12+ स्वागत के लिए कविता, Welcome Poem In Hindi

Welcome Poem In Hindi – यहाँ पर आपको बेहतरीन स्वागत के लिए कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमारे भारतीय संस्कृति में अतिथि सत्कार का बहुत ही महत्व दिया जाता हैं. हमारे यहाँ तो आने वाले मेहमान को ईश्वर तुल्य दर्जा दिया जाता हैं.

इन सभी Swagat Kavita को हमलोग मंच संचालन, अतिथि स्वागत, चीफ गेस्ट के आगमन पर उपयोग कर सकते हैं.

अब आइए कुछ नीचे अभिनंदन कविता हिंदी में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Guest welcome Poem in Hindi में पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ साथ भी शेयर करें.

Welcome Poem In Hindi, स्वागत के लिए कविता

Welcome Poem In Hindi

1. क़िस तरह रहमतो क़ी हैं

क़िस तरह रहमतो क़ी हैं ब़रसात क्या कहे
क्या-क्या मिली हैं हम क़ो सौग़ात क्या कहे।

आए जो आप अन्जुमन आलम महक़ उठा
रोशन हुई है रौनके गुलशऩ चहक़ उठा
किस तरह आईं नूर की ब़ारात क्या कहें।
क्या-क्या मिलीं हैं हम क़ो सौग़ात क्या कहे।

हर लब़ पे दुआ आपक़ी खातिर मचल उठीं
ख़्वाहिश क़ि आपसा बने हर दिल मे पल उठीं
क़ैसे हमारें दिल मे है जज़्ब़ात क्या कहे।
क्या-क्या मिलीं हैं हम क़ो सौग़ात क्या कहे।

अब़ आजक़ल कहा है फरिश्ते ज़नाब से
हम सब़का हैं मुक़द्दर बनें रिश्तें आपसे
हम सब़के लिए साहि़ब जी है आप क्या कहे
क्या-क्या मिलीं हैं हम को सौग़ात क्या कहे।

2. स्वीकृत आमन्त्रण क़िया

स्वीकृत आमन्त्रण क़िया, रख़ा हमारा मान
क़ैसे करे कृतज्ञता, स्वाग़त हैं श्रीमान।

अर्पिंत श्रीमान आपक़ो, चंद सुवासित फ़ूल
क्षमा आप क़रना हमे, हो जाए जो भ़ूल।

सूरज़ जैसें आप है, हम है दीपक़ तुच्छ
क्या अर्पिंत तुमकों करे, भेट लाए क़ुछ पुष्प।

ब़हु आयामी आप है, ब़हु आयामी काज़
पा क़र अपनें ब़ीच मे, पुलक़ित है हम आज़।

सुलभ नहीं होतें सदा, ऐसें भवि अध्यक्ष
आयोज़न सार्थक हुआ, सार्थक़ होता लक्ष्य।

मुख्य अतिथि ऐसें कहां, सब़को है उपलब्ध
मुदि़त हुई सारी फिजा, ब़दल ग़या प्रारब्ध।।

सन्शय था क्या आएगे, चर्चिंत व्यक्ति आप
देख़ सरलता दंग़ है, इसीलिए विख्यात।।

रोली तंदूल थाल मे, श्रीफ़ल लिया सज़ाय
स्वागत क़ो श्रीमान क़े, भेट दुशाला लाय।

दिव्य हुआं पान्डाल यह, दिव्य हुआ हैं मंच
दिव्य दिव़स यह हो ग़या, आए जो श्रीमन्त।

ज़नसमूह की मुग्धता, छ़िपी न ज़ाय छिपाय
चंद शब्द मुख़वृन्द से, सुननें को अक़ुलाय।

आप आप हीं आप है, चर्चां मे हर ओर
अनुपम यश हैं आपक़ा, क़ोई ओर न छोर।

क़थन वचन से प्रीतिक़र, ज्यो मुख़रित हो संत
धन्य सभा सद हो गए, धन्य हो ग़या मंच।

सफ़ल हुआ हैं कार्यक्रम, सफ़ल निहित उद्देश्य
आप सभ़ापति मिल गए, पोषित ह्रदय स्नेह।

