चन्द्रग्रहण पर कविता, Poem on Chandra Grahan in Hindi

Poem on Chandra Grahan in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ चन्द्रग्रहण पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

चन्द्रग्रहण पर कविता, Poem on Chandra Grahan in Hindi

Poem on Chandra Grahan in Hindi

1. Hindi Poem on Chandra Grahan

मम्मी मुझको चन्द्र ग्रहण के
बारे में कुछ समझा दो
राहू केतु क्यों क्रोधित इन पर
होते मुझको बतला दो

मम्मी बोली देव असुर मिल
सागर मंथन किया कभी
अमृत घट निकला उसमें
पीने को उत्सुक सभी

देव असुर सब पंक्ति बनाकर
बैठ अमृत था पाना
देवरूप धर राहू पी गया
सूर्य चन्द्र ने पहचाना

चक्र सुदर्शन चला विष्णु ने
काट राहु की गर्दन दी
लेकिन वह तो अमर हो गया
अमृत बूंद गया वह पी

राहु केतु दो असुर बन गये
वही चन्द्र को ग्रसते हैं
कभी कभी इनके चंगुल में
सूर्यदेव भी फसते हैं

बड़े पुत्र ने तभी बीच में
अपनी माँ को टोक दिया
बात पुरानी हुई आपकी
कथा कहने से रोक दिया

छोटे भाई से फिर बोला
गुरुवर सत्य बताते हैं
जितने ग्रह है सभी सूर्य के
चक्कर नित्य लगाते हैं
संतोष कुमार सिंह

2. Short Poem On Chandra Grahan In Hindi Language

साथ हमारा चंद्रग्रहण सा
बस कुछ पल की माया है
एक दूजे में घुलती मिलती
एक दूजे की छाया है।

घूम रहे थे अपनी-अपनी
परिधि पर हम अलग अलग
अलग अलग थी चाल हमारी
और रंग थे अलग अलग
अनजाने आकर्षण कैसा
खींच समीप हमें लाया है
एक दूजे में…

अंतरिक्ष के महानगर में
अनजानों से भरे सफर में
पृथ्वी चांद मुसाफिर जैसे
दूर दिशा में, दूर डगर में
पास लाने किसी कामदेव ने
छिप कर तीर चलाया है.
एक दूजे में…

वह षडयंत्र, या आकर्षण,
या किस्मत की मजबूरी,
हम दोनों आए करीब पर
तन और मन से दूरी
एक दूजे पर पड़ा हुआ बस
अपना अपना साया है.
एक दूजे में…

ये भी कैसा साथ हमारा
जिससे बने अंधेरे हैं
प्यार की राह की रौशनियों
पर हमीं ने डाले घेरे हैं
बस कुछ साथ और फिर दूरी
अंबर ने हुकुम सुनाया है.
एक दूजे में…

संजीव निगम

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