अंतरिक्ष पर कविता, Poem on Space in Hindi

Poem on Space in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ अंतरिक्ष पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

अंतरिक्ष पर कविता, Poem on Space in Hindi

Poem on Space in Hindi

1. Space Poem in Hindi – नभ के तारे कई देखकर

नभ के तारे कई देखकर
एक दिन बबलू बोला।
अंतरिक्ष की सैर करें माँ
ले आ उड़न खटोला॥

कितने प्यारे लगते हैं
ये आसमान के तारे।
कौतूहल पैदा करते हैं
मन में रोज हमारे॥

झिलमिल झिलमिल करते रहते
हर दिन हमें इशारे।
रोज भेज देते हैं हम तक
किरणों के हरकारे॥

कोई ग्रह तो होगा ऐसा
जिस पर होगी बस्ती।
माँ,बच्चों के साथ वहाँ
मैं खूब करुँगा मस्ती॥

वहाँ नये बच्चों से मिलकर
कितना सुख पाऊँगा।
नये खेल सिखूँगा मैं,
कुछ उनको सिखलाऊँगा॥

2. Hindi Poem On space – एक अंतरिक्ष है

एक अंतरिक्ष है
सब उसमें हैं

बना लें अगर हम भी अपना एक अंतरिक्ष
सब हममें हो जाएं
शुरू हों समय से पहले
फैल जाएं समय के परे

नीली स्फटिक पृथ्वी हों हम
अग्निपिंड सूर्य हो एक
झूम झूम घूमें अनवरत
टिकें रहें शून्य में भी
एक चांद हो रातों में उजास भरने वाला
बलैंया लेकर घूमे कलाएं दरसाता
किंवदंतियों सा दिखा करे छिपा करे
तयशुदा दूरी हो पर हमारा हो
इस भरोसे नींद आए

अंतरिक्ष होगा पूरा
अनगिनत जब तारे गढ़ेंगे हम
दिपदिप अंधकार में ढूंढा करेंगे
कौन है जो झिलमिलाता है
कुछ कहता है बुलाता है
किसी के शायद सितारे हो जाएं हम भी

अनगिनत लोगों के साथ
रहते हैं हम बिसर जाते हैं

जब बनाएंगे अंतरिक्ष
कोई बिसरेगा न बिछड़ेगा
अनंत की छाती पर टंकेगा
टिमटिमाएगा
इतने पास होगा हमारे

हम इतने प्यारे हो जाएंगे
कोई सितारा जगाएगा
कोई सुलाएगा
ब्रह्मांड में रहेंगे हम अनंत

3. Short Poem On space In Hindi Language

अंतरिक्ष जादू की नगरी
कौन है इसका जादूगर
अनगिनत है तारें इसके
गिनों तो सकरा जाए सर

लटके है ग्रह इसके सारे
बिना सहारे धागों के
बादलों के भी कई आकार
लगते हैं गुब्बारों से

हैरां हूँ ये देख के मैं
कैसे रची ये नगरी
न तो कोई पगडंडी है
न ही कोई डगरी

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