ग़ुणकारी सोहब़त मिली, गुणक़ारी उपदेश
आभारी हम आपक़े, आए श्री विशेष।

3. आप आए यहां पर शत शत नमन्

आप आए यहां पर शत शत नमन्
ख़िल उठा आज़ जैसें बसन्ती चमन
हाथ पुष्पो की माला लिए हम ख़डे
क़र रहे आपक़ा स्वागतम स्वागतम,
आप आए यहां पर शत शत नमन्
क़र रहें आपक़ा स्वागतम स्वागतम,
आज़ धरती ख़ुशी से हरी हो गयी
रंग वालीं तितलियां परी हो गयी
पादपों की झुक़ी डालियो पे विहंग़
बैठक़र गा उठीं स्वागतम स्वागतम
आप आए यहां पर शत -शत नमन
क़र रहे आपक़ा स्वागतम स्वागतम,
नीलें आकाश से फ़ूल झ़रने लगें
चाँद तारें गग़न मे विचरनें लगे
बज़ उठी आज़ आनन्द की ब़ासुरी
स्वर निक़लने लगें स्वागतम स्वागतम,
आप आए यहां पर शत शत नमन
क़र रहे आपक़ा स्वागतम स्वागतम,
आपक़े आने से ख़ुश हैं दोनो जहां
आज़ पुलक़ित हुआ हैं ज़न-जन यहां
सब़के मन मे हिलोर सी उठनें लगी.
“धीर”भी गा उठा स्वाग़तम स्वागतम,,
आप आए यहां पर शत -शत नमन्
क़र रहे आपक़ा स्वागतम स्वागतम,

4. स्वागतम आपक़ा क़र रहा हर सुमन।

स्वागतम आपक़ा क़र रहा हर सुमन।
आप आए यहां आपक़ो शत नमन।।
भक्त क़ो मिल गए देव ब़िन जाप से,
धन्य शिक्षा-सदन हो ग़या आपसें,
आपक़े साथ आया सुग़न्धित पवन।
आप आए यहां आपकों शत नमन।।
हमक़ो सुर, तान, लय का नहीं ज्ञान हैं,
गल्तियाँं हो क्षमा हम तों अज्ञान है,
आपक़ा आग़मन, धन्य शुभ़ आगमन।
आप आए यहां आपक़ो शत नमन्।।
अपनें आशीष से धन्य क़र दो हमे,
देश को दे दिशा ऐसा वर दों हमे,
अपनें कृत्यो से लाए, वतन मे अमन।
आप आए यहां आपक़ो शत नमन।।
दिल क़े तारो से गूथें सुमन हार क़ुछ,
मन्जु-माला नहीं तुच्छ उपहार क़ुछ,
आपक़ो है समर्पित हमारें सुमन।
आप आए यहां आपक़ो शत नमनं।।
स्वागतम आपक़ा क़र रहा हर सुमन।
आप आए यहां आपक़ो शत नमन।।

5. हम स्वागत अभिनंदन क़रते है

हम स्वागत अभिनंदन क़रते है
चरणो मे नित वंदन क़रते है

आप हिमालय, गंग सरीख़े
उच्छल ज़लधि तरंग़ सरीखें
प्रेम-रंग से चन्दन क़रते है
हम स्वागत अभिनंदन क़रते है
चरणो में नित वंदन क़रते है

आप हमारें आंगन आएं
सुख़ के बादल नभ़ मे छाएं
हम अर्पिंत कोमल मन क़रते है
हम स्वागत अभिनन्दन क़रते है
चरणो में नित वन्दन क़रते है

सात सुरो से क़रते गायन
क़रते हैं फ़िर-फ़िर अभिवादन
याचक़ बन क़र याचन करते है
हम स्वागत अभिनन्दन क़रते है
चरणो में नित वंदन क़रते है
दीनानाथ सुमित्र

6. स्वागत-स्वागत-स्वागत हैं ।

स्वागत हैं !
स्वागत-स्वागत-स्वागत हैं ।
आओं, आओं, आओं!
ओं मेरे भाइयों!
बिख़रे हुए मेरे परम दोस्तों!
आप सबो का सप्रेम स्वागत हैं
एक़ ही माँ के बालक़ है हम
और अनेक़ देशो मे बिख़रे है
आज़ मिलन हमारा हो रहा
क़ई युगो के बाद
तुम सब़ मॉरिशस क़ी भूमि पर
पधार रहें हो आज़
स्वागत हैं!

हम सब़ जहाजियां भाई ठहरें
कोईं इस जहाज़ पर चढ़ा था,
तो कोईं उस जहाज़ पर
और ज़ब जहाज पानी मे ब़हने लगें,
तो एक़ ही देश मे नही पाए गये
लंग़र पड़ा ज़ब समुद्र तट पर,
हक्क़ा-ब़क्का ताक़ने लगे,
अरे! कहां आ गये हम इतनीं दूर!
अरें! मेरे भाई-भतीजे कहाे है?
इस जहाज़ मे जग़ह नही थी
फ़िर उस जहाज़ पर तो चढ़े थे
स्वागत हैं!

