कबूतर पर कविता, Poem on Pigeon in Hindi

Poem on Pigeon in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ कबूतर पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

कबूतर पर कविता, Poem on Pigeon in Hindi

Poem on Pigeon in Hindi

1. Poem on Pigeon in Hindi – मम्मी मम्मी देखो ऊपर

मम्मी मम्मी देखो ऊपर
एक कबूतर बैठा छुपकर

बड़ी देर से हाँफ रहा है
सर्दी से वह काँप रहा है

उसको लाओ घर के भीतर
और जलाओ जल्दी हीटर

गर्माहट वो जब पाएगा
मेरे जैसा मुस्काएगा

पहना दो तुम उसको स्वेटर
उड़ जाएगा ऊँचे अम्बर
“पुष्प लता शर्मा”

2. कबूतर पर कविता – है नन्ही सी जान और इतनी अकड़ फु

है नन्ही सी जान और इतनी अकड़ फु
गुटुर गु गुटुर गु गुटुर गु

जहा भी मिला दाना तिनका ना छोड़ा
कबूतर का जोड़ा कबूतर का जोड़ा

उड़े साथ दोनों तो देखो अदाएं
कभी ऊंचे नीचे कभी दाए बाएँ

फिजा झिलमिलाई ज़रा रुख जो मोड़ा
कबूतर का जोड़ा कबूतर का जोड़ा

कला बाजिया कैसी खाते है दोनों
जो तेज़ी से पर फडफडाते है दोनों

पर्दों की दमक जैसे बिजली का कोड़ा
कबूतर का जोड़ा कबूतर का जोड़ा

वो बच्चो को उड़ना सिखाने का फन
ऊंचाई पर गोता लगाने का फ़न

है डर बिल्लियो का मगर थोडा थोडा
कबूतर का जोड़ा कबूतर का जोड़ा

3. Pigeon Poem in Hindi

मेरे आंगन श्वेत कबूतर!
उड़ आया ऊंची मुंडेर से, मेरे आंगन श्वेत कबूतर!
गर्मी की हल्की संध्या यों – झांक गई मेरे आंगन में
झरीं केवड़े की कुछ बूंदें, किसी नवोढ़ा के तन-मन में;
लहर गई सतरंगी-चूनर, ज्यों तन्यी के मृदुल गात पर!

उड़ आया ऊंची मुंडेर से, मेरे अपान श्वेत कबूतर!

मेरे हाथ रची मेहंदी, उर बगिया में बौराया फागुन
मेरे कान बजी बंसी–धुन, घर आया मनचाहा पाहुन
एक पुलक प्राणों में, चितवन एक नयन में, मधुर-मधुरतर!

उड़ आया ऊंची मुंडेर से, मेरे आंगन श्वेत कबूतर!

ताना मर गयी आँखों में, मुझको उषा की अरूणाई
थितजक गयी अधरों तक आकर, बात कोई बिसरी बिसराई
ठहर गया जैसे कोई बन पाखी, मन की झुकी डाल पर

उड़ आया ऊंची मुंडेर से, मेरे आंगन श्वेत कबूतर!

कोई सुंदर स्वप्न सुनहले, आंचल में चंदा बन आया
कोई भटका गीत उनींदा, मेरी सांसों से टकराया;
छिटक गई हो जैसे जूही, मन-प्राणों में महक-महक कर!

उड़ आया ऊंची मुडेर से, मेरे अपान श्वेत कबूतर!

मेरा चंचल गीत किलकता, घर-आंगन देहरी-दरवाजे
दीप जलाती सांझ उतरती, प्राणों में शहनाई बाजे
अमराई में बिखर गए री, फूल सरीखे सरस-सरस स्वर!

उड़ आया ऊंची मुंडेर से, मेरे आंगन श्वेत कबूतर!

डॉ. वीरबाला

4. Hindi Poem On Pigeon – आओ बच्चो आओ बच्चो

आओ बच्चो आओ बच्चो
छत पर देखो कबतूर अच्छो
सूंदर-सूंदर पैर है जिसके
छोटी-छोटी आंखे है जिसपे
देखो आज तुम मौज करलो
आओ बच्चो आओ बच्चो
छत पर देखो कबूतर अच्छो

घर से थोड़ा-थोड़ा
इसके लिए लाओ
गेहूं, चना, अनाज
भुट्टे के दाने लाओ
खूब इसे भर पेट खिलाओ
आओ बच्चो आओ बच्चो
छत पर देखो कबूतर अच्छो

कोई गत्ते का डब्बा लाओ
छोटा सा नन्हा घर बनाओ
एक टुक्का गोल सा काट देना
ना उसकी सांसो को बाँट देना
रोज गिलास पानी दे जाओ
आओ बच्चो आओ बच्चो
छत पर देखो कबूतर अच्छो !

© संजीत कुशवाहा

5. Short Poem On Pigeon In Hindi Language – भोले-भाले बहुत कबूतर

भोले-भाले बहुत कबूतर
मैंने पाले बहुत कबूतर
ढंग ढंग के बहुत कबूतर
रंग रंग के बहुत कबूतर
कुछ उजले कुछ लाल कबूतर
चलते छम छम चाल कबूतर
कुछ नीले बैंजनी कबूतर
पहने हैं पैंजनी कबूतर
करते मुझको प्यार कबूतर
करते बड़ा दुलार कबूतर
आ उंगली पर झूम कबूतर
लेते हैं मुंह चूम कबूतर
रखते रेशम बाल कबूतर
चलते रुनझुन चाल कबूतर
गुटर गुटर गूँ बोल कबूतर
देते मिश्री घोल कबूतर।
सोहनलाल द्विवेदी

6. उड़ उड़ इधर कबूतर आए

उड़ उड़ इधर कबूतर आए
दो ठो घर के भीतर आए
कुछ बाहर कुछ छत पर आए
आए कई कबूतर आए।

पानी पीते चुगते दाने
आए अपनी दौड़ दिखाने
धीरे चल कर कुछ सुस्ताते
बैठे बैठे ही सो जाते
उड़ कर आए पंख खोल कर
जाने क्या कुछ बोल बोल कर
उड़ जाते हैं फिर आते हैं
फिर आते हैं उड़ जाते
फिर आते हैं दौड़ लगाते
रुकते हैं फिर हैं सुस्ताते
आए कई कबूतर आए
दो ठो घर के भीतर आए।
प्रयाग शुक्ल

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