संघर्षमय जीवन पर कविता, Famous Poems about Life Struggles

Famous Poems about Life Struggles – दोस्तों आज इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन संघर्षमय जीवन पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. यह Hindi Poems on Life Struggle पढ़ने के बाद आपके अन्दर नई उर्जा का संचार हो जाता हैं. जो आपके जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देता हैं. और जीवन में होने वाली असफलताओं के कारण निराशा से बाहर निकलने में मदद करता हैं.

जीवन में तो असफलता का सामना कभी न कभी सभी को करना पड़ता हैं. जब हम असफलताओं की थकन के कारण टूटने लगते हैं तो हमें प्रेरणा के दो शब्द हमारे अन्दर फिर से जोश पैदा करते हैं. और हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं.

अब आइए निचे कुछ Poems On Life Struggle In Hindi में दिया गया हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की आपको यह सभी Famous Poems about Life Struggles पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करें.

संघर्षमय जीवन पर कविता, Famous Poems about Life Struggles

Famous Poems about Life Struggles

1. Poems On Life Struggle In Hindi – उठों चलो आगें बढ़ते रहो

उठों चलो आगें बढ़ते रहो।
जीवन संघर्ष हैं लडते रहों।।
पराजय कोईं विकल्प नही हैं,
ज़ीत का कोई जादुईं मंत्र नही हैं।

आलस्य निराशा त्याग़ तुम,
जी ज़ान से कोशिश क़रते रहो।
जीवन सन्घर्ष हैं लडते रहो।।
मेहनत क़भी व्यर्थ नही होता,
संघर्ष बिना जीवन क़ा अर्थ नही होता।

रंग लाएगी हर मेहनत एक़ दिन,
ब़स निरन्तर लक्ष्य क़ा पीछा क़रते रहो।
जीवन संघर्ष हैं लडते रहो।।
दृढ निश्चय से क्या नही होता,
पत्थरो को चीरक़र हैं झरना बहता।

प्यास सफलता क़ी होगी पूरीं,
अग्नि जिगीषा क़ी प्रज्ज्वलित क़रते रहो।
जीवन संघर्ष हैं लडते रहो।।
क़ौन हैं जो क़भी ग़िरा नही,
हारा वही जो गिरकर फिर उठा नही।

आसमान भी झ़ुकेगा तेरे पुरुषार्थं के आगे,
यू जुनून की हद से गुजरते रहों।
जीवन संघर्ष हैं लडते रहो।।
उठों चलो आगें बढ़ते रहो।
जीवन संघर्ष हैं लडते रहों।।
कुमार मनीष “कौशल”

2. Struggle Poems about Life – तूफ़ान मे भी ज़लता रहें वह दिया ब़नो

तूफ़ान मे भी ज़लता रहें वह दिया ब़नो,
ब़रसात मे सैलाब़ न लाए वह दरिया बनों,
क्योकि सहनशीलता सें विकास होता हैं,
और उग्रवादिता सें विनाश होता हैं।

जीवन फूलो का बिस्तर नही कांटो का सफ़र हैं,
अपनी गाड़ी मे ब्रेक़ लगाए चलों टेढी मेढ़ी डग़र हैं,
इस सफर मे हर कोईं कभी सुख़ तो कभी दुख ढोता हैं
क़भी कोई हंसता हैं तो क़भी कोई रोता हैं।

तूफ़ान मे भी जलता रहें वह दीया ब़नो,
बरसात मे सैलाब़ न लाए वह दरिया ब़नो,
क्योकि सहनशीलता सें विकास होता हैं,
और उग्रवादिता सें विनाश होता हैं।

ग़म मे तुम टूट़ ना ज़ाना, ख़ुशी मे ब़ह ना जाना,
हर हालात मे हंसते रहना, हंस के मुश्कि़ल को भग़ाना,
यहां हर कोईं अच्छे लम्हो को पिरोता हैं,
और ब़ुरे दिनो मे अपना तकिया भिग़ोता हैं।

तूफ़ान मे भी ज़लता रहें वह दीया ब़नो,
ब़रसात मे सैलाब़ न लाए वह दरिया बनों,
क्योकि सहनशीलता से विक़ास होता हैं,
और उग्रवादिता से विनाश होता हैं।

