पेड़ पर कविता, Poem on Tree in Hindi

Poem on Tree in Hindi : दोस्तों आज इस पोस्ट में कुछ लोकप्रिय पेड़ पर आधारित कविताओं का संग्रह निचे दिया गया हैं. स्कूल में भी पेड़ पर कविता के बारे में पढाया जाता हैं. जिससे विधार्थियों को पेड़ के विशेषताओं के बारे में जानकारी मिलें.

पेड़ के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. पेड़ प्रकृति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. पेड़ से हमें जीवन जीने के लिए बहुत कुछ मिलता हैं. इससे हमें जल, हवा, जडीबुटी, फल आदि मिलता हैं. पेड़ हमारे जीवन को सरल बनाती हैं.

लेकिन अभी के समय में मानव अपने कुछ निजी स्वार्थ के लिए पेड़ को काटे जा रहें हैं. जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा हैं. जिससे आने वाली पीढ़ियों पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ेगा. इसलिए आपलोग से निवेदन हैं. की पेड़ों को काटने से बचाएं. और कम से कम एक पेड़ जरुर लगाएं.

अब आइए कुछ नीचे Poem on Tree in Hindi में दिया गया हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह पेड़ पर कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

पेड़ पर कविता, Poem on Tree in Hindi

Poem on Tree in Hindi

1. Poem on Tree in Hindi – अगर कहीं जो चलते पेड़

अगर कहीं जो चलते पेड़
बच्चों जैसे पलते पेड़

बेसुध माता लगती कहने
कहीं नीम को देखा तुमने
चार घड़ी से वो गायब है
वस्त्र हरे थे पहने उसने

कहीं खो गया मेरा लाल
जग होशियारी में है डेढ़

नन्हें पौधे की माँ कहती
तुम मत खेलो साथ बड़ों के

बरगद पीपल भारी भरकम
नाना हैं ये सब झगड़ों के
नन्हों के संग चलते चाल
पौधों से सब जलते पेड़

दो पेड़ों में मारपीट की
खबरें आती अखबारों में
दुर्घटना में इतने घायल
इतने मरे बाजारों में

बुरा मान जाता एक पौधा
बलशाली जब देता छेड़

2. पेड़ पर कविता – यह मुझको समझाओ माँ

यह मुझको समझाओ माँ
सोचो और बताओ माँ
भूख नहीं क्या लगती इनको
पेट कहाँ दिखलाओ माँ

पौधे पानी पीते हैं
पानी पर ही जीते हैं
अब तुम उनके पानी को
मिट्टी से छुडवाओ माँ
धूप में उनको रखती हो
मैं जाऊं तो डरती हो
भेदभाव इतना जो करती
कारण भी बतलाओ माँ

कितनी सुंदर बात कही है
चिंता तेरी खूब भली है
पौधों की दुनिया के राज
बतलाऊं जो बात चली हैं
खाना भी ये खाते हैं
खुद ही उसे पकाते है

धूप, हवा, पानी सब मिलकर
भोजन ही बन जाते है

मिट्टी जो पानी पीती है
पौधों को दे देती हैं
जड़ इनकी मिट्टी के अंदर
धीरे धीरे पानी पीती हैं.

3. Tree Poem in Hindi – अगर पेड़ पर रूपये फलते

अगर पेड़ पर रूपये फलते
टप टप टप टप रोज टपकते
अगर पेड़ में रूपये फलते
सुबह पेड़ के नीचे जाते
ढेर पड़े रूपये मिल जाते

थैलों में भर भर कर रूपये
हम अपने घर में ले आते
मूंछों पर दे ताव रोज हम
सीना तान अकडके चलते

कभी पेड़ पर हम चढ़ जाते
जोर जोर से डाल हिलाते
पलक झपकते ढेरों रूपये
तरुवर के नीचे पुर जाते
थक जाते हम मित्रों के संग
रूपये एकत्रित करते करते

एक बड़ा वाहन ले आते
उसको रुपयों से भरवाते
गली गली में टोकनियों से
हम रूपये भरपूर लुटाते
वृद्ध गरीबों भिखमंगो की
रोज रुपयों से झोली भरते

