त्योहार पर कविता, Poem on Festival in Hindi

Poem on Festival in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ त्योहार पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

त्योहार पर कविता, Poem on Festival in Hindi

Poem on Festival in Hindi

1. त्योहार पर कविता

उपहारों की खुशबू लेकर
जब तब आ जाते त्यौहार
त्योहारों का आना जैसे
टपटप टपटप माँ का प्यार

लेकिन सोचा तो यह जाना
सभी मनाते हैं त्योहार
सबको ही प्यारे लगते है
माँ की गोदी से त्यौहार

जब लहलहाती हैं फसलें तो
खेत मनाते हैं त्यौहार
जब लद जाते है फूल फलों से
पेड़ मनाते है त्यौहार

पानी से भर जाती हैं तब
नदियों का होता त्यौहार
ठंड में मीठी धूप खिले तो
सूरज का होता त्योहार

जिस दिन पेड़ नहीं कटते
जंगल का होता त्यौहार
और अगर मन अडिग रहे तो
पर्वत का होता त्यौहार

अगर दुर्घटना न हो कोई
सड़क मनाती तब त्यौहार
मार काट चोरी न हो तो
शहर मनाता त्यौहार

दिल खोलकर ख़ुशी लुटाते
कोई हो सब पर त्यौहार
खिलखिल हँसते खुशियाँ लाते
लेकिन लगते कम त्यौहार

अगर बीज इनके भी होते
खूब उगाते हम त्यौहार
खुश होकर तब उड़ते जैसे
पंछी उड़ते बाँध कतार
दिविक रमेश

2. Poem on Festival in Hindi

भारत वर्ष में हम भारतीय
सम्भवतः सभी पर्व मनाते हैं।

धर्म निरपेक्षता पहचान इसकी
धरती आनन्द मग्न सदा रहती।

अनेक त्यौहार कभी कभार
माह दो माह के भीतर-भीतर
हर धर्म में मनाए जाते हैं।

कभी ईद, दिवाली इकट्ठे हुए
कभी आनन्द चौदस और
गणेश-चतुर्दशी
पोंगल और लोहड़ी हैं
कभी गुरू पर्व क्रिसमस जुड़ जाते हैं।

श्रृंखला बद्ध तरीके से जब
हम बड़े-बड़े उत्सव मनाते हैं।

फूलों की बौछार आसमाँ करते
हृदय आनन्द विभोर हो जाते हैं।

हमारी राष्टीय एकता और अखंडता
इसी सहारे जीवित है
सब धर्म यहाँ उपस्थित हैं
सब धर्म की राह दिखाते हैं
भारत वर्ष को शत-शत नमन
हम तभी भारतीय कहलाते हैं।
सविता दत्ता

3. ईद दिवाली ओणम क्रिसमस

ईद दिवाली ओणम क्रिसमस
खुशियों के त्यौहार।
लगकर गले बधाई दें लें
झूमें नाचें यार।

हम सब भारत मां के बेटे
सबके सुख दुख एक।
सभी सुखी हों यही मनाते,
तजें न अपनी टेक।

भाईचारा मजहब अपना
मानवता ईमान।
आंसू पोछें हर पीड़ित के
बन सच्चे इंसान।

नूर खुदाई सबमें देखा
कोई दिखा न गैर।
हाथ जोडकर रब से मांगें
सबकी रखना खैर।

दहशतगर्दी से लड़ना है
हर इंसां का फर्ज।
बहा पसीना चुका सकेंगे
भारत मां का कर्ज।

गुझिया सिंवई खिकायें खायें
हों साझे त्यौहार।
अंतर से अंतर का अंतर
मिटा लुटायें प्यार।
संजीव वर्मा “सलिल”

4. मन प्रसन्न छाए हर्ष उल्लास

मन प्रसन्न छाए हर्ष उल्लास
आए त्योहार

घर आंगन खुशी मंगलाचार
आए त्योहार

पूरा ब्रह्मांड सजा कर श्रृंगार
आए त्योहार

देवी देवता करें धरा विहार
आए त्योहार

शीश नवाएं ले जाए वरदान
आए त्योहार

चारों तरफ बधाई व्यवहार
आए त्योहार

5. जलाकर ढेर दीपों को

जलाकर ढेर दीपों को
खूब प्रकाश कर ले हम
मनाकर ढेर खुशहाली
खूब उल्लास कर ले हम
जलाकर प्रेम के दीपक
जग गुलजार कर दें हम
मिठाई न खिलाकर
इक मुस्कान दे दें हम

उड़ाए रंग ढेरों हम
गुलाबी लाल पीले हम
खेलें प्रीत की होली
मिटा दें शिकायत हम
उडा कर रंग मोहब्बत का
प्रीत बौछार कर दें हम
जमानें में मोहब्बत की बौछार कर दें हम

कसम खायें न फूकेगें
बनावटी कुंभ रावण हम
मिटाएगें दिलों के पाप
बनेंगे पावन निश्चछल हम
मिटाकर द्वेष दुनियां के
ये ऐलान कर दें हम
त्योहारों से बडी है
मानवता जमानें में
उसे ही अटूट शक्ति से
इक त्योहार कर दें हम
जलाकर प्रेम के दीपक
जग गुलजार कर दें हम ।
Dharamveer Verma

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