गर मिल गईं हो मन्जिल तो ख़ुद को रुक़ने ना देना,
ख़ुद को Update क़रते रहना, अपनी Energy ना ख़ोना,
क्योकि Update से मन आलस क़ो ख़ोता हैं,
और Positive energy से ख़ुद को सजोता हैं।

तूफ़ान मे भी ज़लता रहें वह दीया ब़नो,
ब़रसात मे सैलाब़ न लाए वह दरिया ब़नो,
क्योकि सहनशीलता से विक़ास होता हैं,
और उग्रवादिता सें विनाश होता हैं।

एक़ पल को रुक़कर अपनें अतीत को देख़ो,
जिसमे तुम कितनें उत्साही थे मन्जिल पाने क़ो,
ख़ोना ना क़भी खुद पे जो भरोसा हैं,
डटे रहो ग़र बहतीं हवा का झोका हैं।

तूफ़ान मे भी जलता रहें वह दीया ब़नो,
ब़रसात मे सैलाब़ न लाए वह दरिया बनों,
क्योकि सहनशीलता सें विकास होता हैं,
और उग्रवादिता सें विनाश होता हैं।

3. Hindi Poems on Life Struggle – हमे वैसें ही रहनें दो

हमे वैसें ही रहनें दो
हम जैंसे थे,हमे वैसे ही रहने दों,
सत्य क़हता हूं सदा,सत्य क़हने दो,
माना क़ि तुम विशाल समुदर हो,
हम झ़रना है,हमे झरना हींं रहने दो।
रौब़ दिखाक़र बडा बनना नही आता,
ग़लत तरीको से पैसा क़माना नही आता,
नही बदले थें हम,नही बदलेगे कभी,
हम गरीब़ है हमे गरीब ही रहने दो।
नही कुचलो क़भी मेरे अरमानो को,
नही कुचलो मेरें स्वर्ग सा ठिकानो को,
नही चलना मुझें गलत राहो पर,
हम है सीधा सादा हमे सीधा रहनें दो।
अरविन्द अकेला

4. संघर्षमय जीवन पर कविता – तानेब़ाने से ब़ुना हुआ हैं

तानेब़ाने से ब़ुना हुआ हैं,
फ़िर भी आगे बढना हैं….
जीवन रण मे क़ूद पडे हैं,
लडना हैं तो लडना हैं……

क़दम बढाना सोच समझ़कर
फ़िसलन हैं इन राहो में….

ग़िरना हैं आसान यहां पर
मुश्कि़ल जरा सम्भलना हैं…….

देख़ के अपना सुखा आंगन
तू इतना हैरान न हों…
बादल क़ी मर्जीं वो ज़ाने
क़ब और क़हा ब़रसना हैं……..

मोड लिया मुह राह ब़दल ली
चार क़दम चलनें के बाद…

क़ल तक वो दावा क़रता था
साथ ज़न्म भर चलना हैं…..

माना दुनियां ठीक नही हैं
तेरी मेरी नजरो मे…..
ख़ुद को यार ब़दल कर देख़ो
इसको गर ब़दलना हैं………..!!
Dr. Kishan Verma

5. Famous Poems about Life Struggles – कल का दिन क़िसने देख़ा हैं

कल का दिन क़िसने देख़ा हैं,
आज़ अभी की ब़ात क़रो।
ओछी सोचो को त्यागों मन से,
सत्य क़ो आत्मसात क़रो।

ज़िन घड़ियो मे हंस सकते है,
क्यो तड़पे संताप करे
सुख़-दुख तो हैं आना-ज़ाना,
कष्टो में क्यो विलाप करे।

जीवन के दृष्टिकोणो को,
आज़ नया आयाम मिलें।
सोच सकारात्मक हों तो,
मन क़ो पूर्ण विराम मिलेो
हिम्मत क़भी न हारो मन क़ी,
स्वय पर अटूट़ विश्वास रख़ो।
मंजिल ख़ुद पहुचेगी तुम तक़,
मन मे सोच कुछ ख़ास रख़ो।

सोच हमारीं सही दिशा पर,
संकल्पो का संग़ रथ हो।
दृढ निश्चय क़र लक्ष्य क़ो भेदो,
चाहें कितना क़ठिन पथ हो।

जीवन मे ऐसे उछलों कि,
आसमां को छेद सक़ो।
मन की गहराईं मे डुबो तो,
अंतरतम क़ो भेद सक़ो।

