बिल्ली पर कविता, Cat Poem in Hindi

Cat Poem in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बिल्ली पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

बिल्ली पर कविता, Cat Poem in Hindi

Cat Poem in Hindi

1. Cat Poem in Hindi – छत से फिसली बिल्ली रानी

छत से फिसली बिल्ली रानी
हड्डी टूटी चार
पहुँच गई चूहे की क्लिनिक
होकर के लाचार

रेफर किया चूहे ने बोला
मौसी आई एम सॉरी
मेरी क्लिनिक है दांतों की
दूजी यह बिमारी

कुत्ते जी आर्थों के डोक्टर
पास उन्ही के जाओ
निल ओरल रखवा कर इनको
एम्बुलेंस बुलाओ

2. बिल्ली पर कविता – रोती रोती मुन्नी आई

रोती रोती मुन्नी आई
टीचर ने की कान खिंचाई
मम्मी ने लडिया के पूछा
किस कारण से हुई पिटाई

क्या तुमने की नहीं पढ़ाई
या फिर पोएम नहीं सुनाई
शायद सब बच्चों ने मिलकर
आपस में की हाथपाई

मुन्नी ने रोकी सुबकाई
फिर धीरे से बात बताई
रधिया अपने झोले में रख
इक बिल्ली का बच्चा लाई

मैडम जी कक्षा में आई
उन्हें देख बिल्ली घबराई
शायद उसको भूख लगी थी
म्याऊं म्याऊ वो चिल्लाई

फिर बिल्ली ने उधम मचाई
सबको नानी याद दिलाई
आगे बिल्ली पीछे टीचर
फिर भी उसको पकड़ न पाई

प्रिंसिपल गुस्से में आई
हमसे ऊठ बैठ करवाई
सुन मुन्नी की बिल्ली गाथा
मम्मी धीरे से मुस्काई

3. Poem on Cat in Hindi

बिल्ली के हाथ लगा
नाना जी का चश्मा
सोचा इसको डालूंगी
लगेगा सुंदर मुखड़ा

लगा के चश्मा कानों पर
मंद मंद मुस्काए
ठुमक ठुमक चले मतवाली
वो पगली इठलाए

छोटी छोटी चीजें भी
दिखने लगी बड़ी
चले बड़ी इतरा इतरा
ले हाथों में छड़ी

तभी सामने आया चूहा
बिलकुल दुबला पतला
चश्में के कारण बिल्ली को
लगा वो मोटा तगड़ा

डर के मारे भागी बिल्ली
छोड़ छाड़ के चश्मा
चूहा भी हैरान रह गया
देखकर अद्भुत किस्सा

4. Hindi Poem On Cat – चुनमुन बोला प्यारी बुआ

चुनमुन बोला प्यारी बुआ
बिल्ली से डरता क्यों चूहा?
जब आती छुप जाता है
फिर बाहर न आता है
ये सुन बुआ मुस्काई
अंदर से रसगुल्ला लाई
बोली जब इसको खाओगे
तुम उत्तर पा जाओगे
चुनमुन ने रसगुल्ला खाया
फिर बुआ ने उसे बताया
मीठी मीठी प्यारी मिठाई
जैसे तुम को भाती है
चूहे को समझ रसगुल्ला
बिल्ली चट कर जाती है

5. पूछ रहे बिल्ली के बच्चे

पूछ रहे बिल्ली के बच्चे,
डूबे गहन विचार में।

चूहे क्यों न बिकते हैं मां,
मेलों या बाज़ार में।

हम तो घात लगाकर बिल के,
बाहर बैठे रहते हैं।

लेकिन चूहे धता बताकर,
हमें छकाते रहते हैं।

बीत कई रातें जाती हैं,
दिन जाते बेकार में।

अगर हाट में चूहे बिकते
गिनकर कई दर्जन लाते।

अगर तौल में भी मिलते तो,
क्विंटल भर तुलवा लाते।

बेफिक्री से मस्ती करते,
तीजों में, त्योहार में।

जब भी मरजी होती चूहे,
छांट-छांट कर ले आते।

दाम, अधिक मोटे, तगड़ों के,
मुंह मांगे हम दे आते।

दाम न होते अगर गांठ में,
लाते माल उधार में।

6. Short Poem On Cat In Hindi Language

बिल्ली बोली म्याऊँ म्याऊँ
क्या मैं घर क अंदर आऊं ?
चूहे मुझको मिल नहीं पाये
अब बतलाओं मैं क्या खाऊँ
मैं बोला आओ आओ
तुम भी पिज़्ज़ा बर्गर खाओ
बिल्ली बोली मैं ना खाऊँ
जंक फ़ूड से मैं घबराऊँ
सॉफ्ट ड्रिंक क पास न जाऊँ
मैं तो दुध मलाई खाऊँ

