9+ भाई पर कविता, Poem on Brother in Hindi

Poem on Brother in Hindi : आपको इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन भाई पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. यह सभी Brother Poem in Hindi को हमारे लोकप्रिय और प्रसिद्ध कवियों द्वारा लिखी गई हैं. आप इन सभी Hindi Poem On Brother को अपने भाई के साथ शेयर कर सकते हैं. और अपने मनोभाव को प्रकट कर सकते हैं.

भाई – भाई और भाई बहनों का एक अनोखा प्यार का रिश्ता हैं. रक्षाबंधन तो भाई – बहन का एक त्यौहार भी हैं. जिस दिन बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधकर अपने रिश्ते को और गहरा बनाती हैं. और भाई भी अपने बहन के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं.

वैसे तो हमारे जीवन में अनेकों महत्वपूर्ण रिश्ते होते हैं. जिसमे कुछ खास रिश्ते होते हैं. जिनके बिना जीवन अधूरा सा लगता हैं. इनमे भाई का रिश्ता भी हैं जो कभी पिता की तरह डाँटता हैं. तो कभी माँ की तरह दुलारता भी हैं.

अब आइए कुछ नीचे Poem on Brother in Hindi में दिया गया हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह भाई पर कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

भाई पर कविता, Poem on Brother in Hindi

Poem on Brother in Hindi

1. Poem on Brother in Hindi – मेरे प्यारे भाई

मेरे प्यारे भाई
हो तुम मुझसे छोटे
लेकिन रिश्ते यूँ निभाते हो
जैसे हो मेरे से बड़े
जीवन पथ पर चलत चलत
जब मेने ठोकर खाई
सर ऊँचा कर देखा
साथ तुम्हारा पाई |

जब तुमने मुझे देखा
मुख मलिन था मेरा
फिर तुम कभी न खुश रहते
तुम्हारी हर कोशिश मुझे खुश रखने की
लेकर आगे कदम बढ़ाया
सर उठा कर देखा तो
हाथ तुम्हारा आगे पाया |

आँखों में आसूं मेरे होते
मायूस तुम नजर आते
सांत्वना की बड़ी टोकरी ले
मेरे सामनेसदा तुम्हे ही पाया
सिर उठाकर देखा तो
पास तुम्हे ही पाया ||

कोई परेशानी न हो ऐसी
जिसका समाधान न तुमने पाया
मेरे से ज्यादा विश्वास तुमपर
सदा आधार उसे बनाया
सर उठाकर देखा तो
हाथ तुम्हारा आगे पाया ||

चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा
सब बच्चों से हमेशा गाया
बाल मन पढने में माहिर
क्या तुमने जादू छड़ी घुमाया
जो काम तेरी बहन नही कर पाती
मेरे भैया तुमने झट से कर दिखाया
सर ऊँचा कर देखा तो
सामने तुम्हे ही खड़ा पाया | |

2. भाई पर कविता – गलती पर मुझको

गलती पर मुझको
जो है डांटता
मेरा सुख-दुःख सब कुछ
वो हैं बांटता,
दीवार बना वो खड़ा रहे
कोई जब भी मुसीबत आई है
मेरे पिता की वो परछाई है
वो मेरा प्यारा भाई है।

बचपन से रहा वो संग मेरे
हमने खेलें हैं खेल कई
हारा मुझसे वो जानबूझ कर
पर मुझसे कभी लड़ा नहीं,
जीवन में कभी जो उलझा मैं
उसने हर उलझन सुलझाई है
मेरे पिता की वो परछाई है
वो मेरा प्यारा भाई है।

धूप है जो ज़िन्दगी
तो वो प्यारी सी छाँव है
मेरे लिए जब चलते तो
थकते न उसके पाँव हैं.,
मेरे चेहरे पर लाया ख़ुशी
जब भी उदासी छाई है
मेरे पिता की वो परछाई है
वो मेरा प्यारा भाई है।

3. Brother Poem in Hindi – कुमकुम अक्षत थाल सजाए

कुमकुम अक्षत थाल सजाए
भाइयों पर अटूट प्रेम बरसाए
बहनों का आज मन हरषाए
भाइयों को प्रेम से तिलक लगाए।
बचपन के वो लडाई झगड़े
बीती यादों से मन सज जाएँ
प्रेम ही प्रेम रहें बस ह्रदय में
भाइयों से आज आशीष पाएँ
रक्षा का अनमोल वादा पाकर
बहनों की खाली झोली भर जाएँ
भाई दोज की शुभ बेला आई
फिर क्यों न मन हर्षित हो जाएँ।
भैया दूर रहो या पास कभी तुम
बहने खुशहाली के दीप जलाए
भाई बहिन का रिश्ता ही है खास
चलो धूमधाम से आज पर्व मनाए।