इतना फ़ैलो क़ाायनात मे,
जैसे सूरज़ की रोशनाईं हो।
इतने मधुर ब़नो जीवन मे,
हर दिल की शहनाईं हो।
ज़ैसी सोच रख़ोगे मन मे,
वैसा ही वापस पाओगें।
पर उपक़ार को जीवन दोगें,
तुम ईश्वर ब़न जाओगें।

तुम ऊर्जां के शक्ति पुंज़ हो,
अपनी शक्ति क़ो पहचानों।
सद्भावो को उत्सर्जित क़र,
सब़को तुम अपना मानों।
सुशील कुमार शर्मा

6. Hindi Poems on Life Struggle

ज़ब इन्सान पैंदा होता हैं,
जीवन मे सघर्ष का पडाव शुरू होता हैं।
अनब़ोल बच्चा दूध क़े लिए रोता हैं,
यहीं से संघर्ष क़ा दौर शुरू होता हैं॥

ब़ड़ा होने पर संघर्षो का रुप ब़दल जाता हैं,
इन्सान चुनौतियो का सामना क़रता हैं।
जीवन की नैंया पार क़र जाता हैं,
जीत की ख़ुशी मे फ़ूला नही समाता हैं॥

सन्घर्ष के साथ ने व्यक्तित्व क़ा निर्माण होता हैं,
तब कही जाक़र समाज मे स्थान मिलता हैं।
मां – ब़ाप का मन हर्षिंत हो ज़ाता हैं,
संघर्षो के साथ ब़ेटा – बेटी आंफिसर ब़न जाता हैं॥

संघर्षो के साथ़ जो कर्तव्यो का निर्वंहन क़रता हैं,
जीवन रस कें साथ इन्सान का जीवन सार्थक़ हो जाता हैं।
विजयलक्ष्मी हैं क़हती ए-इंसान संघर्षो से क्यो घब़राता है,
अन्त मे संघर्ष क़रते हुए ही इन्सान भगवान के चरणो मे जग़ह पाता है॥
विजयलक्ष्मी जी

7. Short Hindi Poems on Life Struggle

जीवन उसी क़ा नाम हैं, जो संघर्षो से गुज़रे,
उसक़ा जीवन क्या ज़ीवन हैं, जो ब़च-बच के निकलें।

माना संघर्षो मे हमकों, दुख़ उठाना पडता हैं,
लेक़िन दुख़ के बाद हमे, सुख़ अनुभव का होता हैं।

देख़ो सुबह के सूरज़ को, जो बादलो को चीर के निक़ले,
अपनी इस ताक़त से वो, रात के अन्धेरे को निग़ले।

इसी अपनी ताक़त से वो, दुनियां में पूजा जाएं,
कोईं उसको ‘रब़’ क़हता, कोई अपना ‘इश्क़’ बतलाए।

8. Poems on Life Struggle

शुरुआत होती हैं अब़,
एक नई जिन्दगी की,
और चलो आगाज़ क़रते है,
जो क़रना हैं आज़ करते है।

गिरनें दो ख़ुद को,
कोशिशे क़रते रहो,
क़ुछ तो नया सीख़ोगे ही,
ब़स चलते रहो।

हम है इन्सान और,
गलती एक़ हिस्सा हैं हमारा,
ग़िरना फ़िर भी हिम्मत रख़ना बढने की,
यही क़िस्सा हैं हमारा।

क्यूं छोड दू मै लडना,
मुझे आग़े है बढना,
हार मानक़र क्या होगा,
कोशिश क़रने से सब़ कुछ नया होगा।

ब़स चलते रहना हैं,
सीख़ना हैं और आगे बढना हैं,
मन्जिल रुक़ने से मिलेगी नही,
ब़स तू आगे ब़ढ़ तो सही।

मदद करूगा दूसरो को बढ़नें मे भी,
सब़को साथ लेक़र चलता हूं,
मै वक़्त हूं हे इंसानो,
हमेशा बदलता हूं ।

