दादा जी पर कविता, Grandfather Poem in Hindi

Grandfather Poem in Hindi – यहाँ पर आपके लिए बेहतरीन दादा जी पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. यह सभी Poem on Grandfather in Hindi आपको अपने बच्चपन की यादे ताजा कर देगी. इन सभी कविताओं को अपने दादा जी से शेयर कर आप उनके प्रति अपने भावनाओं को प्रकट कर सकते हैं.

हम सभी को अपने दादा जी से एक अलग ही तरह का अनोखा रिश्ता होता हैं. दादा जी हमलोगों को सबसे ज्यादा प्यार करते हैं. हमलोग जब अपनी किसी जिद्द को पूरा करना चाहते हैं. तो सबसे पहले दादा जी के पास ही जाते हैं. और हमारी जिद्द पूरी हो जाती हैं. शायद वह हमारे माता – पिता उसे पूरा नहीं कर पाते. इसलिए हमें भी दादा जी से सबसे ज्यादा लगाव होता हैं.

अब आइए Grandfather Poem in Hindi को पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Poem on Grandfather in Hindi आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे.

दादा जी पर कविता, Grandfather Poem in Hindi

Grandfather Poem in Hindi

1. Grandfather Poem in Hindi – याद है मुझको वो सर्दियाँ दादाजी

याद है मुझको वो सर्दियाँ दादाजी
जो आपको बहुत सताती थी
आपकी गरम हथेलियों में

मेरी नन्ही ऊंगलियों गरमाती थी
वो गर्मी अब कहाँ रही?
इन महंगे महंगे दस्तानों में
अब ब्लोवर चलाया जाता है रोज़
लकड़ियाँ नही जलती मकानों में।

याद है मुझको वो कहानियाँ दादाजी
जो गोद में बिठाके सुनाते थे
और याद है खुदका गुस्सा होना
जब आप एक ही कहानी सुनाते थे
कैसे भूलू उन निवालो को मैं

जो आपके हाथ से खायें है
कैसे ना याद करूं वो पल
जो आपके साथ बिताए है।

याद हैं मुझको वो मोटी ऊंगलियाँ
जो चलना मुझको सिखाती थी
और मुझको गोद में लेना
जब चलते चलते थक जाती थी
कैसे भूलू उन चोटों को मैं

जिसने मुझे रूलाया था
आपने प्यार से हाथ क्या फेरा
और मैने मुस्काया था।

याद है मुझको वो लुका छिपी
जिसमे आपको चोर बनाती थी
ढूंढो अब दादाजी कहकर
बेड के नीचे छिप जाती थी

सारी खुशियाँ फिर छिप गई
चोर न जाने कहाँ गया?
गुड़िया खुद अब चोर को ढूंढे
और चोर तारों में छिप गया।

याद है सारी वो खेल की बातें
जो आपने थी समझाई हुई
बेड या दरवाज़े बस यहीं छिपेंगे
तारों की कहाँ बात हुई?

याद है मुझको वो सारी बातें
जो आपने मुझे सिखाई थी
लेकिन ये दुनिया नही है वैसी

जैसी आपने मुझसे बतायी थी
कैसे रोकू आँसू अपने मैं
कैसे भूलू जज़्बातों को
जिंदगी ऐसी चल रही है
जैसे सांसे मिल गई हो लाशों को।।

2. दादा जी पर कविता – ज्ञान की ज्योति जलाई है

ज्ञान की ज्योति जलाई है।
दादाजी की महिमा न्यारी है…

दादाजी के चरणों में रहकर
हमने शिक्षा पाई है।
गलत राह पर भटके जब हम
तो दादाजी ने राह दिखाई है।
दादाजी की महिमा न्यारी है…

माता-पिता ने जन्म दिया परदादाजी ने जीना सिखाया है।
ज्ञान, चरित्र और संस्कार की
हमने शिक्षा पाई है।
दादाजी की महिमा न्यारी है…

जब भी करते गलत कार्य हम
तब फटकार भी लगाई है।
सद्मार्ग पर चलें सभी हम
बात सदा दोहराई है।
दादाजी की महिमा न्यारी है…
सदा इन सीखों का पालन करूंगा
उनके आदर्शों का मान रखूंगा
यह श्रद्धांजलि हमारी है।
दादाजी की महिमा न्यारी है..

दादा जी पर कविता

3. Poem on Grandfather in Hindi – आपने ही हाथ पकड़ कर मुझको कांधे पर बैठाया था

आपने ही हाथ पकड़ कर मुझको कांधे पर बैठाया था।
छत का मुझे पता नही आकाश सा मुझ पर साया था।।

माना कि जब मैंने तुमको भाग भाग के खूब थकाया था।
पर तुम्ही थे जो कहते थे बेटा मैं जान न पाया था।।

पापा से जब कुछ मिलता नही दादाजी तुम्हारा सहारा था।
अब कौन मुझे बतलायेगा जो कहानियों में बचपन गुजरा था।।

आर्शीवाद तुम्हरा इतना है कि मैं सब कुछ पाया जीवन मे।
दुर्भाग्य रहा पर इतना मुझ पर देख न पाया अंत समय मे।।

आज हजारो लाखो मेरे सब कुछ जर्जर माटी है।
आपका दिया एक रुपया मेरे जीवन की बहुमूल्य थाती है।।

होली-दीवाली जब जब आये आप ही घर की रौनक थे।
अब रंग-दीया सब फिके है जज्बातों की जो ऐनक थे।।