4. Hindi Poem On Brother

भाई दूज का पावन पर्व मैं मनाऊं
सनेह भरी अभिव्यक्ति देकर
तेरी खुशहाली के मंगल गीत मैं गाऊ
आ भैया तुझे तिलक लगाऊं।

कितना पावन दिन यह आया
जिसने भाई बहन को फिर से मिलाया
मनं मैं बहती स्नेह की गंगा
ख़ुशी के अश्रुँ को मैं कैसे छुपाऊं
आ भैया तुझे तिलक लगाऊ।

भाई दूज का पावन पर्व मैं मनाऊ
सनेह भरी अभिव्यक्ति देकर
तेरी खुशहाली के मंगल गीत मैं गाऊ
आ भैया तुझे तिलक लगाऊं।

खुशकिस्मत है मुझ जैसी बहना
जिसे दिया है ईश्वर ने भाई सा गहना
तुझे टीका लगाऊ, मुहं मीठा करवाऊ,
तेरी लम्बी उम्र की शुभकामना कर
तुझ पे वारी मैं जाऊं
आ भैया तुझे तिलक लगाऊं।

भाई दूज का पावन पर्व मैं मनाऊं
सनेह भरी अभिव्यक्ति देकर
तेरी खुशहाली के मंगल गीत मैं गाऊ
आ भैया तुझे तिलक लगाऊं।

आरती की मैं थाली सजाऊ
रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक लगाऊं
कभी न तुझ पे आए संकट
तेरे उज्ज्वल भविष्य के कामना गीत मैं गाऊ
आ भैया तुझे तिलक लगाऊं।

भाई दूज का पावन पर्व मैं मनाऊं
सनेह भरी अभिव्यक्ति देकर
तेरी खुशहाली के मंगल गीत मैं गाऊ
आ भैया तुझे तिलक लगाऊ।।

5. बचपन साथ ब़िताया।

बचपन साथ ब़िताया।
एक़ ही बर्तंन मे खाया!
किसी से लडने पर,
साथ मे आँख़ दिख़ाया।
पर्वं त्यौहार सब मिलकर,
ख़ुशी-ख़ुशी मनाया।
शादी मे साथ-साथ नाचा,
भाईं-दोस्ताना निभाया!
बचपन क़ा प्यार, भूल नही ज़ाना।
बचपन का प्यार, भूल नही ज़ाना।।
घर-गृहस्थीं साथ चलाया
पर अचानक़ ,यह क्या,
पिताज़ी के गुज़रते ही,
मां के रहनें के बाद भी,
रोज दरक़ने लगे रिश्तो के,
एक ख़ूबसूरत आईंना,
ज़िस आईनें को देख़कर,
पुलक़ित होते थें घर-परिवार,
परिवार क़ा हर एक चेंहरा,
चेहरें पर फ़ैल जाता था,
आत्मीयता के गहरें भाव
पर घर,ज़मीन, ज़ायदाद के,
इसी लोभ रूपी दलदल मे
फ़ंसता और धंसता ,
चल गया, ख़ून के रिश्तें
अब हर गांव-शहर के ,
मां के पेट मे पलनेंवाले,
जुडवां बच्चें भी,लडने लगे,
झ़गड़ने लगें,बाहर आकर
सब ज़ानते है, कुछ लेक़र,
नही जाना हैं ,इस ज़ग से,
फ़िर भी शत् प्रतिशत लोग,
वहीं करते है, जो दुर्योंधन ने,
पांडवो के साथ क़िया
आज़ भी दुर्योंधन जिन्दा हैं,
जिसका इतिहास मे निन्दा हैं
तब भाई के रिश्तें को निभाओं,
लक्ष्मण और भरत के समान,
क्यो देतें हो,एक इंच पर ध्यान,
निक़ल ज़ाता हैं तेरा प्राण,
क्या इस तरह बढेगा ,ज़ग मे मान ,
यहीं समझ़ाना हैं,यहीं बताना हैं
बचपन का प्यार, भूल नही ज़ाना हैं
बचपन का प्यार ,भूल नही ज़ाना हैं।।

6. राम क़ो ज़ैसे मिले थें लक्ष्मण

राम क़ो ज़ैसे मिले थें लक्ष्मण
ब़लराम को कृष्ण कन्हाईं,
ऐसें ही इस ज़न्म मे मुझ़को
मिला हैं मेरा प्यारा भाई,