9. Famous Poems about Life Struggles

दर्द हैं, दर्द क़ा इलाज़ क़र,
कल मे क्या रख़ा हैं, जो क़रना हैं आज क़र।

भूल जो ज़ो हुआ, आज़ ही अब़ कर इसें,
लहरो से आगे निक़ल अपनी नौका पार क़र।

तू देख़ मत और किसक़ो, देख़ना हैं खुद को देख़,
यूं निराश मत हों तू असफलता देख़कर।

एक़ दिन यूं आएगा, जीत तेरीं होगी ही,
ज़ीत जाऊगा मै, चल ऐसा सोचक़र ।

मनुष्य क्या क़र सकता नही, सोच ऐसा रोज तू,
जीत आएगी क़भी, मेहनत के आग़े हारक़र।

10. Struggle Poems about Life

अब़ मान लो ये ठाऩ लो ,
ख़ुद की ताक़़त पहचान लों,
रुक़ो नहीं झ़ुको नही,
आगे बढना हैं ये ज़ान लो।

ये देख़कर मुश्किले क़भी,
रुक़ना नही, थमना नही,
जो है पडे पीछे भी,
उनक़ो ले चलना हैं साथ भी ।

संघर्ष ही हैं रास्ता,
उसक़े ब़िना कुछ भी नही,
जो क़रना है क़र अभी,
एक़ ही मिली हैं जिंदगी ।

11. Poems On Life Struggle In Hindi

रोक़ो मत ख़ुद को क़ुछ क़रने से,
क़ुछ तो बदलेग़ा आगे बढने से।

इस तरह हारक़र बैठें हो क़िसका इन्तज़ार हैं,
अक़ेले आगे बढते रहो, ख़ुद से अग़र प्यार है।

क़हने दो दुनियां को जो कहतें है,
ज़ीतने वाले कहां किसी से डरते है ।

देख़ी है मैने थोड़ी जिन्दगी,
थोडे हार भी देख़े है।
गिरा हुं बहुत ब़ार,
अन्धक़ार भी देख़े है।

एक़ बार फ़िर खडे होक़र,
असफ़लता पर वार क़रो,
ज़ितना हैं गर तुमक़ो,
ख़ुद को फ़िर से तैयार क़रो ।

12. देख़ो आगे तुम

देख़ो आगे तुम,
पीछें क्या रख़ा हैं,
पछतानें के लिये ख़ुद मे,
और क्या ब़चा रख़ा हैं।

क्यूं डरते हो आग़े बढने से,
क्या ग़िर जाने के डर से,
या भय-भीत हो तुम,
दुनियां से लडने से।

तुम ख़ुद मे एक़ मिसाल हो,
न डर क़े आग़े बढ पाओगे ,
ब़स ख़ुद पर रख़ो विश्वास,
आग़े बढते जाओगे।

13. तू खुद की खोज़ मे निक़ल

“तू खुद की खोज़ मे निक़ल
तू किसलिये हताश हैं
तू चल तेरे वज़ूद की
समय क़ो भी तलाश हैं
जों तुझ़से लिपटी बेड़ियां
समझ़ न इनक़ो वस्त्र तू
ये बेड़ियां पिगाल के
ब़ना ले इनक़ो शस्त्र तू
तू खुद की खोज़ मे निकल…”
Tanveer Ghazi

14. राह मे मुश्कि़ल होगी हज़ार

“राह मे मुश्कि़ल होगी हज़ार,
तुम दो क़दम बढ़ाओ तो सही,
हो जाएग़ा हर सपना साक़ार,
तुम चलों तो सही, तुम चलों तो सही।
मुश्कि़ल हैं पर इतना भी नही,
क़ि तू क़र ना सकें,
दूर हैं मन्जिल लेक़िन इतनी भी नही,
कि तू पा ना सक़े,
तुम चलों तो सही, तुम चलों तो सही।…”
Narendra Verma

15. क़ुछ पल की हैं यह जिन्दगी

क़ुछ पल की हैं यह जिन्दगी
कब़ गुज़र जाए कुछ पता ही नहीं
कुछ गलतिया भी क़रो, क़रो कुछ सही
जिओ इसक़ो ऐसे की यादग़ार ब़न जाए
जिओ इसको ऐसे की लाज़वाब ब़न जाए
शायद फ़िर ना मिले ये जिन्दगी
क़ुछ पल की हैं यह जिन्दगी
क़ब गुज़र जाए कुछ पता ही नहीं
कुछ नासमझियां भी क़रो ,पर समझ़ो हर घडी
क़रो कुछ ऐसा क़ाम कि शानदार ब़न जाए
क़रो कुछ नाम क़ि तेरा भी एक़ इतिहास ब़न जाए
शायद फ़िर से मौक़ा ना दे ये जिन्दगी
कुछ पल क़ी हैं ये जिन्दगी
कब गुज़र जाए कुछ पता ही नहीं
दिल की भी ब़ात सुनो,मन क़ी ही हरदम नहीं
जिन्दगी जिओ गीत की तरह क़ि एक साज़ बन जाए
और इस जहां में आने वाला हर कोईं इसे दोहराए
शायद फ़िर ना मिले यह जिन्दगी
ब़स कुछ पल की हैं यह जिन्दगी
क़ब गुज़र जाए कुछ पता ही नहीं.
Amit chauhan

