मोर पर कविता, Poem on Peacock in Hindi

Poem on Peacock in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन मोर पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. स्कूलों में भी Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 & 8 के बच्चों से Poem on Peacock in Hindi Language में लिखने को कहा जाता हैं. उनके लिए सभी Short Poem on Peacock in Hindi बहुत ही उपयोगी होगी.

हमारा राष्ट्रीय पक्षी भी मोर ही हैं. यह बाकि सभी पक्षियों की तुलना में बहुत ही सुन्दर और मनमोहक होता हैं. इस पक्षी की सुन्दरता की गाथा भारतीय पौरान्विक कथाओं में भी मिलती हैं.

दोस्तों आइए अब नीचे कुछ Poem on Peacock in Hindi में दिया गया हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी मोर पर कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

मोर पर कविता, Poem on Peacock in Hindi

Poem on Peacock in Hindi

1. Poem on Peacock in Hindi

मैं हूं राष्ट्रीय पक्षी मोर,
मेघ देखकर करता शोर।
गर्दन लंबी रंग है नीला,
दिखता हूं मैं बड़ा चमकीला।।

सुंदर पंख बड़े-बड़े है मेरे,
नागराज भी मुझ से डरे।
पंजे है मेरे शक्तिशाली,
दिखता हूं मैं सबसे निराला।।

पीहू पीहू की आवाज लगाकर,
सबको करता हूं सचेत।
ऊंचे ऊंचे पेड़ों पर में बैठता,
बिन मेरे बाग हो जाते सुने।।

नाच देख कर मेरा,
सब हो जाते अचंभित।
पंखो से मेरे लिखते हैं गाथा,
सबसे सुंदर पक्षी मैं कहलाता।।

2. मोर पर कविता

झूम झूम के जब मैं नाच दिखाता,
सब कोई और मेरी ओर खिंचा चला आता।
स्वभाव का हूं मैं थोड़ा शर्मीला,
अपने सुंदर रंग से सबका मन मोह लेता।।

आती जब कोई काली बदरा,
तो पंख खोल कर मैं अपना।
सुंदर नाच दिखाता,
बड़े-बड़े पंख है मेरी पहचान।।

ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर मैं हूं रहता,
शान से अपने पंखों को लहराता।
पक्षियों को राजा मैं कहलाता,
सचेत मैं हरदम रहता।।

सुबह शाम मैं वन में भ्रमण करता,
सिर पर ताज मेरा आभूषण कहलाता।
चटक चमकीला नीला रंग है मेरा,
मैं भारत का राष्ट्रीय पक्षी कहलाता।।

3. Poem on Peacock in Hindi for Class 7

नाच मोर का सबको भाता,
जब वो पंखों को खोलकर इठलाता।
सबके मन को भाता,
पीहू-पीहू आवाज लगाता।।

जंगल और बागों में शोर मचाता,
जब आते मेघ घिर-घिर के।
वो घूम-घूम कर नाच दिखाता,
सबके मन को हर्षाता।।

सिर पर ताज लगाकर इठलाता,
हर वक्त रहता है चौकन्ना।
एक डाल से दूसरी डाल पर उड़कर जाता,
पंखों को फैला कर सुंदर रूप दिखाता।।

बाग-बगीचों में अक्सर आता,
शोर मचाने पर उड़ जाता।
पास बुलाने पर नहीं आता,
नाच मोर का सबको भाता।।

4. Short Poem on Peacock in Hindi

कितनी सुंदर कितनी प्यारी,
सबसे मनहर सबसे न्यारी।
काले बादल छाते हैं जब,
झूम-झूम कर आते हो तब।।

जब है बादल घिर घिर आते,
पंख फैला तुम नाच दिखाते।
बरखा का संदेशा लाते,
सबके मन को हर्षाते।।

कैसा रूप है तुमने पाया,
रंग मनोहर है छिटकाया।
सिर पर सुंदर ताज सजाया,
तभी तो पक्षी-राज कहलाया।।