निर्धन कोई नहीं रह पाते
अरबों के मालिक बन जाते
होते सबके पास बगीचे
बड़े बड़े बंगले बन जाते
खाते पीते धूम मचाते
हम सब मिलकर मस्ती करते

4. Hindi Poem On Tree – संत जनो का हैं ये क़हना

संत जनो का हैं ये क़हना,
धरती मां क़ा वृक्ष हैं गहना।
वृक्ष लगाओं हरियाली लाओं,
इस धरती को स्वर्गं बना दो।
पेड न काटों रख़ो ध्यान,
धरती का हैं यहीं प्रधान।
इससें हैं वसुधा क़ी शान,
इससें ही हैं जीवो मे जान।
वृक्ष लगाओं,
धरती को स्वर्गं बनाओं।
– नेहा कुमारी, पिंकी कुमारी

5. Short Poem On Tree In Hindi Language

पेड़ हैं जीवन मे उपयोग़ी
धरती की सुरक्षा इन्ही से होगीं
पेड ही पंछियो का घर हैं
इसी पर मानवज़ाति निर्भंर हैं
पेड हैं तो हैं पीनें का पानी
इसीं से आयेगी वर्षां रानी
पेड कटनें से कही सूखा आयेगा
कहीं बाढ का पानी ना रुक़ पायेगा
पेडो से होगी छाया और नमीं
फल और फ़ूल की ना होगी क़मी !!

6. पेड़ बचेगे तो धरती बचेगी

पेड़ बचेगे तो धरती बचेगी
ज़ीवन बचेंगा क़ल बचेगा
पेड से ही तो वर्षां होगी
नदी बचेंगी ज़ल बचेगा
जब ख़ेतों मे होगा अनाज़
थालियो मे भोज़न बचेगा
जीवन मे होगी ख़ुशहाली
ज़ब धरती पर पेड बचेंगा !!

7. धरती की बस यहीं पुक़ार

धरती की बस यहीं पुक़ार,
पेड़ लगाओं बारम्बार।
आओं मिलक़र कसम ख़ाएं,
अपनी धरती हरित बनाये।
धरती पर हरियालीं हो,
जीवन मे ख़ुशहाली हो।
पेड़ धरतीं की शान हैं,
ज़ीवन की मुस्क़ान हैं।
पेड़ पौधो को पानी दें,
ज़ीवन की यहीं निशानी दे।
आओं पेड़ लगाये हम,
पेड़ लगाक़र ज़ग महकाक़र।
जीवन सुख़ी बनाये हम,
आओं पेड़ लगाये हम।
-लक्ष्मी

8. गर पेड भी चलतें होते

अगर पेड भी चलतें होते,
कितनें मज़े हमारे होतेे।
बांध तने मे उसकें रस्सी,
चाहें जहा कही ले ज़ाते।
जहा कही भी धुप सताती,
उसके नीचें झ़ट सुस्ताते।
जहा कही वर्षा हो ज़ाती,
उसकें नीचे हम छिप ज़ाते।
लग़ती ज़ब भी भूख़ अचानक,
तोड मधुर फ़ल उसके ख़ाते।
आती कीचड, बाढ कही तो,
झ़ट उसके ऊपर चढ ज़ाते।
गर पेड़ भी चलतें होते,
कितने मज़े हमारे होते।

9. तुम्हारी मेज कुर्सी

तुम्हारी मेज कुर्सी
जिस पर तुम पढ़ते हो
मैं हूँ

मेले में काठ का घोड़ा
जिस पर तुम चढ़ते हो
मैं हूँ

गाँव में लकड़ी का पुल
जिस पर तुम चलते हो
मैं हूँ

नाव जिसमें बैठ
तुम नदी पार करते हो
मैं हूँ

पतला सा कागज
जिस पर तुम लिखते हो
मैं हूँ

10. हम बच्चों के झूले खातिर

हम बच्चों के झूले खातिर
टहनी सदा झुकाएं
खुद पीड़ा सहकर भी वे तो
किलकारी फैलाएं

लिख दें कविता पेड़ों पर हम
पेड़ चाहते होंगे
हमें देखते होंगे जब ये
खुश भी होते होंगे