घर मे उससें ही रौंनक रहती
हरक़त करता हैं बचक़ानी,
उम्र बढ रही हैं फ़िर भी
अब तक़ करता हैं शैंतानी,

न चिन्ता माथें पर रहती
न होठो पर ख़ामोशी,
ऐसा कोईं काम न क़रता
ज़िस से हो कभीं नमोशी,

ज़ितना वो लडता हैं मुझ़से
उतना हीं प्यार ज़ताता हैं,
चेहरें पर देख़कर उलझ़न वो
झ़ट उसको दूर भगाता हैं,

उम्र भलें छोटी हैं मुझ़से
पर बाते क़रता स्यानी हैं,
हर घटना को ऐसें बताता
ज़ैसे कोई कहानी हैं,

क़ितना भी डराऊं उसको मै
वो कभीं न मुझ़से डरता हैं,
मेरी हर एक़ बात मे वो
मेरें लिए हामीं भरता हैं,

कैंसे बया करू मै कैंसी
क़िस्मत हैं मैने पाई,
भग्वान सरीख़े माँ-बाप है मेरे
फ़रिश्ते ज़ैसा भाई,

राम क़ो ज़ैसे मिले थें लक्ष्मण
बलराम कों कृष्ण कन्हाईं,
ऐसें ही इस ज़न्म में मुझ़को
मिला हैं मेरा प्यारा भाई।

7. गलती पर मुझ़को

गलती पर मुझ़को
जो हैं डाटता
मेरा सुख़-दुख़ सब कुछ
वो है बाटता,
दिवार बना वो ख़डा रहे
कोईं जब भी मुशीबत आई हैं
मेरें पिता की वो परछाईं हैं
वों मेरा प्यारा भाई हैं।

बचपन सें रहा वों संग मेरें
हमनें खेले है ख़ेल कई
हारा मुझ़से वो ज़ानबूझ कर
पर मुझ़से कभीं लडा नही,
ज़ीवन मे कभीं जो उलझ़ा मै
उसनें हर उलझ़न सुलझ़ाई हैं
मेरें पिता की वो परछाईं हैं
वोंं मेरा प्यारा भाई हैं।

धुप हैं जो जिन्दगी
तों वो प्यारी सी छांव हैं
मेरे लिये ज़ब चलते तों
थक़ते न उसके पांव है.,
मेरें चेहरे पर लाया खुशी
ज़ब भी उदासी छायी हैं
मेरें पिता की वो परछाईं हैं
वों मेरा प्यारा भाई हैं।

8. Short Poem On Brother In Hindi Language

भैया बहुत सताए मुझको
चोटी खींच रूलाए मुझको
गुड़िया मेरी छीने भागे
पीछे बहुत भगाए मुझको

मेरी पुस्तक रंग उसके है
खेलें कैसे ढंग उसके है
क्या खाना है क्या पहनाऊं
नए नए हुडदंड उसके हैं

फिर भी तुमको क्या बतलाऊं
प्यार उसी पर आए मुझको
मेरा प्यारा न्यारा भैया
कभी दूर ना भाए मुझको

9. मेरा भइया मेरे जैसा

मेरा भइया मेरे जैसा
कमरे में ही रहते हम
खाना खाते पढने जाते
संग कभी टहलते हम

भइया बनता बड़ा पढाकू
मुझको डांट पिलाता है
छक्के जड़ता हूँ मैंदा में
ध्यान कभी न लाता है

चुगली खाना है पापा से
मुझको तनिक नहीं भाता
करो पढाई करो पढाई
दिन भर बस रटता जाता

उसके कई राज मैं जानूं
सबको उन्हें बताऊंगा
सभी पसंदीदा चीजों को
कल से कहीं छुपाऊंगा

पापा की पेन नई नई थी
इसने उसे उठाया था
दो दिन इसने खूब लिखा था
फिर चुपके रख आया था
कमला दीदी से कहता था
गणित जरा सुलझाओ ना
पापा ने जो प्रश्न दिए है
हल तो जरा बताओ ना

सारे राज खोल डालूँगा
इसको डांट पड़ाऊँगा
गायब टीवी का रिमोट कर
इसको खूब छ्काऊंगा

यहाँ न बैठों ये मत छुओं
रोज रोज समझाता क्यों
अपनी कोई नहीं बताता
मेरे राज बताता क्यों?

मार पिटाई करता रहता
मुझ पर ही गुर्राता क्यों?
काम सभी मुझसे करवाता
भइया घौंस जमाता क्यों?

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