चेतक की वीरता कविता, Chetak Poem in Hindi

Chetak Poem in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में चेतक की वीरता कविता का संग्रह दिया गया हैं. महाराणा प्रताप के चेतक घोड़ा किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं. चेतक की वीरता की कहानी आज भी पुरे विश्व में सुनाई जाती हैं. जो हवा की गती से शत्रुओं पर प्रहार करता और अपनी तेज बुधि का परिचय देता था. महाराणा प्रताप जो सोचते चेतक उससे पहले उनकी सोच की पूर्ति कर देता था. महाराणा प्रताप की आँख की पुतली जिस और घुमती उससे पहले चेतक उस जगह पर पहुच जाता था.

चेतक इतना निडर निर्भीक था की वह अपने शत्रुओं के किले को आसानी से भेद कर वापस आ जाता था. जब महाराणा प्रताप चेतक पर सवार होते थे तो युद्ध भूमि से शत्रु भी भागने पर विवश हो जाते थे. इसलिए कहा जाता हैं. की चेतक की तरह आज तक कोई घोड़ा नहीं हुआ हैं. चेतक लड़ते – लड़ते ही युद्ध भूमि में वीरगति को प्राप्त हुआ.

अब आइए नीचे कुछ Chetak Poem in Hindi में दिए गए हैं. उन्हें पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी चेतक की वीरता कविता आपको पसंद आएगी. इस Chetak ki Veerta Kavita को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

चेतक की वीरता कविता, Chetak Poem in Hindi

Chetak Poem in Hindi

1. Poem on Chetak in Hindi – रण बीच चौकड़ी भर-भर कर

रण बीच चौकड़ी भर-भर कर
चेतक बन गया निराला था
राणाप्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा का पाला था

जो तनिक हवा से बाग हिली
लेकर सवार उड़ जाता था
राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड़ जाता था

गिरता न कभी चेतक तन पर
राणाप्रताप का कोड़ा था
वह दौड़ रहा अरिमस्तक[1] पर
वह आसमान का घोड़ा था

था यहीं रहा अब यहाँ नहीं
वह वहीं रहा था यहाँ नहीं
थी जगह न कोई जहाँ नहीं
किस अरिमस्तक पर कहाँ नहीं

निर्भीक गया वह ढालों में
सरपट दौडा करबालों में
फँस गया शत्रु की चालों में

बढ़ते नद-सा वह लहर गया
फिर गया गया फिर ठहर गया
विकराल वज्रमय बादल-सा
अरि[2] की सेना पर घहर गया

भाला गिर गया गिरा निसंग
हय[3] टापों से खन गया अंग
बैरी समाज रह गया दंग
घोड़े का ऐसा देख रंग

श्यामनारायण पाण्डेय

2. Chetak ki Veerta Poem – मेवाड़–केसरी देख रहा

मेवाड़–केसरी देख रहा¸
केवल रण का न शौर्य था
वह दौड़–दौड़ करता था रण¸
वह मान–रक्त का प्यासा था
वो राणा प्रताप का चेतक था

गिरता न कभी, रुकता न कभी
चाल देख उसकी चट्टान भी दंग था
वह मातृभूमि के लाल का निराला सरताज था
वो राणा प्रताप का चेतक था
जिसकी वीरता देख अकबर ने पग मोड़ा था,
ऐसा था प्रताप का अद्धभूत चेतक
जिसने शत्रु को तांडव करवाया था
रक्त-युद्ध में राणा का कृष्णा सारथी था
महाराणा के भाले सा उसका एक निशाना था
वो राणा प्रताप का चेतक था

निर्भीक गया हल्दीघाटी के मैदानों में,
जो प्रलयंकारी को मौत पाठ पढ़ाना था,
धरती की आन जो बचाना था
वो राणा प्रताप का चेतक था

कुछ तो बात है इस माटी की फ़िज़ाओं में
जो था यही वो रहा यही
जो रहा कही वो था यही
ऐसी कोई जन्नत नहीं जहा रहा वह मन्नत नहीं था
वो राणा प्रताप का चेतक था

देख नाला सा वह गहराता नद था
फिर ठहर कुछ सोच विचार किया था
तब बिजली सा रौद्ररूप धर
अरि की सेना का संघार किया था
वो राणा प्रताप का चेतक था

गिर गया भाला गिरा निशंग
हाय तोपों से खन गया अंग
बैरी समाज रह गया दंग
किसी घोड़े का देख ऐसा रंग
वो राणा प्रताप का घोडा था

Ankita Soni

3. Chetak Poem in Hindi – चेतक पर चढ़ जिसने

चेतक पर चढ़ जिसने, भाला से दुश्मन संघारे थे…
मातृ भूमि के खातिर, जंगल में कई साल गुजारे थे…
झुके नही वह मुगलोँ से, अनुबंधों को ठुकरा डाला…
मातृ भूमि की भक्ति का, नया प्रतिमान बना डाला…
हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था…
देख वीरता राजपूताने की, दुश्मन भी थर्राया था…
बलिदान पर राणा के, भारत माँ ने, लाल देश का खोया था…
वीर पुरुष के देहावसान पर, अकबर भी फफक कर रोया था…
भारत माँ का वीर सपूत, हर हिदुस्तानी को प्यारा हे…
कुँअर प्रताप जी के चरणों में, सत सत नमन हमारा हे…

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