गौतम कुमार “सागर” की प्रसिद्ध कविताएँ, Gautam Kumar Sagar Poem in Hindi

Gautam Kumar Sagar Poem in Hindi – यहाँ पर आपको Gautam Kumar Sagar Famous Poems in Hindi का संग्रह दिया गया हैं. गौतम कुमार “सागर” जी का काव्य संग्रह सागर तुझमे कितना पानी प्रकाशित हो चुकी हैं.

आइए अब यहाँ पर Gautam Kumar Sagar ki Kavita in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं.

गौतम कुमार “सागर” की प्रसिद्ध कविताएँ, Gautam Kumar Sagar Poem in Hindi

Gautam Kumar Sagar

मुकरियाँ

(हिन्दी पद्य-साहित्य विविध विधाओं
का उपवन है। मुकरियों या कह-मुकरियों
का प्रारम्भ चौदहवीं सदी के प्रमुख कवि,
शायर, गायक और संगीतकार अमीर
खुसरो से माना जाता है। उसी परंपरा
को आगे बढाते हुए आधुनिक हिंदी
साहित्य के पितामह कहे जाने वाले
भारतेन्दु हरिश्चन्द्रजी ने इस विधा
को खुले हृदय से अपनाया एवं
शृंगार रस के अतिरिक्त उन्होंने
वर्त्तमान सामाजिक-राजनैतिक
घटनाओं पर भी कह-मुकरियों
लिख कर बेहतर प्रयोग किये थे।)

मुकरियाँ (कह–मुकरियाँ)

1)
चिपटा रहता है दिन भर वो
बिन उसके भी चैन नहीं तो
ऊंचा नीचा रहता टोन
ए सखि साजन ? ना सखि फोन!
2)
सुंदर मुख पर ग्रहण मुआ
कौन देखे होंठ ललित सुआ
कब तक करूँ इसे बर्दाश्त
ए सखि साजन ? ना सखि मास्क!
3)
इसे जलाकर मैं भी जलती
रोटी भात इसी से मिलती
ये बैरी मिट्टी का दूल्हा
ए सखि साजन ? ना सखि चूल्हा!
4)
डार डार और पात पात की
ख़बर रखें हजार बात की
मानों हो कोई जिन्न का बोतल
ए सखि साजन ? ना सखि गूगल
5)
उसकी सरस सुगंध ऐसी
तृप्ति पाये रूह प्यासी
फुलवारी का वो रुबाब
ए सखि साजन ? ना सखि गुलाब !
6)
कभी तेज़ तो कभी हो मंद
नदियों में वो फिरे स्वछंद
पार उतारे तट के गाँव
ए सखि साजन ? ना सखि नाव !
7)
कसमें , वादे और सौगंध
वो है पदभिमान में अंध
अबकी आए तो मारू जूता
ए सखि साजन ? ना सखि नेता!
8)
हृदय के यमुना के तट पर
आता वो है बनकर नटखट
रूप अधर और नैन मनोहर
ए सखि साजन ? ना सखि गिरधर
9)
उसके बिन है जीवन मुश्किल
चलो बचाएं उसको हम मिल
जीवन की रसमय वो निशानी
ए सखि साजन ? ना सखि पानी

हाइकु

1)
प्रेम के पत्र
भरित दीमक से
यादें सिसके।

2)
चमगादड़
टंगे नयन द्वार
स्वप्न समान ।

3)
गिरह पड़े
बार-बार उलझे
साँसों का गुच्छा ।

4)

प्रेम का जाल
हाथ में है जिसके
वो फँसा पड़ा।

5)
नयन कोर
अटका एक अश्रु
दृष्टि अछोर

6)
नयन सीप
अश्रु महासागर
सपने मोती

7)

वर्षा का तन
धरती का बदन
नव्य-सर्जन

8)
फूल भीतर
मिट्टी की कोख
पलती गंध

9)
वादों का पान
मुख शब्द- रंगीन
नही यकीन

10)

आस कटोरा
दूध-जल मिश्रित
बनिए हंस

11)
तुषार-वीणा
मरुस्थल का गीत
अजब सुर

12)
गुलाबी गात
ईश्वरीय -संदेश
कन्या का जन्म

13)

उषा घूँघट
हटाता दिनकर
लजाती रात

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