महिलाओं पर कविताएँ, Poem on Women in Hindi, Poem on Women’s Day in Hindi

Poem on Women in Hindi – इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन महिलाओं पर कविताएँ का संग्रह दिया गया हैं. यह सभी कविताओं को हमारे हिन्दी के लोकप्रिय कवियों द्वारा लिखी गई हैं. आप यदि Poem on Women’s Day in Hindi में ढूंड रहें हैं. तो इन सभी कवितों को भी आप Mahila Diwas Par Kavita को सुना सकते हैं. स्कूल कालेजों या किसी प्रतियोगिता में भी Nari Shakti Poem in Hindi में लिखने को कहा जाता हैं. उन लोगों के लिए भी यह सभी Poem on Women in Hindi में सहायक होगी.

आज के समय में नारी प्रत्येक क्षेत्र में परुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. पहले के अपेक्षा नारी तो समृद्ध हुई हैं. फिर भी अभी भी बहुत कमी हैं. जिसको दूर करना जरुरी हैं. अभी भी नारी के बारे में अगर कोई फेसला लेना हो तो उसके माता – पिता, भाई या उसका पति के द्वारा ही लिया जाता हैं. आज भी रोज नारी के शोषण की खबरे अखबार में पढने को मिल जाती हैं.

हमारे भारतीय समाज में नारी को देवी का रूप माना जाता हैं. हमें जन्म देने वाली एक नारी ही होती हैं. एक नारी ही हमारी माँ, बहन, बेटी और पत्नी होती हैं. नारी को त्याग की मूर्ति भी कहा जाता हैं. 

8 मार्च को विश्व महिला दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. इस दिन जो महिला समाज में उत्कृष्ट कार्य करती हैं. उनको सम्मानित किया जाता हैं. जिससे उनका और आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ सके. और दूसरी महिला को इससे प्रेरणा मिल सके. Women’s Day को नारी के अधिकारों के लिए और उन्हें जागरूक करने के लिए पुरे विश्व में अनेकों कार्यक्रम आयोजित किया जाता हैं.

आइए अब कुछ नीचे Poem on Women in Hindi में दिया गया हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी Poem on Women’s Day in Hindi में पसंद आयगी. इस महिलाओं पर कविताएँ को अपने फ्रेंड्स के साथ भी शेयर करें.

महिलाओं पर कविताएँ, Poem on Women in Hindi, Poem on Women’s Day in Hindi

Poem on Women in Hindi

1. Poem on Women in Hindi – ओ नारी ! कैसे कह दूं

ओ नारी ! कैसे कह दूं, तुम कुछ नहीं हो

ज्ञान जो चाहें सरस्वती तुम, मान जो चाहें लक्ष्मी हो तुम
अपराधों का साया छाये धरती पर, तो काली-दुर्गा का रूप हो तुम
ओ नारी ! कैसे कह दूं, तुम कुछ नहीं हो।

खुशियों का संसार तुम्हीं से, जीने के आधार तुम्हीं से
बंद होते और खुलते भी हैं, दुनिया के दरबार तुम्हीं से
ओ नारी ! कैसे कह दूं, तुम कुछ नहीं हो।

प्रेम की शुरुआत तुम्हीं से, जीवन का आगाज तुम्हीं से
ये जहां है जगमग सूरज से, सूरज की चमकार तुम्हीं से
ओ नारी ! कैसे कह दूं, तुम कुछ नहीं हो।

कभी कठोर-कभी नेक हो तुम, हर रिश्ते में हरि एक हो तुम
ममता-शक्ति और मुहब्बत, नारी तुम एक हो मगर अनेक हो तुम
ओ नारी ! कैसे कह दूं, तुम कुछ नहीं हो।

आन-बान और शान तुम्हीं से, संस्कारों की खान तुम्हीं से
दर्द-त्याग और ममता की है, संसार में पहचान तुम्हीं से
ओ नारी ! कैसे कह दूं, तुम कुछ नहीं हो।
Raj Shekhar

2. Women’s Day Poem in Hindi – हमारी कोखजाई

हमारी कोखजाई

पढ़ी लिखी तो क्या हुआ, हो तो तुम लड़की
जॉब कर ली तो क्या हुआ, हो तो तुम लड़की।

रात का अँधेरा है तुम्हारे लिए खतरनाक,
तुमसे ही ऊंची नीची होती खानदान की नाक।
मत भूलो, न समाज बदला है न ही हमलोग,
बेटियाँ आज भी है बाप के कंधो का बोझ।

आज भी रात को बाहर निकलने से पहले पड़ता हमें है सोचना,
बाप के चेहरे पर उड़ती है हवाई और माँ का सौ बार पूछना।

