45+ साइलेंट शायरी, Silent Shayari in Hindi

Silent Shayari in Hindi : दोस्तों आज इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय साइलेंट शायरी का संग्रह दिया गया हैं. जीवन में कुछ ऐसा समय भी आता हैं. जिसे हम सोच भी नहीं सकते हैं. वह घटना हमें खामोश कर देती हैं. दोस्तों इस खामोशी को अपनी ताकत बनाइए और जीवन में आगे बढ़िए।

अब आइए यहाँ पर कुछ Silent Shayari in Hindi में दी गई हैं. इसको पढते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी साइलेंट शायरी आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

Silent Shayari in Hindi

साइलेंट शायरी, Silent Shayari in Hindi

(1) खामोश रहकर भी मोहब्बत की जाती हैं,
जब इश्क़ हद से ज्यादा बढ़ जाती हैं.

(2) नाम ना लेना बस इतना कहना उनसे ऐ हवा,
तुम्हे वो आज भी याद करता है जिससे तुम हो खफ़ा.

(3) जरूरी नहीं प्यार में सब कुछ कहना,
प्यार जताने का नया तरीका है चुप रहना.

(4) तेरी खामोशी… अगर तेरी मजबूरी हैं,
तो रहने दे इश्क कौन सा जरूरी हैं.

(5) चुप रहकर इजहार कैसे करें,
बता इतने दूर रहकर प्यार कैसे करें.

(6) काश दिल के पास भी जुबान होता,
कुछ कहने के लिए होठो का मुहताज न होता.

(7) कुछ मत कहना चुप रहना, तेरे दिल की बात जान लेंगे,
अगर दिल में मोहब्बत होगी तो आँखों से पहचान लेंगे.

(8) अगर लड़कियाँ दिल की बात समझती,
तो सच्ची मोहब्बत करने वालों को इनसे शिकायत न रहती.

(9) इतने खामोश से क्यूँ रहते हो,
अगर इश्क है तो क्यूँ नही कहते हो.

(10) यूँ चुपचाप क्यों हो, इसका राज बता दो,
इश्क़ में गुस्ताखी हो गयी हो तो सजा दो.

Silent Shayari 2 Line Hindi

(11) मुझे खामोश देखकर इतना
हैरान क्यों होते हो दोस्तों।
कुछ नहीं हुवा है बस,
भरोसा कर के धोखा खाया है।

(12) जज़्बात कहते हैं खामोशी से बसर हो जाये।
दर्द को ज़िद है, की दुनिया को खबर हो जाये।

(13) चुप रहना सीखो,
कुछ सवालो के
जवाब खुद मिल जायेंगे

(14) हजारों किए तेरे वादों में कोई एक तो सच्चा होता,
मिले ही ना होते तुझसे कभी, यही अच्छा होता ।

(15) सफलता तभी शोर मचायेगी,
जब मेहनत खामोशी से करनी पड़ेगी।

(16) जब भी कभी इस दिलं को
उसकी याद आती है…
तो ये अपनी खामोशिया भी
खामोश हो जाती है…

(17) खामोशींयोकी भी अपनी
एक जूबा होती है…
बस ओ हर किसी को
समझ नही आती है..

(18) किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं,
अल्फ़ाज़ से भरपूर मगर खामोश।

(19) शब्द तो हर कोई समझ जाता है।
तलाश सिर्फ उसकी जो खामोशी समझ ले।

(20) जब आपकी आवाज किसी को चुभने लगे,
तो तोहफे में उन्हें खामोशी दे दीनिए

साइलेंट शायरी

(21) चुप रहना सीख ने लगे,
फिर क्या था ,
हर सवाल के जवाब मिलना शुरू होने लगे।

(22) इतने बेवफा नही है कि उनको भूल जाएंगे,
अक्सर चुप रहने वाले प्यार बहुत करते है।

(23) अब न ख़्वाब न तेरे ख़याल आते हैं,
ख़ामोश हो क्यों बस ये सवाल सताते हैं।

(24) कल मेरे अंदर का शोर बाहर आएगा,
आज वक्त खराब है लेकिन,
कल सबको जवाब मिल जाएगा।

(25) भरी महफ़िल है फिर भी वो अकेला कोने में बैठा है,
खामोश है पर शायद मन में लिए एक ‘शोर’ बैठा है।

(26) कुछ इस तरह है मेरी जिंदगी का आलम,
खामोश हूं मैं पर बोल रही है कलम।

(27) यू तो वो समझदारी के मिसाल है,
पर वो समझे नहीं खामोशी क्या चीज़ है।

(28) वो सुना रहे थे अपनी वफाओं के किस्से,
हम पर नजर पड़ी तो खामोश हो गए।

(29) वो ढूंढते हैं इश्क मेरे अल्फ़ाज़ के दायरों में,
नहीं समझते कि खामोश मोहब्बत क्या है।

(30) क्या कहें कुछ कहा नहीं जाता,
अब तो चुप भी रहा नहीं जाता।

(31) बरसे कभी बेइन्तहा तो कभी चुप सी हैं,
लगता है ये बारिश भी कुछ-कुछ तुम सी हैं।

(32) तुम ठहरो आज वक्त को जाने दो,
चुप रहो लबों से आंखो को बतियाने दो।

(33) चुप रहा मैं वहाँ भी तुम्हारे लिए,
जहाँ बोलना था मुझे मेरे लिए।

(34) आज का बस यही इन्साफ है,
जो बगावत करे वो समझदार है,
और जो चुप रह कर सुने वो गुनहगार है।

(35) चुप है क्योंकि वक्त नहीं जवाब देने का,
इसको कमजोरी समझते हो तो अभी नादान हो तुम।

(36) मुझमे था एक शोर,
वो अब खामोश हो गया है,
जो था मेरा अब वो,
किसी ओर का हो गया है।

(37) मुझे तुम चुप रहने की इज़ाज़त दे दो,
दिल की बात कहने से डर लगता है।

(38) ज़रूरी नै हर दफा बात ही चुबे,
खामोशिया भी बहुत चुबती है।

(39) कहना ही मात्र कहना नहीं है,
ख़ामोश रहना भी तो कहना ही है।

(40) अब जो चुप हुए,
तो मेरे अल्फाज़ो की
कीमत पता चले लोगो को।

(41) कुछ एहसास खामोश अल्फ़ाज़ों की तरह होते है,
जो बस यूँही सुलगते और फिर बुझते रहते हैं।

(42) अपने शोर में तुम मेरी खामोशी को सुन लेना,
कुछ इस तरह से रिश्ते का ताना बाना बुन लेना।

(43) खामोश है दर्द मेरे अंदाजा न लगा पाओगे,
लिखते है बस कहां से सिसकियां तुम सुन पाओगे।

(44) ख़ामोश तालाब में पत्थर सी बन कर आती है,
ये यादें तुम्हारी मुझे झिंझोड़ कर चली जाती हैं।

(45) यूं ही नहीं,
हर व़क्त खुद को,
खामोश रखता हूं,
तेरे ख़त्म हुए किस्सों में,
अपना किरदार ढूँढ़ता हूं।

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