5. Poem on Peacock in Hindi Language

नाच नाच कर आता मोर,
नाना रंग दिखाता मोर।
बच्चों को बहलाता मोर,
बाग बाग उड़ जाता मोर।।

वन वन शोभित होता मोर,
सावन में खुश होता मोर।
सुन सुनकर बादल का शोर,
अपना नाच दिखाता मोर।।

कितने सुंदर पंख है देखो,
पंख में कितने रंग है देखो।
रंग में कितने ढंग है देखो,
नाच मनोहर इसका देखो।।

6. आओ आओ बच्चो की टोली

आओ आओ बच्चो की टोली
सुनो मोर की कुंह कुंह बोली।।

आसमान में बादल छाए
मोर थई थई नाच दिखाए
अपने पंखों को फैलाकर
पैसो की बरसात दिखाए
उसके सर पे कलगी ऐसी
बादशाह के ताज जैसे
मोर छमाछम नाच दिखाए
भारत का राष्ट्रीय पक्षी कहलाये
हम सब को है नाज इसपे
मिल कर हम सब इसे बचाएं
वन उपवन कभी न काटे
इस के रहने की जगह बचाएं।।

7. नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए

नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए
बाकी जो बचा था काले चोर ले गए।

खाके पीके मोटे होके, चोर बैठे रेल में
चोरों वाला डिब्बा कट कर, पहुँचा सीधे जेल में
नानी तेरी मोरनी को…

उन चोरों की खूब खबर ली, मोटे थानेदार ने
मोरों को भी खूब नचाया, जंगल की सरकार ने
नानी तेरी मोरनी को…

अच्छी नानी प्यारी नानी, रूसा-रूसी छोड़ दे
जल्दी से एक पैसा दे दे, तू कंजूसी छोड़ दे
नानी तेरी मोरनी को…

8. मैं हूं मोर पक्षियों का राजा

मैं हूं मोर पक्षियों का राजा
सबसे सुंदर में कहलाता हूं
दूर देखकर बादलों को
मैं नाचता जाता हूं।

बच्चे देख खुश हो जाते हैं
में भाग ना जाऊं चुप हो जाते हैं
चुपके चुपके पास आ जाते हैं
खुशी में झूम जाते हैं।

देखकर मैं डर जाता हूं
दूर गगन में भाग जाता हूं
लगता हूं मैं बहुत ही प्यारा
रंग-बिरंगे पँखो वाला
देखकर मैं अपनी सुंदरता को
खुद भी शर्मा जाता हूं।

मैं हूं मोर पक्षियों का राजा
सबसे सुंदर मैं कहलाता
दूर देखकर बादलों को
मैं नाचता जाता हूं।

9. पक्षियों का राजा हूँ

पक्षियों का राजा हूँ
बारिश का दीवाना हूँ
काले -काले बदल देख
भावविभोर हो जाता हूँ
बताओ मैं कौन हूँ?
मैं नर्तकप्रिय मयूर हूँ
मयूर हूँ ………. मयूर हूँ …….मयूर हूँ!!

सिर पर ताज लिए रहता हूँ
मेहप्रिय कहलाता हूँ
रंग बिरंगे बूटों से सजी
मेघ देख पंखों को फैलता हूँ
बताओ मैं कौन हूँ?
मैं नर्तकप्रिय मयूर हूँ
मयूर हूँ ……….मयूर हूँ ……..मयूर हूँ!!

शांत जगह मुझे है भाता
झुण्ड में रहना चाहता हूँ
मनमोहक छवि है मेरी
मैं चित्त चोर कहलाता हूँ
बताओ मैं कौन हूँ?
मैं नर्तकप्रिय मयूर हूँ
मयूर हूँ ……….मयूर हूँ ……..मयूर हूँ!!