बेटा जवान तो बाप का सहारा
बेटी जवान तो बाप ‘बेचारा’।

लड़की ज्यादा पढ़ लिख ली तो अच्छा रिश्ता कहाँ से आएगा,
लड़का जितना पढ़े , दहेज़ से उतना घर भर जाएगा।

कहीं कभी कोई लड़की छिड़ी तो “दोषी” लड़की ही होगी,
ज़रूर कपड़े “तंग” होंगे या रात में निकली होगी।

उसके कपड़े नहीं तुम्हारी मानसिकता “तंग” है,
अपने अधिकारों की खातिर लड़नी हमें अब जंग है।
आशाओं की किरण दिखी है, सवेरा होना बाकी है,
नयी सुबह की एक किरण, अँधेरा चीरने को काफी है।

बहुत हुआ सम्मान,
अब होगी आरपार की लड़ाई।
बराबरी का हक तुम हमें भीख में क्या दोगे,
पूरी क़ायनात है “हमारी कोखजाई”।

3. Hindi Poems on Nari Shakti – मै अबला नादान नहीं हूँ

मै अबला नादान नहीं हूँ, दबी हुई पहचान नहीं हूँ।
मै स्वाभिमान से जीती हूँ,
रखती अंदर ख़ुद्दारी हूँ।।

मै आधुनिक नारी हूँ।।

पुरुष प्रधान जगत में मैंने, अपना लोहा मनवाया।
जो काम मर्द करते आये, हर काम वो करके दिखलाया
मै आज स्वर्णिम अतीत सदृश, फिर से पुरुषों पर भारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ।।

मैं सीमा से हिमालय तक हूँ, औऱ खेल मैदानों तक हूँ।
मै माता,बहन और पुत्री हूँ, मैं लेखक और कवयित्री हूँ
अपने भुजबल से जीती हूँ, बिजनेस लेडी, व्यापारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ।।

जिस युग में दोनो नर-नारी, कदम मिला चलते होंगे
मै उस भविष्य स्वर्णिम युग की, एक आशा की चिंगारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ।।

4. Mahila Diwas Par Kavita – आया समय, उठो तुम नारी

आया समय, उठो तुम नारी।
युग निर्माण तुम्हें करना है।।

आजादी की खुदी नींव में।
तुम्हें प्रगति पत्थर भरना है।।

अपने को, कमजोर न समझो।
जननी हो सम्पूर्ण जगत की, गौरव हो।।

अपनी संस्कृति की, आहट हो स्वर्णिम आगत की।
तुम्हे नया इतिहास देश का, अपने कर्मो से रचना है।।

दुर्गा हो तुम, लक्ष्मी हो तुम।
सरस्वती हो सीता हो तुम।।

सत्य मार्ग, दिखलाने वाली, रामायण हो गीता हो तुम।
रूढ़ि विवशताओं के बन्धन, तोड़ तुम्हें आगे बढ़ना है।।

साहस , त्याग, दया ममता की, तुम प्रतीक हो अवतारी हो।
वक्त पड़े तो, लक्ष्मीबाई, वक्त पड़े तो झलकारी हो,
आँधी हो तूफान घिरा हो, पथ पर कभी नहीं रूकना है।।

शिक्षा हो या अर्थ जगत हो या सेवाये हों।
सरकारी पुरूषों के समान तुम भी हो।।

हर पद की सच्ची अधिकारी।
तुम्हें नये प्रतिमान सृजन के अपने हाथों से गढ़ना है।।
Shailendra kumar singh Chauhan

5. Poem on Women’s Day in Hindi – आधुनिक युग की नारी

सजग, सचेत, सबल, समर्थ, आधुनिक युग की नारी है।
मत मानो अब अबला उसको , सक्षम है बलधारी है।।

बीत गई वो कल की बेला जीती थी वो घुट घुट कर।
कुछ न कहती , सब कुछ सहती पीती आंसू छुप छुप कर।।

आज बनी युग की निर्माता, हर बाधा उस से हारी है।
चारदीवारी का हर बन्धन तोड़ के बाहर आई है।।

घर, समाज और देश में उसने अपनी जगह बनाई है।
ऊंचे ऊंचे पद पर बैठी, सम्मान की वो अधिकारी है।।

मत समझो निर्बल बेबस, लाचार आज की नारी है ।
नर की प्रबल प्रेरणा का आधार आज की नारी है ।।

स्नेह, प्रेम व ममता का भन्डार आज की नारी है ।
हर जंग जीते शान से यह, अभियान अभी भी जारी है।।

हरीश नारंग

6. Hindi Kavita on Women’s Day – नारी तेरे रूप अनेक

नारी तेरे रूप अनेक, सभी युगों और कालों में है तेरी शक्ति का उल्लेख ।
ना पुरुषों के जैसी तू है ना पुरुषों से तू कम है।।