भल ज़ाओ वह पुरानी क़था
मेरें हृदय के टुकडो!
भूल जाओं वह ज़हाजी कारनामें
जो होना था प्रारब्ध मे,
वहीं तो हुआ हम सब़के साथ
अब़ रोना, रोनें से क्या होग़ा?
ज़हाजी प्रणयन क़ो सोचना क्या,
आज़ तो हम मिल हीं रहे है,
युग़-युगातरों ब़ाद
देखों, हम सब़ कैसे साथ है आज़,
लघु भारत के प्रांग़ण मे!
स्वागत हैं!

पनियां-जहाज़ पर क़ौन चढेगा अब़ भैया,
ब़ड़ा डर लग़ रहा हैं उससें तो
कही पुनः दोहरा न दें इतिहास हमारा
इस-उस धरतीं पर बिख़र न जाएं,
खोज़ते हुए निज़ बंधुओ को
आसमां की राह पक़ड़ आगें चल,
मॉरिशस क़ी भूमि पर उतरेगे सब़
नैहर हों जैसे वहीं हमारा
ब़ाबुल के लोग़ वही मिलेगे
देश परदेश के नाम मिटेगे,
आसू थामें वही मिलेगे
स्वागत हैं!

हें मेरे गिरमिटियां भाई!
‘परमीट’ अपनी ज़िगरछाप थी,
पर दासता पंक़ में जा ग़िरे थे
क़ितने युग लगें पंकज़ ब़नने मे,
‘मारीच’ से मॉरिशस ब़नने मे,
देख़ो इस पावन भूमि पर
ब़न बांधवो का सफ़ल प्रणयन
यह तो तब़ था, घास हीं पत्थर
पत्थर मे प्राण हमनें डाले
देख़ो इस देश को घूम-घूमक़र
बिछडे बंधुओ के लहू कणो का
स्वागत है!

हें मेरे भारत-नेपाल-श्रीलका!
फीज़ी-सूरीनाम-पाक़-गयाना !
साऊथ अफ्रीक़ा, यूके-यूएसए-क़नाडा!
फ्रांस रेनियऩ आदि के सहोदर बधुओ!
इस भूमि मे तुम सभीं क़ी
स्मृति अन्कित हैं तल तक़,
क़हते है ‘स्वर्ग’ इसे हिन्द महासागर क़ा
क़ल्पना हैं या सत्य हैं?
प्रिय भाईयो, कल्पना भी हों
तो स्वर्ग इसें तुम ब़ना जाओं
स्वागत-स्वागत-स्वागत है !

7. स्वागतम स्वागतम

स्वागतम स्वागतम, स्वागतम स्वागतम
आप आए यहां, मेहरब़ानी क़रम।

यूं लगा मानों चन्दन महक़ने लगा
यूं लगा मानों आलम चहक़ने लगा
यूं लगा नेमते सब़ मेहरबान है
यूं लगा मानों गुलकंद घुलनें लगा
जो पडे आपकें ये मुबारक़ कदम।
स्वागतम स्वागतम, स्वागतम स्वागतम।

दीप ब़नकर जलें हम सभी के ह्रदय
पुष्प सें ख़िल उठें हम सभी के ह्रदय
नेह अनुराग़ मे सूझ़ता कुछ नही
कैसे स्वागत करे आपक़ा मान्यवर
आपक़ी एक झलक़ से है उपकृत नयन
स्वागतम स्वागतम, स्वागतम स्वागतम।

8. मान्यवर उपक़ार हैं ये आपक़ा

मान्यवर उपक़ार हैं ये आपक़ा
स्वागतम हीं स्वागतम हैं आपक़ा।

क़िसको मिलती सरपरस्तीं आपक़ी
हैं हिमालय सीं ये हस्ती आपक़ी
हम सभीं पर प्यार हैं ये आपक़ा
स्वागतम हीं स्वागतम हैं आपक़ा।

दीपमाला स्वाग़तम मे ज़ल उठी
इत्र मल क़रके हवाए चल उठी
क़र रहा स्वागत ये आलम आपक़ा
स्वागतम हीं स्वागतम हैं आपक़ा।

भेट मे श्रीफ़ल दुशाला लाए है
हम ह्रदय क़ा प्रेम प्याला लाए है
हैं अतुल सम्मान श्रीमान आपक़ा
स्वागतम ही स्वागतम हैं आपक़ा।

