इन्द्रधनुष पर कविता, Poem on Rainbow in Hindi

Poem on Rainbow in Hindi – आपको इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन Indradhanush Poem in Hindi का संग्रह दिया गया हैं. यह सब इन्द्रधनुष पर कविता को हमारे हिन्दी के लोकप्रिय कवियों ने लिखा हैं. स्कूलों में भी बच्चों को Kavita on Rainbow in Hindi में लिखने को दिया जाता हैं. उन सभी स्कूली बच्चों के लिए भी यह Indradhanush Par Kavita सहायक होगी.

इन्द्रधनुष असमान में दिखाई देना एक खूबसूरत घटना हैं. यह पुरे विश्व में घटित होता हैं. असमान में वर्षा होने के पश्चात एक विशाल वृताकार वक्र 7 रंगों से भरा हुआ दिखाई देता हैं. यह सात रंग सभी रंगों का जनक माना जाता हैं.

आइए अब कुछ नीचे Poem on Rainbow in Hindi में दिया गया हैं. इसे पढ़ते हैं. यह सभी Indradhanush Poem in Hindi में आपको पसंद आएगी. इस इन्द्रधनुष पर कविता को अपने फ्रेंड्स के साथ भी share करें.

इन्द्रधनुष पर कविता, Poem on Rainbow in Hindi

Poem on Rainbow in Hindi

1. Kavita on Rainbow in Hindi – कितना सुन्दर, कितना प्यारा

कितना सुन्दर, कितना प्यारा,
होता है ये रेनबो,
बारिश की हल्की फ़ुहरों के बीच,
नीलगगन में जब बनता है ये रेनबो,
बच्चे हों या बूढ़े, नर हों या नारी,
सबके मन को हर्षाता है ये रेनबो।

काश कभी हम सात रंगों के,
इस रेनबो सा मिल पाते,
भूलकर अपनी,
जाति-धर्म आपसी द्वेष,
नीलगगन के दामन में,
फूलों सा खिल पाते,
हरा, पिला, लाल, गुलाबी,
हैं रेनबो के रंग निराले,
जैसे अपनी भिन्न भिन्न,
संस्कृति बोली वेष-भूषा,
क्यों न हम रेनबो के सात रंगों सा,
एक दूजे के दिल को दिल से मिलालें।

फिर ये सारा भारत अपना होगा,
सारे लोग अपने परिवार के सदस्य,
फिर न कहीं निर्भया कांड होगा,
न मासूम असीफा की आबरू लूटी जाएगी,
रहें मिलजुलकर आपस में हम सब,
ये रेनबो एकता का पाठ हमें पढ़ता है,
आपस में प्यार-मोहब्बत भाईचारा रहे,
सदा ये रेनबो हमें सिखलाता है,
कितना सुन्दर, कितना प्यारा,
होता है ये रेनबो।
Om Pravesh

2. Indradhanush Poem in Hindi – बेरुखी के बादल जब उमड़ घुमड़ कर आते हैं

बेरुखी के बादल जब उमड़ घुमड़ कर आते हैं
जज्बातों की बूंदों से मन को भीगो कर जाते हैं

भीग जाती है पलकें सब धुँआ सा लगता है इंद्रधनुषी रंगों को पाना सपना सा लगता है

खो जाती हूँ कई बार उन लम्हों उन यादों में
देखती हूँ कुछ सपनें मैं भी इंद्रधनुषी रंगो में

सोचती हूँ
क्यों आसमां आज यूँ इतरा रहा है
दिवा में काली घटा पर इठला रहा है

प्रेम की किरणों से रोशनी खूब जगमगाई है
इंद्रधनुषी रथ पर सवार बारात जैसे आयी है

देखती हूँ
इश्क़ के बादल को अपने आगोश में लेकर
किरणों ने भी रंग बदला है उन बूंदों को छूकर

भरी बरसात में आतिशबाजी हुई हो जैसे
खुले आसमान में रंगों का मिलन हुआ कैसे

मुहोब्बत मैंने भी सातों रंगों से की थी
तमन्ना धूप की बरसते बादलों से की थी

सोचा था इन रंगो में खिल जाऊंगी
बदली बन आसमान में मिल जाऊंगी

न था मालूम कि सपने कभी सच न होंगे
इंद्रधनुषी ये रंग कभी अपने न होंगे

आँखों ने कल फिर झड़ी लगाई थी
कुछ और नहीं बात तेरी जुदाई थी

व्याकुल मन में फिर भी आस अभी बाकी है
वीराने में ‘इंद्रधनुषी’ सौगात अभी बाकी है।

प्रीति पटवर्धन

3. Poem on Rainbow in Hindi – क्या है इंद्रधनुष

क्या है इंद्रधनुष ?
रंगों के मेल-मिलाप से बना
एक खूबसूरत एहसास
प्रकृति प्रदत्त मनभावन नजारा