स्नेह,प्रेम करुणा का सागर शक्ति और ममता का गागर ।
तुझमें सिमटे कितने गम है।।

गर कथा तेरी रोचक है तो तेरी व्यथा से आंखे नम है।
मिट-मिट हर बार संवरती है।।

खुद की ही साख बचाने को हर बार तू खुद से लड़ती है।
आंखों में जितनी शर्म लिए हर कार्य में उतनी ही दृढ़ता।।

नारी का सम्मान करो ना आंकों उनकी क्षमता।
खासतौर पर पुरुषों को क्यों बार बार कहना पड़ता।।

हे नारी तुझे ना बतलाया कोई तुझको ना सिखलाया।
पुरुषों को तूने जो मान दिया हालात कभी भी कैसे हों।।

तुम पुरुषों का सम्मान करो नारी का धर्म बताकर ये ।
नारी का कर्म भी मान लिया औरत सृष्टि की जननी है ।।

श्रृष्टि की तू ही निर्माता हर रूप में देखा है तुझको ।
हर युग की कथनी करनी है युगों युगों से नारी को ।।

बलिदान बताकर रखा है तू कोमल है कमजोर नहीं ।
पर तेरा ही तुझ पर जोर नहीं तू अबला और नादान नहीं ।।

कोई दबी हुई पहचान नहीं है तेरी अपनी अमिटछाप ।
अब कभी ना करना तू विलाप चुना है वर्ष का एक दिन ।।

नारी को सम्मान दिलाने का अभियान चलाकर रखा है ।
बैनर और भाषण एक दिन का जलसा और तोहफा एक दिन का ।।

हम शोर मचाकर बता रहे हम भीड़ जमाकर जता रहे ।
ये नारी तेरा एक दिन का सम्मान बचाकर रखा है ।।

मैं नारी हूं है गर्व मुझे ना चाहिए कोई पर्व मुझे ।
संकल्प करो कुछ ऐसा कि अब सम्मान मिले हर नारी को,
बंदिश और जुल्म से मुक्त हो वो अपनी वो खुद अधिकारी हो।।

प्रतिभा तिवारी

7. Nari Shakti Poem in Hindi – कौन कहता हैं की

कौन कहता हैं की,
नारी कमज़ोर होती है।
आज भी उसके हाथ में,
अपने सारे घर को चलाने की डोर होती है।

वो तो दफ्तर भी जाती हैं,
और अपने घर परिवार को भी संभालती हैं।
एक बार नारी की ज़िंदगी जीके तो देखों,
अपने मर्द होने के घमंड यु उतर जायेंगा,
अब हौसला बन तू उस नारी का,
जिसने ज़ुल्म सहके भी तेरा साथ दिया।

तेरी ज़िम्मेदारियों का बोझ भी,
ख़ुशी से तेरे संग बाट लिया।
चाहती तो वो भी कह देती, मुझसे नहीं होता।
उसके ऐसे कहने पर,
फिर तू ही अपने बोझ के तले रोता।

8. Best Poem on Nari Shakti in Hindi – तोड़ के हर पिंजरा

तोड़ के हर पिंजरा
जाने कब मैं उड़ जाऊँगी
चाहे लाख बिछा लो बंदिशे
फिर भी दूर आसमान मैं अपनी जगह बनाऊंगी मैं
हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ
भले ही परम्परावादी जंजीरों से बांधे है दुनिया के लोगों ने पैर मेरे
फिर भी उस जंजीरों को तोड़ जाऊँगी
मैं किसी से कम नहीं सारी दुनिया को दिखाऊंगी
हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ

9. महिलाओं पर कविताएँ – सरल सुपावन कोमल नारी

सरल सुपावन कोमल नारी ।
निर्भर जिस पर दुनियां सारी ।।
माँ बेटी बहिना बहू नामा ।
निज परिवार बनावत धामा ।।
कोमल हृदय सुपावन बानी ।
धरमशील अतिसय गुणखानी ।।
धर्म कर्म अति निपुण विवेका ।
बल प्रताप सब एक ते एका ।।
साहस शील विनय अनुगामी ।
तेजोमयी अरु अन्तरयामी ।।
दृढ़संकल्पित तन मन प्यारा ।
मुट्ठी में जिनके जग सारा ।।
आन मान है शान निराली ।
मात्रृ शक्ति मुस्कान निराली ।।
नभ जल थल में कर्म निरत है ।
विस्मित जिनसे आज जगत है ।।
सबसे पूजित सबसे प्यारी ।
भूमंडल की सिगरी नारी ।।
नारी शक्ति को शीश नवाते ।
“महिला दिवस” हैं आज मनाते ।

अशोक कुमार पंत

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