ज़हीर अली सिद्दीक़ी की प्रसिद्ध कविताएँ, Zahir Ali Siddiqui Poem in Hindi

Zahir Ali Siddiqui Poem in Hindi – यहाँ पर आपको Zahir Ali Siddiqui Famous Poems in Hindi का संग्रह दिया गया हैं. ज़हीर अली सिद्दीक़ी का जन्म 15 जुलाई 1992 को जोगीबारी सिद्धार्थनगर उत्तरप्रदेश में हुआ था. इन्होनें अपनी शिक्षा स्तानक और परास्तानक दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कालेज से प्राप्त की हैं.

आइए अब यहाँ पर Zahir Ali Siddiqui ki Kavita in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं.

ज़हीर अली सिद्दीक़ी की प्रसिद्ध कविताएँ, Zahir Ali Siddiqui Poem in Hindi

Hindi Poetry Zahir Ali Siddiqui

1. गुमनाम है…

सभ्यता के मार्ग में
विलुप्त कितने हो गए
शिष्टता तो आज भी
अदृश्य होकर रह गयी।।

दूर जाता मनू भी
अनुरोध करता रह गया
सभ्यता और सभ्य का
मिलाप होना रह गया।।

इंसानियत की राह से
इंसान ही भटका हुआ
शूल के अंबार में भी
गुस्ताखियाँ इन्सान की।।

क्या करोगे रोशनी
रोशन जहाँ है आज भी
नेत्र तुमने बन्द की है
खोलकर देखो जरा।।

राहों से पत्थर हटा
रास्ता खुल जायेगा
सुनसान राहें आज भी
क्यों हुई गुमनाम हैं?

विभावरी तू अदृश्य है
क्यों वासर अंतर्ध्यान है?
प्रभा से विपुल मानव,
क्यों तमिस्रा का प्रवाह है?

2. जीतने की ज़िद

ऐ शिकारी! याद रख
तरकशों के तीर को
तीर से तक़रार अक्सर
रोक देती जीत को।।

गिर गया तो क्या हुआ
उठना यदि मालूम है
हार अक्सर जंग में
जीत की एक चाल है।।

ठहरने की ख्वाहिशें
गिरने की आहट सदा
गिरने से गिरेबान भी
दिखता नही इंसान को ।।

ज़िन्दगी का सफ़र भी
कठिन होना चाहिए
कठिनाइयों के की मार से
मजबूत होना चाहिए।।

जीतने की ज़िद सदा
लत लगाती जीत की
हार भी फ़रार होती
ज़िद के हाहाकार से।।

3. तैरने दो मुझे

तैरने दो मुझे
डूबने के भय से
निजात पाऊँगा
हाथ-पैर चलाकर
तैरना सीख जाऊँगा।।

लड़ने दो मुझे
हार के की दहशत से
जीत जाऊँगा
गिरकर उठने से
लड़ना सीख जाऊँगा।।

खेलने दो मुझे
डर के काल को
बेहाल कर दूंगा
हार से लड़कर
खेलना सीख लूँगा ।।

बहने दो मुझे
दशाओं से लड़कर
दिशा बदल दूंगा
बाधा को तोड़कर
बहना सीख लूँगा ।।

लिखने दो मुझे
कलम की धार से
बुराई समेट दूँगा
फिज़ा को सींचकर
लिखना सीख लूँगा ।।

खोजने दो मुझे
अंधकार से दूर
कुकृत्यों को मार दूँगा
ग़ायब क़िरदार को
खोजना सीख लूँगा ।।

देखने दो मुझे
आँख से पट्टी हटा
बदला रूप बदल दूँगा
आत्म मंथन कर
देखना सीख लूँगा ।।

प्यार करने दो मुझे
कांटे से गुज़र कर
कली को सींच लूँगा
लहू के कतरे से
प्यार की शाख दूँगा ।।

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