-अनुष्का सूरी

7. बिल्ली मौसी चली पढ़ाने

बिल्ली मौसी चली पढ़ाने

बच्चो को कविता सिखलाने |

टॉमी को यह बाण न भाई

उसने उस पर जम्प लगाई |

बिल्ली मौसी डर कर कांपी

भिखरी उसकी पुस्तक कॉपी |

टॉमी पर तब वह झल्लाई

चढ़ी पेड पर और गुर्राई |

8. देखो देखो बिल्ली आई

देखो देखो बिल्ली आई
बिल्ली आई, बिल्ली आई
सब बच्चों ने ताली बजाई
ताली सुन कर भाग गई वो
भूरी भूरी आँखें उसकी
दबे दबे से पाँव है उसके
पता नहीं चलता आने का
पल में छलांग लगाने का
चुपके से भाग वो जाए
दूध सारा चट कर जाए।।।

9. बिल्ली बना रही जतन से खीर

बिल्ली बना रही जतन से खीर,
चूहे भी खाने को हो रहे अधीर,
बिल्ली मौसी, जाओ दिल्ली
कह चूहे उड़ाने लगे खिल्ली.

बिल्ली को आया बेहद गुस्सा,
उनपर दौड़ी ताने कसकर घूँसा
भागे चूहे अपनी जान बचा के
पर बिल्ली के कदम नही रुके.

धमाचौकड़ी चूहों ने खूब मचाई,
गिरी खीर पतीले से नीचे आई,
खीर-खीर की रट चूहों ने लगाई,
पर बिल्ली ने खीर अकेले खाई.
नवीन कुमार ‘नवेंदु’

10. काली काली गोल मटोल

काली काली गोल मटोल
मेरी बिल्ली बड़ी अनमोल
जब से घर में आई है
उधम खूब मचाई है.

बरनी नीचे, फैली दाल
किचन का हुआ है खस्ताहाल,
माँ कहती है इसे भगाओ
वापस घर में, न इसको लाओ.

देख के मोटा डंडा
भीगी बिल्ली बन जाती है,
म्याऊ म्याऊ कर
बिल्ली मेरी डर जाती है.

11. मक्खी पर चूहा बैठा था

मक्खी पर चूहा बैठा था,
चूहे पर बैठी थी बिल्ली,
उड़ते-उड़ते पहुँच गये वे
पल भर में ही दिल्ली.

दिल्ली वालो ने तीनो की
खूब उड़ाई खिल्ली
तीनो गुस्से से चिल्लाये
बोले ये दिल्ली बड़ी निठल्ली.

दिल्ली को हम कर देंगे
दो पल में पिल्ली-पिल्ली,
गिरा-गिरा कर विकेट धड़ा-धड़
उड़वा देंगे गिल्ली.

यह सुनकर दिल्ली वालो के
नीचे की जमीन हिल्ली,
डर के मारे दिल्ली वाले
बन गये भीगी बिल्ली.

12. वहम था मेरा

वहम था मेरा
या थी सच्चाई
उस कमरे में कुछ तो है भाई
तभी तो दिखी उसकी परछाई
पास जाने को आतुर हुआ
भय से मैं भी शातिर हुआ
चमेली मरी थी दो दिन पहले
कही आत्मा तो न भटकी शमशान से अकेले
मुझको तो अब श्लोक भी याद नहीं आता
पता नही बार-बार मन क्यों घबराता
मैंने अपना मन पक्का कर लिया
एक डंडा और साथ में माचिस को रख लिया
बढ़ाता गया कदम को मैं थाम के
टूटे फूटे ही सही, मन्त्र फिर निकले किताभी ज्ञान के
कमरे में जाकर दीपक जलाया
एक बिल्ली बैठी खिड़की पर
अरे उस बिल्ली ने मुझको डराया
फिर गुस्से से मैंने डंडा उठाया
हवा में उसे घुमा कर मार भगाया.

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