आधार हो मेरे दादाजी आर्शीवाद से मैं खिलता रहूँगा
संस्कारों की जो राह बनाई उस पर सदा चलता रहूंगा।।

श्याम नरेश दीक्षित

4. Best Poem on Grandfather in Hindi – आप बहुत याद आते हैं दादा जी हमको

आप बहुत याद आते हैं दादा जी हमको,
आपके निश्चल प्रेम का आभास है हम सबको,
आपका हम से सबसे रोथ जाना
फ़िर मम्मी पापा को आपको मनाना,

आपको जब जब जरुरत थी पापा आपके साथ होते थे,
पर ना जाने क्यों आप चाचा जी के इंतजार में रोते थे,
ना जाने क्यूं नारज थे आप पापा मम्मी से,
हर चीज तो वो आपके सामने रख देते थे प्यार से,

गाँव की ज़मीन जब बिकने की कागार पर थी,
तब आपको उसे बचाने के लिए सिर्फ पापा पर आस थी,
दादी जी ने जब इस दुनिया को छोड़ दिया,
तब सिर्फ पापा ने आपका सारा दुख ले लिया,

याद आता है आपका भैया को फोन दिलाना,
मुझे ये कहना बच्ची तुम जल्दी बड़ी अफसर बन जाना,
भैया जब कभी आपके लिए बर्गर लाते थे,
तब आप खुशी से बच्चों की तरह मुस्काते थे,

आपकी हर बात हम याद करते हैं,
आपके प्यार के लिए बहुत तरस्ते हैं,
अपने हमें दादाजी आगे बढ़ना ही सिखाया है,
किसी का दिल ना दुखाओ ये हमको समझाया है,

Aruna Gupta

5. Grandfather Poem in Hindi – छड़ी पकड़ कर जाते

छड़ी पकड़ कर जाते
बाजार से फल सभी
थैला भर कर लाते।

मीठे, रसीले और पके
छांट -छांट कर लाते ,
हम सभी मिल बांट कर ,
बड़े मजे से खाते।

प्यारे से दादा जी
सच की राह दिखाते
प्रेम -प्यार से मिलते
सब के मन को भाते।

6. मटके जैसा पेट

मटके जैसा पेट
हमारे दादू का

जब खाते जमकर खाते हैं
खाने के ही गुण गाते हैं
तनिक न ओवर वेट
हमारे दादू का

जब अनगिनत डाव आ जातीं
दादू की बांछे खिल जाती
भेष बने फिर ठेठ
हमारे दादू का
कुछ भी खाओ सभी हजम हैं
पर दांतों का निकला दम है
नया लगा है सैट
हमारे दादू का

रोज सवेरे दौड़ लगाते
घर आ रामदेव बन जाते
शुगर बढ़े ना फैट
हमारे दादू का

7. मेरे प्यारे दादाजी

मेरे प्यारे दादाजी
सबसे न्यारे दादाजी
रोज मिठाई लाने का
पूरा करते वादा जी

नाक तले जो बैठी है
मूंछें ऐठी ऐठी हैं
भंजी रुई की बाती सी
तुमने खूब उमेठी हैं

पेट तुमारा भारी है
छोटी मोटी लारी है
नीतू मीतू कहते हैं
गद्देदार सवारी है

टाफी खूब खिलाते हो
मीठे गीत सुनाते हो
बच्चों का मन रखने को
भालू भी बन जाते हो

8. बबलू देखो ये है मेरे दादा

बबलू देखो ये है मेरे दादा
जीवन इनका बहुत ही सादा
रोज सबेरे उठ आते है
खेतों में पानी दे आते हैं

आकर करते वो कलेवा
घर का बना सत्तू और मेवा
खटिया पर कुछ पल विश्राम
सारा दिन फिर करते काम

किस्से पुराने हमें सुनाते
अच्छी अच्छी बात सिखाते
चारों ओर हरियाली महके
सुराही से सोंधी खुशबू महके

जरूरतमंदों को करते वो दान
घर भर करता उनका सम्मान

9. मेरे दादाजी थे बहुत प्यारे

मेरे दादाजी थे बहुत प्यारे,
एकदम ऊंचे कद के,
सुंदर और सबसे नियारे,
आवाज में एकदम दमदार कड़क,

गुस्सा तो ऐसा जैसे गरम अंगारे,
दादाजी से तो हम सब बहुत डरते थे,
पर हर ख़्वाइश वो ही पूरी करते हैं,
चाहे पापा को ट्रिप के लिए मनाना हो,
मम्मी से कोई अच्छा खाना बनवाना हो,

मजेदार कहानी सुनाने वाले थे वो ज्ञाता,
उसके सिवा हमें कभी कोई और ना भाता,
हमने उनसे सिखा है सिद्धांतों पर चलना,
कभी ना किसी से नफ़रत करना,

किसान, मजदूर, अफसर का किरदार निभाया,
कोई काम बड़ा छोटा नहीं होता ये सिखलाया,
हमारे हार जाने पर भी वो होंसला देते थे,
एक कहानी हर वक्त हमसे कहते थे,
देखो मकड़ी कितनी बार गिरती है उठती है,

जब छोटा सा जीव हार मान नहीं सकता,
हार जीत सिक्कों के दो पक्ष हैं,
कभी हार तो कभी जीत का मौसम सुहाना,
जीवन के पहिए को ऐसे ही चलते जाना है,

दादाजी की यादों में है अब जीवन सारा,
जितना भी था वो वक्त था सबसे प्यारा,

— Aruna Gupta

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