जो भाता भी सबको है, और
हर्षाता भी सबको है
देता भी है, गहरा सबक

छुपा है प्रकृति प्रदत्त हर
जीव-निर्जीव में आनंद ही आंनद
जरूरत है सिर्फ समझने की और
मेल-मिलाप के उसके
अद्भुत गुण से तादाम्य बैठाने की

इतना-सा ही फंडा है
जीवन में भी उतारने का इंद्रधनुष

संजोए हम – प्रकृति और परिवार में
भावनाओं के विविध रंग

देखें फिर,
प्रफुल्लित मन से वह इंद्रधनुष
जो बिखेर देगा –
हर्षाई खुशियां हमारे आसपास
होंगी जो इतनी मनभावन
खिल उठेगा जिससे रोम-रोम
हमारा भी और परिवार का भी

तो आइए, बनाएं हम सब
ऐसा भी एक इंद्रधनुष
ऐसा ही एक इंद्रधनुष
देवेन्द्र सोनी

4. Indradhanush Par Kavita – पहला रंग प्यार का

पहला रंग प्यार का ,
दूजा रंग सदभाव का,
तीजा रंग कर्म का ,
चौथा रंग परोपकार का,
पाँचवा रंग न्याय का,
छठा रंग समरसता का ,
सातंवा रंग ख़ुशी का ।

सात रंग ज़िन्दगी के , सात रंग सपनों के ।
सात रंगों से बनता है खुशियों का इन्द्रधनुष ।

5. इन्द्रधनुष पर कविता – काली काली घटाएं

काली काली घटाएं,
मन में कोहराम मचाये है ।
वादे इरादे नेक से लगते थे,
वो आज फिर से आसमान उठाये है ।
दिल पसीज गया है अब,
मैं सतरंगी सा मिल जाता था ।
वो बारिश सी आती थी,
मैं इन्द्रधनुष सा खिल जाता था ।

गुजरा साल मेरा हाल पूछता है ।
बिन कहे, न रहे
सब जता देता है
गुमराह हो चला है यह दिल
बार बार उसका पता देता है
सुलगती याद पर ओले से गिरते थे ।
हर बार दिल छिल जाता था,
वो बारिश सी आती थी ,
मैं इन्द्रधनुष सा खिल जाता था ।

मुरझाई सी फसल पर फुहार थी वो,
जलते बुझते शोलों का अहसास थी ।
गरजते बादल देख,
मन मचलता था ।
हर बार आने की,
वो बारिश सी आस थी ।
मूसलाधार सी,
उसकी यादों का कहर,
ज़र्रा ज़र्रा हिल जाता था
वो बारिश सी आती थी,
मैं इन्द्रधनुष सा खिल जाता था ।
JITENDRA POHIYA

6. Poem on Rainbow in Hindi – पलकों में इन्द्रधनुष तिर गऐ

पलकों में इन्द्रधनुष तिर गऐ
बेमौसम सावन-घन घिर गऐ
क्षितिजों की बाँहों में
तैर गई साँवलिया प्यास
खंडित होकर सहसा
बिखर गऐ प्रणय के समास
पतझर के अनहोने अनजाने रंग
उमड़-घुमड़ साँसों पर फिर गऐ
बेमौसम सावन-घन घिर गऐ
फिसल गऐ प्राणों की
सतहों से रसभरे प्रभाव
बर्फ़ीले भावों में
आग लगी, जल उठे अलाव
जीवन-यापन के वे मृदुल सरल ढंग
टूट-टूट टहनी से गिर गऐ
बेमौसम सावन-घन घिर गऐ

7. फूलों जैसे इन्द्रधनुष जी

फूलों जैसे इन्द्रधनुष जी
यदि धरती पर खिलते
चुपके से जा पास उन्हें हम
हाथों से छू लेते

और तितलियाँ पर फैलाए
पास जो उनके आतीं
सतरंगी आभा से वे सब
बेसुध सी हो जाती

इतनी मोहक शोभा लेकिन
गंध नहीं जब मिलती
उड़ लेतीं चुपचाप नहीं कुछ
जरा किसी से कहतीं

उड़ते उड़ते एक बात बस
यही सोचती रहतीं
अच्छी बनीं आज वे उल्लू
मन ही मन में हंसती

रंग बिरंगे फूलों के फिर
पास दूर उड़ जातीं
और सुगन्धों की मनमोहक
दुनियां में खो जाती

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