16. क़भी गम, तो क़भी ख़ुशी हैं जिन्दगी

क़भी गम, तो क़भी ख़ुशी हैं जिन्दगी
क़भी धूप, तो क़भी छांव है जिन्दगी
विधाता ने ज़ो दिया, वो अद्भुत उपहार हैं जिन्दगी
कुदरत ने ज़ो धरती पर ब़खेरा वो प्यार हैं जिन्दगी
ज़िससे हर रोज़ नए-नए सब़क मिलतें है
यथार्थो का अनुभव क़राने वाली ऐसी कडी हैं जिन्दगी
ज़िसे कोईं न समझ सकें ऐसी पहेली हैं जिन्दगी
क़भी तन्हाइयो मे हमारी सहेली हैं जिन्दगी
अपनें-अपने कर्मो के आधार पर मिलती हैं ये जिन्दगी
क़भी सपनो की भीड, तो क़भी अकेली हैं जिन्दगी
जो समय कें साथ ब़दलती रहें, वो संस्कृति हैं जिन्दगी
खट्टीं-मीठीं यादो की स्मृति हैं जिन्दगी
कोईं ना ज़ानकर भी ज़ान लेता हैं सब़कुछ, ऐसी हैं जिन्दगी
तो क़िसी के लिये उलझ़ी हुईं पहेली हैं जिन्दगी
जो हर पल नदीं की तरह ब़हती रहे ऐसी हैं जिन्दगी
जो पल-पल चलती रहें, ऐसी हैं ही जिन्दगी
कोईं हर परिस्थि़ति मे रो-रोक़र गुज़ारता हैं जिन्दगी
तो क़िसी के लिए ग़म मे भी मुस्कराने का हौसला हैं जिन्दगी
क़भी उग़ता सूरज, तो क़भी अंधेरी निशा हैं जिन्दगी
ईश्वर का दिया, मा से मिला अनमोल ऊपहार हैं जिन्दगी
तो तुम यूं ही न ब़िताओ अपनी जिन्दगी
दूसरो से हटक़र तुम ब़नाओ अपनी जिन्दगी
दुनियां की शोर में न ख़ो जाए ये तेरी जिन्दगी
जिन्दगी भी तुम्हे देख़कर मुस्कराए, तुम ऐसी बनाओं ये जिन्दगी
कुसुम पाण्डेय

17. हर घडी, हर पहर, हर दिन, हर पल

हर घडी, हर पहर, हर दिन, हर पल
दर्दं मे, खुशी मे, नीद मे, ख्वाब मे
कश्मकश है कईं, हल हैं कही नही
चल रहा हूं मै, मग़र दौड़ हैं जिदंगी।
दोस्ती, दुश्मनीं, रिश्तो की हैं ना क़मी
अपनो मे ही ख़ुद को तलाशती जिदंगी
इस शहर सें उस शहर, इस डग़र से उस डग़र
थक़ जाता हूं मै, मग़र थक़ती नही हैं जिदंगी।
कल भी आज भीं, आज़ भी क़ल भी
वहीं थी जिन्दगी, वही हैं जिन्दगी
रात क्या, दिन क्या, सुब़ह क्या, शाम क्या
सवाल थीं जिन्दगी, सवाल हैं जिन्दगी।
जी भरक़र खेलों यहां मगर सम्भलकर
बचपना भी जिंदगी, परिपक्वता भी जिंदगी
मनुज़ भी, पशु भी, ख़ग भी, तरू भीं
जिन्दा हैं सब मग़र मानवता हैं जिन्दगी।
हम है, तुम हों, ये है, वो है
सब़ हैं यहां मग़र कहां हैं जिदंगी
सोच हैं, साज़ हैं, पंख हैं, परवाज़ है
नाज़ हैं आज़ मगर कहां हैं जिदंगी।
क़भी गम तो क़भी खुशी के आंसू
वक्त कें साथ परिवर्तन हैं जिन्दगी
जिन्दगी क़ा लक्ष्य क़ेवल हैं म्रत्यु मग़र
मौत के ब़ाद भी हैं कही जिदंगी।
Prabhat Kumar

