बच्चों पर कविताएं, Poem on Kids in Hindi

Poem on Kids in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय बच्चे पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. बच्चों से घरों में रौनक रहती हैं. यहाँ पर दी गई बच्चों पर कविताएं आपको अपने बच्चपन की याद ताजा कर देगी.

अब आइए नीचे कुछ Poem on Kids in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी बच्चों पर कविताएं आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

बच्चों पर कविताएं

Poem on Kids in Hindi

1. हम बच्चों की अजब कहानी

हम बच्चों की अजब कहानी
कहो शरारत या शैतानी
सुबह सवेरे पढ़ने जाते
टीचर जी को पाठ सुनाते
होमवर्क की महिमा न्यारी
हनुमान की पूंछ से भारी
करते करते हम थक जाते
इसको पूरा ना कर पाते
खेलें कूदे शोर मचाएं
एक दूजे को खूब चिढ़ाएं
फिर भी मिलकर रहते सारे
नील गगन के चाँद सितारे
“नरेंद्र सिंह नीहार”

2. छोटे बच्चे गोल मटोल

छोटे बच्चे गोल मटोल
यूँ लुढ़कते जैसे बॉल

ये रहते सबसे हिलमिल
ये रहते सबसे मिलजुल
बड़े बड़ों की खोले पोल
छोटे बच्चे गोल मटोल

इनके चेहरे पर मुस्कान
सबको देती जीवनदान
सबसे मीठे इनके बोल
देते मन की गांठें खोल
छोटे बच्चे गोल मटोल

जब भी होती है अनबन
जब भी भारी होता मन
देते मन की गांठें खोल
छोटे बच्चे गोल मटोल

जीवन में भरी उदासी है
खुशियाँ बहुत जरा सी हैं
हँसी नहीं मिलती है मोल
छोटे बच्चे गोल मटोल

3. मत रो मेरे प्यारे मुन्ने

मत रो मेरे प्यारे मुन्ने
जिद नहीं किया करते
छोटी छोटी बातों पर
रोया कभी नहीं करते

आँखों का तारा है तू
घर भर का है लाडला
रोकर कैसा हाल बनाया
कैसा है तू बावला

चल चलते हैं मेले में
हम दोनों मौज उडाएगें
कुल्फी भी हम खाएंगे
और गुब्बारे घर लाएंगे

आलू टिक्की पानी पूरी
कैंडी मिलकर खाएंगे
झूले में जब बैठेगे तो
गला फाड़ चिल्लाएगे

सर्कस में जोर जोर से
मारेगा जोकर सिटी
सब बच्चों को बांटेगा
गोली वह मीठी मीठी

रसगुल्ले भी खाएंगे
अब इतना भी सोच ले
मुस्का दे अब थोडा सा
आंसू अपने पोंछ ले

मस्ती करके मेले में
हम वापस घर आएँगे
ढेरों खेल खिलौने भी
हम खरीद कर लाएंगे
“शन्नो अग्रवाल”

4. नए युग का बालक

घिसे पिटे परियों के किस्से नहीं सुनूंगा
खुली आँख से झूठे सपने नहीं बुनूँगा
मुझे पता चंदा की धरती पथरीली है
इसलिए धब्बों की छायाएं नीली है

चरखा कात रही नानी मत बतलाओं
पढ़े लिखे बच्चों को ऐसे मत झुठलाओ
इन्द्रधनुष के रंग इंद्र ने नहीं बनाएं
पृथ्वी का नहीं बोझ खड़ा कोई बैल उठाएं

मुझे पता है, बादल कब जल बरसाते हैं
मुझे पता है कैसे पर्वत हिल जाते हैं
नए जमाने के हम बालक पढ़ने वाले
कैसे मानें बगुलों के पर होंगे काले

हमें सुनाओं बातें जग की सीधी सच्ची
नहीं रही अब अक्ल हमारी इतनी कच्ची

5. ये झोपड़ियों के बच्चे

मैली झोपड़ियों के है ये
मैले मैले बच्चे
उछल कूदते खिल खिल हंसते
हैं ये कितने अच्छे
मुझ जैसी इनकी दो आँखे
मुझे जैसे दो हाथ
नहीं पढ़ा करते पर क्यों ये
कभी हमारे साथ?
नहीं हमारे साथ कभी ये
जाते हैं स्कूल
क्यों इनके कपड़ों पर मम्मी
इतनी ज्यादा धूल?

ढाबों में बरतन मलते हैं
या बोझा ढोते है
हम कक्षा में होते हैं जब
ये चुप चुप रोते हैं
इनके बस्ते और किताबें
मम्मी, किसने छीने
वरना ये भी खूब चमकते
जैसे नए नगीने

मम्मी सोच लिया है पढ़कर
इनको खूब पढ़ाऊँगा
ये पढ़कर आगे बढ़ जाए
इनको यही सिखाऊंगा

ये भी भारत के बच्चे है
ये भारत की शान है
झोपड़ियों के हैं तो क्या है
मन इन पर कुर्बा हैं.