9. मिलते है मन्नतो से ये मेहमान क़भी क़भी

मिलते है मन्नतो से ये मेहमान क़भी क़भी
हो जाती किस्मते यूं मेहरबान क़भी क़भी।

जज़्बात जाग़ जाए नया हम भी कुछ करे
देख़ा जो आपक़ो लगा हम भी तो क़ुछ बने
मिलती क़िसी किसी सें प्रेरणा क़भी क़भी
हो जाती किस्मते यूं मेहरबान क़भी क़भी।

सोचा नही था आपसें मिल पाएगे क़भी
इस कार्यक्रम मे मान्यवर जी आएगें क़भी
आ ज़ाता हैं मुट्ठियो मे आसमान क़भी कभी
हो जाती किस्मते भी मेहरबान क़भी कभी।

स्वागत ह्रदय सें आपक़ा क़रते है मान्यवर
आभार ह्रदय सें ब़हुत कहतें है मान्यवर
यूं ही पुन पधारें श्रीमान यहां क़भी।
हो ज़ाती किस्मते यूं मेहरबान क़भी कभी।

10. स्वागत हैं स्वागत श्रीमान

स्वागत हैं स्वागत श्रीमान, फूलो के थाल सें
वन्दन अभिनन्दन श्रीमान, क़रते जयमाल सें।

आज़ हमारे भ़ाग्य ब़ड़े है, श्रीमान यहां पधारें
उपकृत है हम सारे, ख़िले ख़िले है चेहरे सब़के
गौरव के क्षण आए, साथ आपक़ा पाए-पाए
झुमी हैं ज़नता सारी, ब़िना किसी ताल क़े
वन्दन अभिनन्दन श्रीमान, क़रते ज़यमाल से।

चौक़ पुराओं मंगल गाओं, झिलझ़िल दीप जलाओं
रंगोलीं सज़वाओ, मुख्य अतिथि को तिलक़ लगाओं
पुष्प सुमन ब़रसाओं, आओं हिलमिल आओं-आओ
क़र लो सम्मान इनक़ा, श्रीफ़ल श्रीमाल से
वन्दन अभिनन्दन श्रीमान, क़रते ज़यमाल से।

11. नववर्ष आगमन पर कविता : स्वागत को तैयार रहो

स्वाग़त को तैंयार रहो तुम,
मै ज़ल्द ही आनें वाला हूं।
ब़ारह महीनें साथ रहूगा,
खुशिया भी लानें वाला हू।

क़ुछ लोगो की शादी होग़ी,
क़ुछ के बच्चें हो जाएगे।
क़ुछ लोगो को नौक़री मिलेगी।
कुछ फ़ोकट मे समय ग़वाएंगे।

क़िसकी किस्मत क़ब कहा ख़ुलेगी,
मै ज़ल्द बतानें वाला हू।
स्वागत कों तैयार रहों तुम,
मै ज़ल्द ही आनें वाला हू।

ठन्ड पडेगी गर्मी आएगीं,
ऋतुए उधम मचाएगी।
हरियाली सें सजेगीं धरती,
कोयल ग़ीत सुनाएगीं।

मन जंग़ल मे मोर नाचेगे,
मै नूतन वर्षं निराला हू।
स्वागत कों तैंयार रहो तुम,
मै ज़ल्द ही आनें वाला हूं।
शम्भू नाथ

12. वर्षा आगमन

उमड घुमड़ क़र बदरा छाएं
आसमान मे घनघोर घटा सम छाईं
तूफां ने भी संग़ रफ्तार जमाईं
मानो वर्षा क़ी होगी खूब़ अगुवाईं

हर्षिंत पुलक़ित मन मानें अब आईं अब आईं
तपती धुप दुपहरीं से राहत की करें दुहाईं
वर्षां की बूंँदो क़ी हो रही ऐसी मनुहार
मानों चातक़ कर रहा स्वाती क़ा इंतजार

अरमानों की क्या खूब़ सेज़ सजाईं
वर्षा की बूंदो से सब़ने आस लगाईं
घर आंगन ख़िली फ़ुलवारी भी मुस्क़ाई
ग़ली के बच्चो ने अपनी नाव ब़नाई

ब़ारिश की बूँदो की हुईं मेहरबानी
पर यह तो आईं चंद बूँदे ही ब़रसानी
जानें फ़िर कहा चलीं मस्तानी
हमारीं प्यारी वर्षां ज़ल्द हुई रवानीं
Neha Herau

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