नफरत शायरी, Nafrat Shayari in Hindi

Nafrat Shayari – दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको कुछ बेहतरीन नफरत शायरी का संग्रह दिया गया हैं. आइए इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की आपको यह सभी Nafrat Shayari in Hindi में पसंद आयगी.

नफरत शायरी, Nafrat Shayari in Hindi

Nafrat Shayari in Hindi

(1) पड़े हैं नफ़रत के बीच दिल में बरस रहा है लहू का सावन
हरी-भरी हैं सरों की फ़सलें बदन पे ज़ख़्मों के गुल खिले हैं
हारून फ़राज़

(2) बाहर इंसानों से नफ़रत है लेकिन
घर में ढेरों बच्चे पैदा करते हैं
अहमद शनास

(3) हम से नफ़रत करो कि प्यार करो
कोई रिश्ता तो उस्तुवार करो
शाहिद इश्क़ी

(4) काग़ज़ पे उगल रहा है नफ़रत
कम-ज़र्फ़ अदीब हो गया है
सैफ़ ज़ुल्फ़ी

(5) ज़ोरों पे ‘सलीम’ अब के है नफ़रत का बहाव
जो बच के निकल आएगा तैराक वही है
सलीम कौसर

(6) नए साल में पिछली नफ़रत भुला दें
चलो अपनी दुनिया को जन्नत बना दें
अज्ञात

(7) सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत
बशीर बद्र

(8) बे पिए ही शराब से नफ़रत
ये जहालत नहीं तो फिर क्या है
साहिर लुधियानवी

(9) तेरी बेवफाई में ना नफरत हुई ,
और ना ही इश्क खत्म हुआ ! !

(10) तुझे प्यार भी तेरी औकात से ज्यादा किया था,
अब बात नफरत की है तो नफरत ही सही।

Mohabbat Nafrat Shayari

(11) जरूरत है मुझे नये नफरत करने वालों की
पुराने तो अब चाहने लगे हैं ! !

(12) वो लोग अपने आप में कितने अज़ीम थे
जो अपने दुश्मनों से भी नफ़रत न कर सके !

(13) नफरत के बाजार में जीने का अगल ही मजा है ,
लोग रुलाना नहीं छिड़ते और हम हँसना नहीं छोड़ने !

(14) नफरत करोगे तो अधुरा किस्सा हूँ मैं
मोहब्बत करोगे तो तुम्हारा ही हिस्सा हूँ मे !

(15) चाह कर भी मुँह फेर नहीं पा रहे हो,
नफरत करते हो या इश्क निभा रहे हो.

(16) नफरत की आग जो तुमने ,
इस दिल में लगाई है ,
तुमसे ही नहीं मोहब्बत ,
से भी हमें शिकायत हुई है

(17) नफरत के एक मिनट में
सालों की मोहब्बत कैसे भूल गए तुम
फरेबी चाहत थी तुम्हे हमसे
इसीलिए तुमसे दूर हो गए हम.!!

(18) मै काबिल नफरत हूँ तो छोड़ दे मुझको ,
तू मुझसे यूँ दिखावे की मोहब्बत
न किया कर ! !

(19) नफरत से होने लगी है इस सफर से अब,
ज़िन्दगी कही तो पहुचा दे खत्म होने से पहले…!!

(20) “ नफरतें लाख मिलीं पर मोहब्बत न मिली,
ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत न मिली….!!!

Dard Nafrat Shayari

(21) खामोशियां बेवजह नहीं होती,
कुछ दर्द आवाज छीन लिया करते हैं.

(22) मोहब्बत करो तो हद से ज्यादा,
और नफरत करो
तो उससे भी ज्यादा….!!!

(23) हमारी दुआ थी कि वो नफरत खत्म
कर दें, उनकी दुआ थी की हम ये
रिश्ता ही खत्म कर दें.

(24) इश्क़ या खुदा को दिल मे बसा लो,
दिल से नफरत हमेशा
के लिए खत्म हो जाएगी….!!!