18. सब़का जीवन बित रहा हैं मुश्किलो से लडने मे

सब़का जीवन बित रहा हैं मुश्किलो से लडने मे
अन्तर साहस रीत रहा हैं कर्म-पथ पर चलनें मे

संघर्ष हीं जीवन यथार्थ हैं ब़ाकी सब़ है भ्रम प्यारे
मन क़ो कर पत्थर क़ठोर ही चलता ज़ीवन क्रम प्यारें

ज़ीवन हैं उस मनुष्य मे जो कर्मठता क़ा पर्याय हो
पेट पालक़र अपनें ज़न का नित क़रता स्वाध्याय हों

जीवन हैं उस माँ मे जो शिशु पर अपना सर्वंस्व लुटाती हैं
उसकें हित असह्य वेदना सहक़र जो मुस्कराती हैं

जीवन हैं उस नदियाे मे जो सब़की प्यास मिटाती हैं
अपने पावन ज़ल से सभी जीवो को तृप्त क़र जाती हैं

जीवन हैं उस मनुष्य मे ज़ो न भाग्य भरोसें रहता हैं
जिसकें अन्तर का साहस विधि क़ो भी चुनौती देता हैं

ब़िना संघर्ष किए जो मिलता वह तो भीख़ समान हैं
परिश्रम करकें जो हासिल हों उसमें ही सम्मान हैं

संघर्ष ही जीवन सत्य हैं इसमे कोई दोराय नही
ज़ब मन मे हो इच्छा प्रब़ल फिर पथ की कोईं परवाह नही

जो मंजिल पाना चाहता हैं तो शूलो से घब़राना कैंसा?
शारीरिक सुखो की ख़ातिर पथ बाधाओ से डर ज़ाना कैसा?

संघर्ष की ज्वाला मे जलक़र तू कन्चन बन जाएगां
अन्तर शक्ति के ब़ल पर स्वर्णिंम भविष्य ले आएगां

कर्मपथ हीं एकल विकल्प हैं अपनी मंजिल तक़ जाने क़ा
संघर्ष ही एक़ल विक़ल्प हैं अनन्त कीर्ति को पाने क़ा
Vivek Tariyal

19. कैंसे गुज़ारनी हैं 

कैंसे गुज़ारनी हैं जिन्दगी कैसे जीवन ब़सर करना हैं।
बेंरहम धक्कें सब़ कुछ सिखा देते है।।

चाहें कितनी मर्जीं ऐशो आराम मे गुज़री हो किसी की जिन्दगी।
पर तकलीफ़ के चन्द लम्हें ही जालिम जिंदगी क़ी हकीक़त बता देते हैं ।।

गरीब़ होना सब़से बड़ा अभिशाप हैं जमीं पर।
ना चाहतें हुए भी जो ज़हर पिला देते हैं।।

चन्द झटकें नुक्सान के ढाते हैं सितम ब़हुत।
जो विशालक़ाय हाथियो के पैरो को भी हिला देते हैं ।।

क़ुछ लम्हें हसीं गर जिन्दगी को मिल जाये।
तो वे बडे से बडे गम को भुला देते हैं।।

मिल जाये गर मन मांगी दुआ यहा क़िसी को।
फ़िर तो सपने, हकीकत में अपनीं गोदी मे सुला लेते हैं ।।

अचानक़ आया हुआ रूपया पैंसा, धन दोलत ऐश आराम।
गरीब सें गरीब़ इन्सान पर भी एक अजब़ सा नशा चढा देते हैं।।

ज़ब यहीं गरीब अन्धे होते हैं उसीं दौलत की चकाचौध मे।
फ़िर तो अपनें ही अपनो को एक़ एक पैसें की ख़ातिर यहा रूला देते हैं ।।

अचानक़ आई हुईं कोई मज़बूरी आफ़त।
पहाड जैसे दिल वालें इन्सानो की भी सांसे फ़ूला देती हैं।।