फल फूल और छाया देते
पीछे कभी न हटते
फिर भी क्यों ये सच्चे साथी
बिना वजह भी कटते

11. एक पेड़ था हरा भरा वह

एक पेड़ था हरा भरा वह
सबको छाया देता था
बदले में वह कभी किसी से
कुछ भी नहीं लेता था

हम बच्चें उस पर चढ़ कर
मस्ती करते रहते थे
मगर पेड़ गिर न जाए
थोडा थोडा डरते थे
हमें देख कर पेड़ भी शायद
ताऊ जी बन जाता था
हवा चले जब सन्न सन्न तो
मस्ती में कुछ गाता था
उस पेड़ पर बैठे पक्षी
अपना राग सुनाते थे
सारे बच्चे खेल कूद कर
घर वापस आ जाते थे

मगर एक दिन आया कोई
किया पेड़ पर अत्याचार
काट दिया आरी से उसको
सबको दुःख हुआ अपार
नहीं वहां अब कोई छाया
ना चिड़ियों का गाना
पेड़ बिन सूनी है धरती
वहां न अपना जाना है
हम सब उसको दोस्त सरीखे
वह जैसे अभिनेता था
एक पेड़ था हरा भरा वह
सबको छाया देता था
बदले में वह कभी किसी से
कुछ भी तो ना लेता था

12. हे ईश्वर रुपयों का मेरे

हे ईश्वर रुपयों का मेरे
घर पर पेड़ लगाओ
चाहे बदले में पापा के
सब रूपये ले जाओ

रोज मैं बरफी पेडे वा
रसगुल्ले ही लाऊंगा
मम्मी सा लांची दानों में
नहीं मैं फुस्लाऊंगा

टाफी बिस्कुट और गुब्बारे
भी तुमको लाऊंगा
नई नई ड्रेस रोज पिन्हा कर
मंदिर सजवाऊंगा

13. सोचो गर ये वृक्ष न होते

सोचो गर ये वृक्ष न होते
हरियाली ये लाता कौन
शीतल शीतल पवन के झोंके
तन, ठंडक पहुंचाता कौन

सोचो गर ये वृक्ष न होते
कंद मूल फिर लाता कौन
पेट में चूहे कूद रहे जो
शांत उन्हें कराता कौन

सोचो गर ये वृक्ष न होते
श्वास हमें दिलवाता कौन
सदा सिलेंडर लिए ऑक्सीजन
उसका बोझ उठाता कौन

सोचो गर ये वृक्ष न होते
वन उपवन कहलाता कौन
पशु पक्षी के ये जीवन रक्षक
ठांव उन्हें दिलवाता कौन

14. खड़े खड़े हरदम रहते हो

खड़े खड़े हरदम रहते हो
कुछ न कहते चुप रहते हो
नीम, आम, जामुन, बहेड़ जी
सुनो पेड़ जी सुनो पेड़ जी

कभी बैठकर हमसे बोलो
दही जलेबी खा खुश हो लो
ललचाए से खड़े भेड़ जी
सुनो पेड़ जी सुनो पेड़ जी

मिट्टी से तुम जल जाते हो
मीठे मीठे फल देते हो
खाएँ बच्चे और अधेड़ जी
सुनो पेड़ जी सुनो पेड़ जी

करो सुखी जीवन की राहें
जो भी तुम्हें काटना चाहे
हम उनको देगे खदेड़ जी
सुनो पेड़ जी सुनो पेड़ जी