मेरा पंख अतिशय शुभ है
विद्यादायनी कहलाता है
जिस घर रहता शुभ करता
कान्हा का मुकुट सजता है
बताओ मैं कौन हूँ?
मैं नर्तकप्रिय मयूर हूँ
मयूर हूँ ……….मयूर हूँ ……..मयूर हूँ!!

10. इंद्रधनुषी रंगों से सुसज्जित

इंद्रधनुषी रंगों से सुसज्जित,
वर्षा ऋतु को शोभायमान करता।
भारत वर्ष का गौरव,
सबके हृदय को प्रफुल्लित करता।

विहगों में सर्वोत्तम और विशिष्ट,
पवित्र जीवन बनाता इसको उत्कृष्ट।
श्याम चित्त की शोभा की गरिमा,
कर देता है इसको देवनिर्दिष्ट।

नंदन और उपवन को,
गुंजायमान कर, करता आकर्षित।
नृतकप्रिय, मनमोहक है,
सबके मन को करता हर्षित।

मयूर, मोर नाम है इसके,
नीलकंठ नाम से भी है प्रचलित।
कृष्ण प्रिय ये कहलाता,
अपनी कला से उपवन को करता सुशोभित।

-निधि अग्रवाल

11. जंगल में नाचा मोर

जंगल में नाचा मोर,
जब छाई सावन की घटा घनघोर।
चारों ओर मच गया शोर,
देखों! देखो! नाचा मोर।

तोतें आएँ, कौंवे आएँ,
सारे पक्षी दौड़ के आएँ।
देख इंद्रधनुषी पंखों को मयूर के,
सारे अपने रूप पर शरमाए।

बादल गरजें, बूंदे बरसें,
प्रकृति में खुशियां छाई चहु ओर।
पंखों को फैलाकर देखों,
वन-वन नाचे, छम-छम नाचे मोर।

प्रकृति में छा गयी हरियाली,
बंध गयी हो जैसे कोई ख़ुशियों की डोर।
रंग-बिरंगी धरती को देख,
देखो नाचे सतरंगी मोर।

बच्चे देखें, बूढ़े देखें
सबके मन को हर्षाए मोर।
अपने मनमोहक नृत्य से,
सबको खूब लुभाए मोर।

जंगल में नाचा मोर,
जब छाई सावन की घटा घनघोर।
चारों ओर मच गया शोर,
देखों! देखो! नाचा मोर।
– Nidhi Agarwal

12. आसमान में बादल छाए

आसमान में बादल छाए
गड़-गड़-गड़-गड़ करते शोर
अपने पंखों को फैलाए
घूम-घूम कर नाचे मोर ।

सजी है सुन्दर कलंगी सिर पर
आँखें कजरारी चित्तचोर
रिमझिम-रिमझिम बरखा बरसे
सबके मन को भाता मोर ।

पँखों में रंगीला चँदा
पिकोक पिको बोले पुरज़ोर
बरखा जब हो जाए बन्द तो
नाचना बन्द कर देता मोर ।।
दीनदयाल शर्मा

13. अहो सलोने मोर, पंख अति सुंदर तेरे

अहो सलोने मोर, पंख अति सुंदर तेरे,
रँगित चंदा लगे गोल अनमोल घनेरे।
हरा, सुनहला, चटकीला, नीला रंग सोहे,
रेशम के सम मृदुल बुनावट मन को मोहे।
सिर पर सुघर किरीट नील कल-कंठ सुहावे,
पंख उठाकर नाच, तेरा अति जी को भावे।
‘के का’ करके विदित श्रवण प्रिय तेरी बानी,
जरा सुना तो सही वही हमको रस सानी।
बादल जब दल बाँध गगन तल पर घिर आवै,
स्याम घटा की छटा सकल थल पर छा जावे
तब तू हो मदमत्त मेघ को नृत्य दिखावे
अति प्रमोद मन आन हर्ष के अश्रु बहावे
ऐसा अपना नाच दिखा हमको भी प्यारे
जिसे देख रे मोर! मोद मन होय हमारे।
श्रीधर पाठक

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