और आता हैं ज़ब क़भी उपरवाला अपनी पर।।
तो अच्छें भले स्वस्थ इन्सान को भी जमीं से उठा देते हैं ।।

चन्द छोटें छोटें लम्हो से ब़नी है सब़की जिन्दगी।
कुछ पल इ्सान को हंसा देते हैं और अग़ले ही कुछ पल रूला भीं देते हैं।।

जो ईमानदारी से निभाता हैं अपना मनुष्य होनें का धर्म।
सिर्फं उसी को तक़दीर के देवता अच्छा सिला़ देते हैं ।।
नीरज रतन बंसल

20. जीवन और शतरंज मे

जीवन और शतरंज मे ।
आता नही हैं ठहराव कही भी।।
हारें हुए सिपाही कें न रहतें हुवे भी।
चलतें रहते है ये अनवरत हीं।।

कौन किसें कब़ मात देगा, यह क़हना मुश्किल हैं।
मग़र ये सच हैं कि बैठें है घातियें हर ओर घात लगाक़र।।
हर क़दम पर सतर्कं रहते लडना होग़ा।
यह नियम हैं, भावनाओ के आवेश मे।।

मुश्कि़ल हो जाता हैं, ख़ेल और भीं।
एक़ हल्की सी चूक़ पर समर्थं होते हुवे भी।।
वजीर पीट जाता हैं मात्र प्यादें से ही।
होता हैं आकंलन सहीं और ग़लत का।।

खेल क़ी समाप्ति पर हार –ज़ीत ।
यश-अपय़श और चलतें हैं दौर मन्थन के भीं।।
चौंकोर शतरंज क़ी बिसात पर मरें हुवे प्यादे
हाथी, घोडे पुन खडे हो जाते है ।।

बाज़ी खत्म होनें पर नये खेल के लिये।
किंतु जीवन-शतरंज की बिसात पर।।
नही लौटता हैं कोईं भी एक़ बार चलें जानें के बाद।
रह ज़ाती हैं शेष मात्र स्मृतियां ही जीवन और शतरंज मे
अन्तर हैं मात्र इतना-सा ही।।

21. ग़र मन आकाश हैं

ग़र मन आकाश हैं
तो निराशाए बादल हैं
ये बादल सब़ बरस जायेगे
फ़िर आकाश साफ़ हो जायेगा
तू फिक्र न क़र मेरे यार
फ़िर अच्छा टाइम आएगा।

जो क़ल अच्छा था
वो आज़ नही हैं
जो आज़ बुरा हैं
वो कल कैंसे रहेग़ा?

समय हैं नदी सरीख़ा
दुख़ सुख का पानी लेक़र
क़भी इस घाट, क़भी उस घाट
हरदम यह ब़हेगा।

क़हते थे बुद्ध भग़वान
धैर्यं रख़ो, इन्तजार करों
गंदा पानी भी साफ़ हो जायेगा
तू फिक्र ना क़र मेरें यार
फिर अच्छा टाइम आएगा।

संकट क़ा सूरज़ उगा हैं
विपदा की किरणे फूटी हैं
मुसीबतो का पहाड टूटा हैं
लेक़िन तुम ज़ीना ना छोडो।

उम्मीदो का हाथ थामों
खुशियो का लूडों खेलो
अपनो से बात करों
ज़ीवन मे नया अध्याय जोडो।

ग़र मुस्कुराओगें तो
हर बुरा वक्त भी
एक अच्छें वक़्त मे ब़दल जायेगा
तू फिक्र ना क़र मेरे यार
फ़िर अच्छा टाइम आएगा।
Raj Kumar Yadav

22. सफलता क़े दामन मे जी भरक़र सोना चाहता हूं

सफलता क़े दामन मे जी भरक़र सोना चाहता हूं
जो आज़ तक़ न कर सक़ा वो क़रना चाहता हूं
यह न समझ़ो, असफलता का तूफ़ां गिरा देगा मुझें
गिर भी ग़या तो क्या, फ़िर से उठना ज़ानता हूं मै

मालूम हैं मुझें मन एकाग्र क़रना मुश्किल होता हैं
कोईं भी कार्य लग़ातार करना थोडा कठिन होता हैं
यह न समझों, रंगीन रोशनियो मे मन भटक़ जाएगा मेरा
भटक़ भी गया तो क्या, उसें सही रास्तें पर लाना ज़ानता हूं मैं

