाम,
पत्थर खाकर भी मुस्काते
संतों – से उपकारी आम।

3. Poem on Mango in Hindi

गर्मी का मौसम आया है,
मीठे-मीठे आम संग लाया है,
बच्चे-बूढ़े-जवान सबके मन को भाता है,
खाने को जिसको मिल जाए वो खुश हो जाता है.

पके रसीले आम देखकर मन ललचाया,
पेड़ से तोड़कर ढेर सारा आम लाया,
घर में सबको दो-दो आम बांटकर
बाकी आम अकेले खाया.

4. आम फलों का राजा कहलाता है

आम फलों का राजा कहलाता है,
मीठा आम सबको खूब भाता है,
इसे देखकर बच्चों का मन ललचायें,
आम मिलने पर इसको जम कर खाये.

पीला-पीला बड़ा रसीला होता है आम,
बच्चे खाते है इसको सुबह और शाम,
फलों का राजा होता है आम.
इसको खाने के चक्कर में लोग छोड़ देते है काम.

छोटे बच्चो के सपने में आता है आम,
सपने में छोटू खाता है आम,
सुबह-सुबह मम्मी देती है जगा
छोटू रोता है कहकर आम-आम.

मम्मी कहती बागों में है मुस्काते आम,
तुम्हारे मन को जो भाते है आम,
मीठी-मीठी महक बिखरे
पेड़ो पर कच्चे-पक्के प्यारे आम.

बाग़ में जाओ,
ढेर सारा आम लाओ,
सबके संग बांटकर
इसको प्यार से खाओ.

5. मीठे और रसीले आम, दादाजी के बाग में

मीठे और रसीले आम, दादाजी के बाग में।
हम जाते जब होती शाम, दादाजी के बाग में।।

कच्चे और पके आमों से,
झुकी बाग की डाली।
रात और दिन करते रहते,
दो माली रखवाली।।

तोते आते रोज तमाम, दादाजी के बाग में।
मीठे और रसीले आम, दादाजी के बाग में।।

अच्छे लगते आम रसभरे,
हम सब मिल कर खाते।
आम फलों का राजा होता,
दादाजी समझाते।।

नीलम, केसर, लँगड़ा आम, दादाजी के बाग में।
मीठे और रसीले आम, दादाजी के बाग में।।

आम बहुत गुणकारी होता,
सेहत सही बनाता।
और आम के पत्तों से भी,
रोग दूर हो जाता।।

गुठली के मिल जाते दाम, दादाजी के बाग में।
मीठे और रसीले आम, दादाजी के बाग में।।
त्रिलोक सिंह ठकुरेला

6. रसभरे आम कितने मीठे

रसभरे आम कितने मीठे
पत्तों के नीचे लटक रहे

आंखों में कैसे खटक रहे

इन चिकने सुंदर आमों पर
पीले रंग कैसे चटक रहे

सब आने जाने वालों का
यह पेड़ ध्यान बरबस खींचे

रसभरे आम कितने मीठे

मिल जाएं आम यह बहुत कठिन
पहरे का लठ बोले ठन-ठन

रखवाला मूंछों वाला है
मारेगा डंडे दस गिन-गिन

सपने में ही हम चूस रहे
बस खड़े-खड़े आंखें मीचे

रसभरे आम कितने मीठे

पापा के ठाठ निराले थे
बचपन के दिन दिलवाले थे

उन दिनों पके आमों पर तो
यूं कभी न लगते ताले थे

खुद बागवान ही भर देते
थे उनके आमों से खींसे

रसभरे आम कितने मीठे।

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