(25) मुझे शौहरत कितनी भी मिले मैं हसरते नहीं रखता,
मैं सब भूल जाता हूँ पर दिल में नफरतें नहीं रखता

(26) ये मोहब्बत भी कितना गजब का है जनाब,
कल जिनसे हमें मोहब्बत थी आज उनसे हमें बेइंतहा नफरत है।

(27) मोहब्बत नफरत सुकून दर्द गम सब कुछ बदल जाता है,
जब वक्त गुजरता है तो इंसान भी बदल जाता है।

(28) अंजाम-ए-इश्क़ क्या होगा यह तो खुदा जाने,
किसी से मैं नफ़रत करूँ इतनी फुरसत कहाँ।

(29) मैं फ़ना हो गया अफ़सोस वो बदला भी नहीं,
मेरी चाहतों से भी अच्छी रही नफरत उसकी।

(30) मुझे रुला कर सोना तो तेरी आदत बन गई है,
जिस दिन मेरी आँख ना खुली तुझे नींद से नफरत हो जायगी।

नफरत शायरी

(31) ए बादल इतना बरस की नफ़रतें धुल जायें,
इंसानियत तरस गयी है प्यार पाने के लिये।

(32) मोहब्बत में वफा का गुरुर जब टूटता है,
तो सबसे ज्यादा नफरत खुद से होती है।

(33) नफरत का रिश्ता भी नहीं रखना तुमसे,
वो रिश्ता भी निभा सको इस काबिल तुम नहीं।

(34) नफरते लाख मिली पर मोहब्बत ना मिली,
ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत ना मिली।

(35) मोहब्बत और नफरत सब मिल चुके हैं मुझे,
मैं अब तकरीबन मुकम्मल हो चोका हूँ।

(36) वो मेरे नाम से नफरत करने वाली,
सुना है मेरी शायरी पे मरती है।

(37) जब नफरत करते करते थक जाओ,
तो प्यार को भी एक मौका दे देना।

(38) हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो
नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे

(39) तेरी नफरत को मैने प्यार समझ कर अपनाया है,
प्यार से ही नफरत खत्म होता है,
तूने ही तो समझाया है !!

(40) कत्ल तो लाजिम है इस बेवफा शहर में,
जिसे देखो दिल में नफरत लिये फिरता है !!

Nafrat Shayari in Hindi

(41) मैं काबिले नफरत हूँ तो छोड़ दे मुझको,
तू मुझसे यूँ दिखावे की मोहब्बत न किया कर !!

(42) कोई तो हाल-ए-दिल अपना भी समझेगा,
हर शख्स को नफरत हो जरूरी तो नहीं !

(43) खुदा सलामत रखना उन्हें,
जो हमसे नफरत करते हैं,
प्यार न सही नफरत ही सही कुछ तो है,
जो वो सिर्फ हमसे करते हैं !

(44) मुझसे नफरत करने वाले भी,
कमाल का हुनर रखते हैं,
मुझे देखना तक नहीं चाहते,
लेकिन नजर मुझपर ही रखते हैं !!

(45) ना मेरा प्यार कम हुआ न उनकी नफरत,
अपना अपना फर्ज था दोनों अदा कर गये !

(46) वो नफरतें पाले रहे हम प्यार निभाते रहे,
लो ये जिंदगी भी कट गयी खाली हाथ सी !

(47) नफरत मत करना मुझसे बुरा लगेगा,
बस एक बार प्यार से कह देना,
अब तेरी जरूरत नहीं !!

(48) तुम उसे नफरत से क्या डराओगे,
जिसे मोहब्बत से ज्यादा नफरत ही मिली हो !

(49) जमाना वो भी था जब तुम खास थे,
जमाना ये भी है के तेरा जिक्र तक नहीं !

(50) जो हमारी नफरत के भी लायक नहीं थे,
हम उन्ही से बेशुमार प्यार कर बैठे !

(51) मैं काबिले नफरत हूँ तो छोड़ दे मुझे,
तू मुझसे यूँ दिखावे की मोहब्बत ना किया कर !

(52) हाँ मुझे रस्म ए मोहब्बत का सलीका ही नहीं,
जा किसी और का होने की इजाजत है तुझे !

(53) वो वक्त गुजर गया जब मुझे तेरी आरजू थी,
अब तू खुदा भी बन जाए,
तो मैं सजदा न करूँ !!

(54) इतनी नफरत है उसे मेरी मोहब्बत से,
उसने अपने हाथ जला लिए,
मेरी तकदीर मिटाने के लिए !!

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