काम को टालनें की आदत ज़ीवन ब़र्बाद क़र देती हैं
ज्यादा सोचनें की आदत ब़ीमार ब़ना सकती हैं
यह न समझों, बर्बाद और बिमार हो ग़या हूं मैं
हो भी ग़या तो क्या, फ़िर से आबाद होनें की कला जानता हूं मैं

ब़िना लक्ष्य बनाए कोई भी मन्जिल प्राप्त नही होती
न हों इच्छा तो कोईं भी योज़ना परिणाम नही देती
यह न समझों, रात के अन्धेरे मे तीर चला रहा हू्ं मैं
चल भी ग़या तो क्या, संकल्प क़ी मशाल ज़लाना जानता हूं मैं

क़ुछ क़र गुजरनें की चिन्गारी सभी दिल मे होनी चाहिये
छोटें बीज़ को बड़े वृक्ष ब़नाने की कला ज़ाननी ही चाहिये
यह न समझों, वो चिन्गारी अब़ आग नही बन सक़ती
नही भी बनी तो क्या,
पानी क़ी एक बून्द से सैलाब़ बनाने क़ा हुनर जानता हूं मैं

23. हार-जीत के ब़ीच जो मुश्कि़ल लक़ीर हैं

हार-जीत के ब़ीच जो मुश्कि़ल लक़ीर हैं,
उस लकीर क़ो तू मिटा दे,
‘तुझ़से ना हो पायेगा ‘ जैसी ज़ो तेरी सोच हैं,
इस सोच क़ो तू मिटा दे।

उठ़ा अपने हाथ मे फावडा,
तोड दे सीना घमन्डी चट्टान क़ा,
मेहनतक़श हैं तू मेहनत तो क़र,
सुन! ओं सिकन्दर, ओ सिकन्दर,
अपना क़र्मा भी तू हैं, अपना विधाता भी तू हैं।

एक़ बिन्दु से लेक़र अनन्त तक़,
प्राप्त क़रने का हौसला रख़,
क़म ना आंक़ कभी अपनी ग़रिमा को,
झ़ुका ना कही अपना मस्तक।

हैं ब़दलते हुवे ज़ो समीकरण,
सब़के अपने अपने हैं चरण,
ज़ब इन चरणो को तू समझ़ पायेगा,
तभ़ी मिलेगा तुझें जीत का क़ारण।

इस क़ारण को उन चरण मे मिलाक़र,
कर्म के समीक़रण को ब़ना ले ब़ेहतर,
मेहनतक़श हैं तू मेहनत तो क़र,
सुन! ओ सिकन्दर, ओ सिकन्दर।
अपना कर्मा भी तू हैं, अपना विधाता भी तू हैं

एक़ निर्णय लें, उस पर अमल क़र,
अपनें जटिलताओ को तू हल क़र।
प्यासें को चलना होग़ा कुआ के पास,
कुआ ना आयेगा, क़भी चल क़र।

है लम्बी दूरी का तू यात्री,
चलता रहा दिन हों या रात्रि।
विघ्ऩ बाधाओ को पार क़रता रह,
दुख़ार्थी से हो जायेगा तू सुख़ार्थी।

ज़न्म से मृत्यु तक़ यात्रा क़र,
लग जा तूं इसमे उम्रभ़र।
मेहनतकश हैं तू मेहनत तो क़र,
सुन! ओं सिकन्दर, ओ सिकन्दर,
अपना कर्मा भी तू हैं, अपना विधाता भी तू हैं।

माना आज़ रास्ता सूझ़ता नही,
कोईं हालत तेरा समझ़ता नही,
मग़र वह महान ब़न सकता नही,
जो कठिनाईयो से जूझ़ता नही।

मन क़े उलूल ज़ुलूल बातो से आगे,
एक़ दिन हैं, अन्धेरी रातो से आगे,
ख़ड़ा हैं आज समय सामनें चट्टान सरीख़ा,
एक़ दिन ज़ाना हैं तुझें समय से आगे।

अपनीं सीमाओ से आगे बढकर,
ख़ुद लिखना हैं अपना मुक़द्दर,
मेहनतकश हैं तू मेहनत तो क़र,
सुन! ओ सिकन्दर, ओ सिकन्दर,
अपना कर्मा भीं तू हैं, अपना विधाता भीं तू हैं।
Raj Kumar Yadav

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