दुश्मनी पर शायरी, Dushmani Shayari in Hindi

Dushmani Shayari in Hindi : दोस्तों आज इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय दुश्मनी पर शायरी का संग्रह दिया गया हैं. आदमी कितना भी अच्छा क्यों नहीं हो उसके कुछ दुश्मन बन ही जाते हैं. क्योंकि आप सभी को खुश नहीं रख सकते हैं.

आइये कुछ नीचे Dushmani Shayari in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Dushman Ke Liye Shayari in Hindi में आपको पसंद आयगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

Dushmani Shayari in Hindi

दुश्मनी पर शायरी, Dushmani Shayari in Hindi

(1) जिनकी औकात नहीं कुछ मेरे सामने,
वो हमें अपनी औकात दिखाते हैं,
दुश्मनी करने वालों एक बात सुन लो,
हाथ जोड़ते हो तुम जहां, वो यहां सिर झुकाते हैं।

(2) शख्सियत दमदार हो तभी तो दुश्मन बनते हैं,
वरना कमजोर को पूछता कौन है !

(3) इक्का कितना भी उछले लेकिन,
हुकूमत बादशाह ही करता है !!

(4) दुश्मनी हमसे कब तक निभाओगे,
एक दिन टूटकर बिखर जाओगे,
देखो अभी भी वक्त है साथ दो मेरा,
बरना सिर्फ तस्वीरों में नजर आओगे।

(5) आज वो दोस्त भी दुश्मनों में शामिल था,
कल तक जो शख्स मेरी वजह से काबिल था।

(6) दुश्मनों की महफिल में चल रही थी,
मेरे कत्ल की तैयारी,
मैं पहुंचा तो बोले यार,
बहुत लम्बी उम्र है तुम्हारी !

(7) कतरा-कतरा बिखर रहा है कोई,
मेरी तरक्की से जल रहा है कोई,
हमने दुश्मनों को भी दी थी नसीहत,
नसीहत को छोड़कर उधड़ रहा है कोई।

(8) एक दिन गिरा देंगे मुझे दुनिया की नजरों से,
ऐसा मैं नहीं मेरे दुश्मन कहते रहते हैं,
मैं तो हाथी हूं जनाब मेरा रौब अलग है,
निकल जाता हूं गली से, कुत्ते भौंकते रहते हैं।

(9) मेरे दुश्मन कहकर चले गए कल आएगे,
कितने ही कल गुजर गए जाने वो कब आएगे।

(10) निगाहों में ले कर घूमा हूं तो सिर्फ तरक्की की चमक,
दुश्मनों की निगाहों में अब वो खटकने लगी है।

दुश्मनी पर शायरी

(11) उसकी दुश्मनी का शोर,
मुद्दतों से मेरे कानों में गूंजता रहा,
और मैं पागलों के जैसे,
उसकी दोस्ती को यादों में ढूंढता रहा।

(12) मिलते-मिलते भी लोग मुकर जाते हैं,
संग चलने वाले भी दुश्मन हो जाते हैं,
दुनिया में किसे कहूं अब अपना,
वक्त आने पर दोस्त भी छोड़कर चले जाते हैं।

(13) हाथों में सिर्फ खंजर नहीं,
उसकी आंखों में पानी भी होना चाहिए,
दुश्मन मेरा जो भी बने खुदा,
उसपर भी खुदा की महरबानी होनी चाहिए।

(14) जिसका नाम शामिल,
मेरी धड़कनों में था,
जरूरत पड़ी तो वो शख्स,
मेरे दुश्मनों में था।

(15) मेरे हार जाने का वो,
न जाने कब से इंतजार कर रहे हैं।
कम अकल हैं मेरे सारे दुश्मन,
अपना समय बेकार कर रहे हैं।

(16) दुश्मनी तो कर ली तूने,
तू अब किस ओर जाएगा,
छुप न पाएगीं तेरी करतूतें,
हमारा जब दौर आएगा।

(17) नादान समझने वाले,
दुश्मन भी इस नादानी में है,
हम भी देखते रहते हैं,
कौन कितने पानी में है।

(18) शराफत से बात करो तो,
दुश्मन कमजोर समझ लेते हैं,
दिखा देते हैं जब औकात अपनी,
तब कोई और समझ लेते हैं।

(19) जान देता हूं दोस्तों पर अपने,
दोस्तों के लिए मैं ताकत हूं,
बन गए हैं जो दुश्मन मेरे,
मैं उनके लिए बड़ी आफत हूं।

(20) आज कामयाबी कदम चूमती है,
और हम जीते हैं बड़ी शान से,
तभी तो जलते रहते हैं दुश्मन,
मेरी तरक्की और मेरे नाम से।

