बेरुखी पर शायरी, Berukhi Shayari in Hindi

Berukhi Shayari in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय बेरुखी पर शायरी का संग्रह दिया गया हैं. जब कोई किसी को नजरअंदाज करता हैं. तो वह उसके साथ बेरुखी करता हैं. उसके दिल को तकलीफ पहुचाता हैं.

अब आइए यहाँ पर कुछ Berukhi Shayari in Hindi में दी गई हैं. इसको पढते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी बेरुखी शायरी आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

Berukhi Shayari in Hindi

बेरुखी पर शायरी, Berukhi Shayari in Hindi

(1) तेरी बेरूखी को भी रूतबा दिया हमने,
प्यार का हर फ़र्ज अदा किया हमने,
मत सोच कि हम भूल गयें है तुझे,
आज भी खुदा से पहले तुझे याद किया हमने.

(2) देख कर बेरूखी उनकी इस कदर आज,
ना जाने क्यों आँखें हमारी नम हो गई,
दरवाजें तो पहले ही बंद हो गये थे उनके,
मगर अब तो खिड़कियाँ भी बंद हो गई.

(3) उसकी बेरूखी ने छीन ली मेरी शरारतें,
लोग समझते है सुधर गया हूँ मैं.

(4) कब तक रह पाओगे आखिर यूँ दूर हम से,
मिलना पड़ेगा आखिर कभी जरूर हम से,
नजरें चुराने वाले ये बेरूखी है कैसी,
कह दो अगर हुआ है कोई कसूर हम से.

(5) कभी ऐसी भी बेरूखी देखी है हमने,
कि लोग आप से तुम तक
और तुम से जान तक
फिर जान से अनजान तक हो जाते हैं.

(6) तेरी दुनिया में मुझे एक पल दे दे,
मेरी बेरुखी ज़िन्दगी का गुज़रा हुआ कल दे दे,
वो वक्त जो गुज़ारा था साथ तेरे,
अब उन्हें भूल पाऊं ऐसा कोई हल दे दे.

(7) काश वह समझते इस दिल की तड़प को,
तो यूँ रुसवा ना किया होता,
उनकी ये बेरूखी भी मंजूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझ लिया होता.

(8) प्यार उनका हमसे भुलाया ना गया,
उनके बाद कभी हमसे मुस्कुराया ना गया,
उनकी तो बेरुखी में भी वो ऐडा थी ज़ालिम,
की बेवफ़ा का इलज़ाम भी उनपे लगाया ना गया.

(9) दिल तोड़कर हमारा तुमको राहत भी ना मिलेगी,
हमारे जैसी तुमको चाहत भी न मिलेगी,
यूँ इतनी बेरुखी ना दिखलाइये हमपर
हम अगर रूठे तो हमारी आहट भी ना मिलेगी.

(10) मतलब क्या हुआ बेरूखी का,
है कौन मुजरिम तेरी इस ख़ुशी का,
उम्मीद थी जिस से प्यार की ऐ खुदा,
बुझ गया वो चिराग कभी का.

बेरुखी पर शायरी

(11) हम यूँ अपनी जिंदगी से मिले,
अजनबी जैसे अजनबी से मिले,
हर वफ़ा एक जुर्म हो गया,
हर दोस्त कुछ ऐसी बेरुखी से मिले.

(12) बहुत दर्द होता है जब आपको वो इंसान इग्नोर करें,
जिसके लिए आप पूरी दुनिया को इग्नोर करते हैं.

(13) आदत हमारी कुछ इस तरह हो गई,
उनकी बेरूखी से भी मुहब्बत हो गई.

(14) तुम्हारी बेरूखी के बाद खुद से भी बेरूखी सी हो गई,
मैं जिन्दगी से और जिन्दगी मुझसे अजनबी सी हो गई

(15) काश तुझे मेरी जरूरत हो मेरी तरह,
और मैं तुझे नज़रअंदाज करूँ तेरी तरह.