6. मैं ढ़ाबे का छोटू हूँ

मैं ढाबे का छोटू हूँ
मैं ढाबे का छोटू हूँ

रोज सुबह उठ जाता हूँ
ड्यूटी पर लग जाता हूँ
सबका हुक्म बजाता हूँ
मैं ढाबे का छोटू हूँ

दिनभर खटकर मरता हूँ
मेहनत पूरी करता हूँ
पर मालिक से डरता हूँ
मैं ढाबे का छोटू हूँ

देर रात में सोता हूँ
कप और प्याली धोता हूँ
रोते रोते हंसता हूँ
मैं ढाबे का छोटू हूँ

7. यह बच्चा

कौन है पापा यह बच्चा जो
थाली की झूठन है खाता
कौन है पापा यह बच्चा जो
कूड़े में कुछ ढूँढा करता

देखो पापा देखो यह तो
नंगे पाँव ही चलता रहता
कपड़े भी है फटे पुराने
मैले मैले पहने रहता

पापा जरा बताना मुझको
क्या यह स्कूल नहीं है जाता
थोड़ा जरा डांटना इसको
नहीं न कुछ भी यह पढ़ पाता

पापा क्यों कुछ भी न कहते
इसको इसके मम्मी पापा
पर मेरे तो कितने अच्छे
अच्छे मम्मी पापा

पर पापा क्यों मन में आता
क्यों यह सबका झूठा खाए
यह भी पहने अच्छे कपड़े
यह भी रोज स्कूल में जाए

8. छि छि छि गंदे बच्चे

छि छि छि गंदे बच्चे
हम तो है अच्छे बच्चे

हमें गंदगी से नफरत
सदा सफाई की है लत
कपड़े लत्ते साफ़ सुथरे
रोज नहाने की आदत
रखते साफ़ गली कूचे
हम तो है अच्छे बच्चे

जो फैलाते है कचरे
हम उनको आगाह करें
अपनी अपनों की सेहत
की कुछ तो परवाह करें

तन मन स्वच्छ, वचन सच्चे
रखते हैं अच्छे बच्चे
देश हमारा स्वच्छ रहे
सभी नागरिक स्वस्थ रहे

कुदरत की हमजोली बन
पूरी दुनिया मस्त रहे
कभी न खाएंगे गच्चे
हम तो हैं अच्छे बच्चे
“भगवती प्रसाद द्वेदी”

9. सपने में चाहा नदी बनूं

सपने में चाहा नदी बनूं
बन गया नदी
कोई भी नाव डुबोई मैंने
कभी नहीं
मैंने चाहा मैं बनूं फूल
बन गया फूल
बन गया सदा मुस्काना ही
मेरा उसूल
मैंने चाहा मैं मेंह बनूं
बन गया मेंह
बूंद बूंद बरसाती
रही नेह

मैंने चाहा मैं छाँह बनूं
बन गया छाँह
बन गया पथिक हारे को
मैं आरामगाह
मैंने चाहा मैं व्यक्ति बनूं
सीधा सच्चा
खुल गई आँख, मैंने पाया
मैं था बच्चा
“राधेश्याम प्रगल्भ”

10. बच्चों की है बात निराली

बच्चों की है बात निराली
तन के सुंदर मन के सच्चे
सबको लगते प्यारे बच्चे
सूरत इनकी भोली भाली
बच्चों की है बात निराली

चाहे जो भी हो मजबूरी
इनकी मांगे होती पूरी
इनके वचन न जाएं खाली
बच्चों की है बात निराली

इनसे घर आंगन सजता है
इनसे घर घर सा लगता है
इनसे घर आती खुशहाली
बच्चों की है बात निराली

मन में कोमल आशा लेकर
जीवन की अभिलाषा लेकर
करते सपनों की रखवाली
बच्चों की है बात निराली

11. हंसी मांग कर फूलों से

हंसी मांग कर फूलों से
और कुलाचे झूलों से
मांग लहर से चंचलता
तितली ने दी कोमलता
अटपट बोल हवाओं के
सपने दसों दिशाओं के
रंग सुबह की किरणों का
प्यार परी रानी से पा
ईश्वर बोला धरती से
मैं तुझको देता बच्चा
इसकी किलकारी सुनना
अपने सुख सपने बुनना
“चन्द्रदत्त इंदु”

12. बच्चों की आजादी

हम बच्चों को भी कुछ कहने की आजादी हो
मिट्टी पानी और हवा की कभी नहीं बर्बादी हो
स्वच्छ जल मिले पीने को खुलकर साँसे ले पाएं
साफ़ शुद्ध अनाज मिले औ ताजे फल सब्जी खाए

चमचमाचम सड़के हो
गली मुहल्ले साफ़ दिखे
सौंधी गंध जमी से आए
क्यारी क्यारी फूल खिले
झूले रैंप खेल खिलौने
बस्ती बस्ती पार्क बनें
घनी घिरी सी हरियाली हो
बादल भी बरसात करें
गाँव नगर ब्लाक सेक्टर
पुस्तकालय भी खुलवाओ
घर के बाहर खेलें कूदे
मिनी स्टेडियम बनवाओ
पन्द्रह दिन महीने में
एक पिकनिक भी हो जाए
आइसक्रीम यदि दिलवा दो
सारा टेंशन खो जाए||

यह भी पढ़ें:–

हिरोशिमा और नागासाकी पर कविता
मिट्टी पर कविताएं
अखबार पर कविता
भारत माता पर कविता

आपको यह Poem on Kids in Hindi में कैसी लगी अपने Comments के माध्यम से ज़रूर बताइयेगा। इसे अपने Facebook दोस्तों के साथ Share जरुर करे.

Leave a Comment