(21) डरता नहीं दुश्मनों से,
बस एक खुदा से डरता हूं,
दुश्मनों के इलाके से,
मैं सर उठा के गुजरता हूं।

Dushman Ke Liye Shayari in Hindi

(22) दुश्मनों की रूह कांप जाती है,
दोस्तों की जान कहलाते हैं,
रिश्ता चाहे कैसा भी हो हमसे,
हम बड़ी शिद्दत से निभाते हैं।

(23) जाने क्या तू औकात मेरी,
मैं दुश्मनों का नवाब हूं,
सच्चों के लिए अच्छा हूं,
झूठों के लिए खराब हूं।

(24) सच को चादर ओढ़े देखा तो,
झूठ के फसाने नजर आए,
ध्यान दिया जब दुश्मनों पर मैंने,
दोस्त कई पुराने नजर आए।

(25) यह सब तो है बस सब्र मेरा,
लेकिन मैं तुमसे डरा नहीं हूं,
दुश्मनी कर भेले ही छोड़ गए तुम मुझे,
मैं जिंदा हूं अभी तक मरा नहीं हूं।

(26) करीब थे वो दिल के, अब दुश्मन बन गए,
गैरों के साथ मिलकर हौसले भी तन गए,
खंजर ही घोपेंगे वो भी तेरी पीठ पर सुन,
छोड़कर मुझे तुम जिनके मुरीद बन गए।

(27) दिया था साथ तेरा हर मुसीबत में,
फिर दोस्ती को अपनी क्यों अधूरा कर दिया,
दुश्मन नहीं थे मेरे इस जहान में सुन ले,
और तूने उस कमी को भी पूरा कर दिया।

(28) अभी सिर्फ दोस्ती ही देखी है तुमने मेरी ,
अभी तो दुश्मनी का सबक सिखाना बाकी है,
दोस्त था तो जान लुटा देता था तुम पर,
दुश्मनी कैसे निभाता हूं ये बताना बाकी है।

(29) हाथ में खंजर ही नहीं आँखों में पानी भी चाहिए,
ऐ खुदा दुश्मन भी मुझे खानदानी चाहिए !

(30) दुश्मन के सितम का खौफ नही,
हमको हम तो दोस्तो के रूठ जाने से डरते हैं !

(31) मेरे चाहने वाले बहुत अच्छे हैं,
और मेरे दुश्मन मेरे सामने अभी बच्चे हैं !!

(32) अभी तो बदला लेना बाकी है !
हाँ अकेले हैं और अकेले ही दुश्मनी काफी है !

(33) यह जो सर पर घमंड का ताज रखते हैं,
सुन लो दुनिया वालों हम इनके भी बाप लगते हैं !!

(34) खुश रहो या खफा रहो,
हमेशा दूर और दफा रहो !

(35) टक्कर की बात मत करो,
जिस दिन सामना होगा उस दिन हस्ती मिटा देंगे !

Dushmani Shayari in Hindi

(36) मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक़्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं !

(37) आज खुला दुश्मन के पीछे दुश्मन थे
और वो लश्कर इस लश्कर की ओट में था
ग़ुलाम हुसैन साजिद

(38) मैं अपने दुश्मनों का किस क़दर मम्नून हूँ ‘अनवर’
कि उन के शर से क्या क्या ख़ैर के पहलू निकलते हैं
अनवर मसूद

(39) उस के होने से हुई है अपने होने की ख़बर
कोई दुश्मन से ज़ियादा लाएक़-ए-इज़्ज़त नहीं
ग़ुलाम हुसैन साजिद

(40) दुश्मन से ऐसे कौन भला जीत पाएगा
जो दोस्ती के भेस में छुप कर दग़ा करे
सलीम सिद्दीक़ी

(41) कुछ समझ कर उस मह-ए-ख़ूबी से की थी दोस्ती
ये न समझे थे कि दुश्मन आसमाँ हो जाएगा
इम्दाद इमाम असर

(42) दुनिया में हम रहे तो कई दिन प इस तरह
दुश्मन के घर में जैसे कोई मेहमाँ रहे
क़ाएम चाँदपुरी

(43) मेरे दुश्मन न मुझ को भूल सके
वर्ना रखता है कौन किस को याद
ख़लील-उर-रहमान आज़मी

(44) आ गया ‘जौहर’ अजब उल्टा ज़माना क्या कहें
दोस्त वो करते हैं बातें जो अदू करते नहीं
लाला माधव राम जौहर

(45) दुश्मनों से पशेमान होना पड़ा है
दोस्तों का ख़ुलूस आज़माने के बाद
ख़ुमार बाराबंकवी