(16) सुकून-ए-दिल को नसीब तेरी बेरुखी ही सही,
हमारे दरमियाँ कुछ तो रहेगा चाहे फ़ासला ही सही.

(17) पहले सी बात न थी, इश्क अब फीका था,
अभी-अभी उन्होंने नजरअंदाजी का हुनर सीखा था.

(18) बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरूखी तेरी,
फिर भी बेइम्तहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी.

(19) ये मोहब्बत भी बड़ी है बेरुखी चीज है जनाब
जिससे होती है उसे दीवाना बना देती है.!!

(20) तेरी बेरुखी मुझे इस कदर सताने लगी है
जैसे बिन मौसम के बरसात होने लगी है.!!

Ignore Shayari in Hindi

(21) अभी कमजोर हूँ
तो कमजोर ही रहने दो
यूँ बेरुखी से तो
मैं भी पत्थर हो जाऊँगा !!

(22) उदास कयो होता है ऐ दिल
उनकी बेरुखी पर
वो तो बङे लोग है
अपनी मर्जी से याद करते है !!

(23) आखिर क्यों मुझे तुम इतना दर्द देते हो
जब भी मन में आये क्यों रुला देते हो
निगाहें बेरुखी हैं और तीखे हैं लफ्ज़
ये कैसी मोहब्बत हैं जो तुम मुझसे करते हो !!

(24) नमक भी छिड़क कर देखा जख्मों पर
तेरी बेरुखी ज्यादा दर्द देती है

(25) अब गिला क्या करना उनकी बेरुखी का
दिल ही तो था भर गया होगा !

(26) पहाड़ियों की तरह खामोश है
आज के संबंध और रिश्ते
जब तक हम न पुकारे
उधर से आवाज ही नहीं आती !!

(27) इतनी बेरुखी दिखा कर के तुझे क्या मिलेगा
क्या तू रब है जो मरने के बाद मिलेगा !

(28) कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा
जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे!

(29) तूँ माने या ना माने पर दिल दुखा तो है
तेरी बेरुखी से कुछ गलत हुआ तो है !!

(30) सुकून ए दिल को नसीब
तेरी बेरुखी ही सही
हमारे दरमियाँ कुछ तो रहेगा
चाहे वो फ़ासला ही सही !!

Berukhi Shayari 2 Lines

(31) जब-जब मुझे लगा मैं तेरे लिए खास हूँ
तेरी बेरुखी ने ये समझा दिया
मैं झूठी आस में हूँ !

(32) चाहते थे हम आपके अल्फाज बनना..
पर आपने तो हमारी बेरुखी चुन ली !

(33) देखी है बेरुखी की आज हम ने इन्तेहाँ
हमपे नजर पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए।

(34) इस बेरूखी पे आपकी यूं आ गई हंसी
आंखें बता रही हैं ज़रा सी हया तो है !

(35) हज़ार शिकवे कई दिनों की बेरूखी
बस उनकी एक हँसी और सब रफा-दफा !

(36) बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी
फिर भी बेइंतहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी !

(37) हजारों जवाब से अच्छी मेरी ख़ामोशी,
न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली।

(38) ये तो अच्छा है कि दिल सिर्फ सुनता है
अगर कहीं बोलता होता तो क़यामत आजाती।

(39) इन बादलो का मिजाज मेरे महबूब सा है
कभी टूट कर बरसते है कभी बेरुखी से गुजर जाते हैं !

(40) रहने दे अभी गुंजाइशें जरा अपनी
बेरुखी में इतना ना तोड़ मुझे कि
मैं किसी और से जुड़ जाऊँ !

(41) जिंदगी क्यो इतनी बेरुखी कर रही है
हम कौन सा यहा बार-बार आने वाले है !

(42) तेरी बेरुखी मेरी आदतों में शामिल है
तू मोहब्बत से पेश आये तो अजीब लगता है !

(43) लोगो की बेरुखी देखकर तो अब
हम खुश होते है, आँसु तो तब आते है
जब कोइ प्यार के दो लफ्ज कहता है !

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