15. पेड़- पौधे हमारा जीवन है ये सबको बतलाना है

पेड़- पौधे हमारा जीवन है ये सबको बतलाना है
पेड़ो को कटने से हमें रोक कर दिखाना है
संसार के हर एक इंसान तक ये संदेश पहुंचाना है
पेड़ -पौधों को बचाना है पेड़ -पौधों को बचाना है |
जिंदगी देते पेड़ हमें ये सबको बताना है
कुछ नही लेते पेड़ हमसे ये सबको को बताना है
हर दिन हर पल ये हमारी जिंदगी बचाते है
प्यार क्या होता है ये हमको समझाते है
लेकिन इंसान आज ये तू क्या कर रहा
प्यार के बदले तू पेड़ो को सरे आम काट रहा
दर्द उन्हें भी होता है ये सबको बताना है
पेड़ -पौधों को बचाना है पेड़ -पौधों को बचाना है |
कितने वर्षो मे एक पौधा पेड़ बन पाता है
ओर इंसान उस पेड़ को दो मिनट मे काट गिराता है
पेड़ काट कर इंसान अपनी जिंदगी नर्क बना रहा
आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण मे तड़पा रहा
अहसान मानो पेड़ो का जो जीवित हमको रखते है
इतना कस्ट सह कर भी वो हमसे नही चिढ़ते है
अगर एक मिनट के लिए भी संसार के
सभी पेड़ -पौधे गायब हो जाये
इंसनों को तब पेड़-पौधों का महत्व समझ आये
एक पेड़ सौ पुत्र समान ये सबको बताना है
पेड़ -पौधों को बचाना है पेड़ -पौधों को बचाना है |
हर खुशी के अवसर पर कम से कम एक पेड़ लगाना है
आने वाली पीढ़ियों को बडे संकटो से बचाना है
पेड़- पौधे हमारा जीवन है ये सबको बतलाना है
पेड़ो को कटने से हमें रोक दिखाना है|

16. खुश था मे अपनी जीवन मे

खुश था मे अपनी जीवन मे,
फिर एक दिन इंसान आया|

इंसान को अपनी ओर आते देख,
मेरा मन बहुत घबराया|

इंसान के हाथ मे कुल्हाड़ी देख,
मुझे अपना अंत समय नजर आया|

मै इंसान के सामने बहुत गिड़गिड़ाया,
पर इंसान ने मुझे काट गिराया|

मै भागना चाहता था,
पर पैर नही थे मेरे पास|

मै उड़ना चाहता था,
पर पंख नही थे मेरे पास|

किसने हक दिया तुझे ए इंसान,
जो हमें ऐसे काट गिराएगा|

अगर तू ही बन जायेगा हमारा दुश्मन,
तो हमें कौन बचायेगा|

17. धरती की बस यही पुकार

धरती की बस यही पुकार,
पेड़ लगाओ बारम्बार।

आओ मिलकर कसम खाएं,
अपनी धरती हरित बनाए।

धरती पर हरियाली हो,
जीवन में खुशहाली हो।

पेड़ धरती की शान है,
जीवन की मुस्कान है।

पेड़ पौधों को पानी दे,
जीवन की यही निशानी दे।

आओ पेड़ लगाए हम,
पेड़ लगाकर जग महकाकर।

जीवन सुखी बनाए हम,
आओ पेड़ लगाएं हम।

-लक्ष्मी

18. पेड़ पौधे हमारे है

पेड़ पौधे हमारे है,
यह सब सबके प्यारे है।

सर्दी गर्मी सहते है,
नहीं कभी कुछ कहते है।

फल-मेवे बरसाते है,
हम सब मिलकर खाते है।

आओ इनसे प्यार करें,
हम सब मिलकर हरा-भरा संसार करें।

– गोरी

19. पेड़ बचेंगे तो धरती बचेगी

पेड़ बचेंगे तो धरती बचेगी
जीवन बचेगा कल बचेगा

पेड़ से ही तो वर्षा होगी
नदी बचेगी जल बचेगा

जब खेतों में होगा अनाज
थालियों में भोजन बचेगा

जीवन में होगी खुशहाली
जब धरती पर पेड़ बचेगा

-केसर गोहिल

20. वृक्ष धरा के भूषण है

वृक्ष धरा के भूषण है
करते दूर प्रदूषण है।

हम सबको भाते हैं वृक्ष
हरियाली लाते हैं वृक्ष।

पत्थर खाकर भी फल देते
हवा के विश्व को ये हर लेते।

प्राण वायु हर पल ये देते
फिर भी हमसे कुछ ना लेते।

क्या दुनिया में कोई भी
पेड़ों सा हितकारी है
बिना स्वार्थ के सब कुछ देते
पेड़ बड़े उपकारी है।

उपकार मारना दूर ये
मानव कितना अत्याचारी है
काट-काट के पेड़ों को
खुद पर ही कुल्हाड़ी मारी है।

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