(46) बहारों की नज़र में फूल और काँटे बराबर हैं
मोहब्बत क्या करेंगे दोस्त दुश्मन देखने वाले
कलीम आजिज़

(47) तरतीब दे रहा था मैं फ़हरिस्त-ए-दुश्मनान
यारों ने इतनी बात पे ख़ंजर उठा लिया
फ़ना निज़ामी कानपुरी

(48) दोस्त हर ऐब छुपा लेते हैं
कोई दुश्मन भी तिरा है कि नहीं
बाक़ी सिद्दीक़ी

(49) जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआ
दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो
लाला माधव राम जौहर

(50) मुख़ालिफ़त से मिरी शख़्सियत सँवरती है
मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूँ
बशीर बद्र

(51) अजब हरीफ़ था मेरे ही साथ डूब गया
मिरे सफ़ीने को ग़र्क़ाब देखने के लिए
इरफ़ान सिद्दीक़ी

(52) ख़ुदा के वास्ते मौक़ा न दे शिकायत का
कि दोस्ती की तरह दुश्मनी निभाया कर
साक़ी फ़ारुक़ी

(53) मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ
यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे
राहत इंदौरी

(54) दोस्तों से इस क़दर सदमे उठाए जान पर
दिल से दुश्मन की अदावत का गिला जाता रहा
हैदर अली आतिश

(55) मौत ही इंसान की दुश्मन नहीं
ज़िंदगी भी जान ले कर जाएगी
अर्श मलसियानी

(56) दुश्मनों की जफ़ा का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं
हफ़ीज़ बनारसी

(57) दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है
दोस्तों ने भी क्या कमी की है
हबीब जालिब

(58) उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा
वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा
निदा फ़ाज़ली

(59) दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं
देखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन
परवीन शाकिर

(60) ये कह कर मुझे मेरे दुश्मन हँसता छोड़ गए,
तेरे दोस्त काफी हैं तुझे रुलाने के लिए.

(61) तुझसे अच्छे तो मेरे दुश्मन निकले,
जो हर बात पर कहते हैं.. ‘तुम्हें नहीं छोड़ेंगे.

(62) कभी ख़ुद को मेरे प्यार में भुला कर देख,
दुश्मनी अच्छी नहीं मुझे दोस्त बना करे देख.

(63) मेरी नाराज़गी पर हक़ मेरे अहबाब का है बस,
भला दुश्मन से भी कोई कभी नाराज़ होता है.

(64) हिफाज़त गेरो से तो कर लेते,
लेकिन कोई अपना ही दुश्मनी पर उतर गया था,
जिसको हमसफ़र चुना था हमने,
वो अपने वादों से मुकर गया।

(65) मुझसे दोस्ती ना सही तो दुश्मनी भी ना करना
क्यूंकि में हर रिश्ता पूरी शिददत से निभाता हूँ .

(66) जगह ही नही दिल में अब दुश्मनों के लिए,
कब्ज़ा दोस्तों का कुछ ज्यादा ही हो गया है .

(67) वो जो बन के दुश्मन हमे जीतने को निकले थे,
कर लेते अगर मोहब्बत तो हम ख़ुद ही हार जाते.

(68) हम दुश्मन को भी बड़ी शानदार सजा देते हैं,
हाथ नहीं उठाते बस नजरों से गिरा देते हैं.

(69) उसका ये अंदाज़ भी दिल को भा गया हैं,
कल तक जो दोस्त था आज दुश्मनी पर आ गया हैं.

(70) वैसे दुश्मनी तो हम -कुत्ते- से भी नहीं करते है,
पर बीच में आ जाये तो -शेर- को भी नहीं छोड़ते.

(71) गज़ब की गाली दी हे तजुर्बे ने,
आज कल अपनों से ज्यादा दुश्मन काम आते हे।

(72) कुछ न उखाड़ सकोंगे तुम हमसे दुश्मनी करके,
हमें बर्बाद करना चाहते हो तो हमसे मोहब्बत कर लो.

(73) दुश्मनी हो जाती है मुफ़्त में सैकड़ों से ‘साहब’..,
इंसान का बेहतरीन होना भी एक गुनाह है..।।

(74) पता था वो दुश्मन दबाना चाहते थे…
फिर भी हम उन्हें आजमाना चाहते थे..

(75) दुश्मन को कैसे खराब कह दूं ,
जो हर महफ़िल में मेरा नाम लेते है.

(76) आँखों से आँसुओं के दो कतरे क्या निकल पड़े,
मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे़.

(77) हद में रहो वरना असली औकात दिखा देंगे
पहले ही कोन सा दुश्मन कम है दो चार और बना लेंगे

(78) दुश्मन हमारे सामने आने से भी डरते है
और वो पगली दिल से खेल कर चली गई

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