उमेश शुक्ल की प्रसिद्ध कविताएँ, Umesh Shukla Poem in Hindi

Umesh Shukla Poem in Hindi – यहाँ पर Umesh Shukla Famous Poems in Hindi का संग्रह दिया गया हैं. उमेश शुक्ल उत्तरप्रदेश के बस्ती जिले के बेलारे गांव के रहने वाले हैं. अपनी लेखन शैली की वजह से पत्रकारिता क्षेत्र में जाने जाते हैं. बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में अथिति प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हैं.

उमेश शुक्ल पत्रकारिता के साथ सामाजिक कार्य में भी सक्रिय रहते हैं. दूरदर्शन और रेडियो पर भी कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले चुके हैं.

आइए अब यहाँ पर Umesh Shukla ki Kavita in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं.

उमेश शुक्ल की प्रसिद्ध कविताएँ

Umesh Shukla Poem in Hindi

1. अश्क

अश्क वो मोती हैं जो नयनों में पला करते हैं
भाव जो दिल को मथ जाएं तो ये नुमां होते हैं
सुख हो या दुख हो ये हर पलों के हैं साखी
भाव दर्शाने में रखते नहीं कुछ भी बाकी
प्यार के बोल औ स्पर्श से ये थम जाते हैं
दर्द का दायरा गहरा हो तो जम जाते हैं
अपने या पराये का नहीं रखते ये कभी फर्क
जो अश्क के भाव न समझे वो वाकई कम जर्फ

2. करो सत्य संधान

विघ्नों से कब यहां डरा है कर्म योग का राही
राह में बाधा डाले जो बस उनकी शामत आई
सतयुग. त्रेता औ द्वापर सब इसके हैं साखी
कुटिल पात्र का हश्र वही ज्यों घृत में फंसा हो माखी
वेद पुराणों के तथ्यों से जो अनजान बेचारे
उनसे नैतिकता की आस जैसे दिन में तारे
कुटिल मित्र के संग से घटा कर्ण का मान
घोर विपत्ति काल में भूला वो सब अपने ज्ञान

कृपाचार्य और द्रोण की क्षीण हुई सब आभा
उनका ये अपराध था कि अन्याय का पथ अवराधा
ग्रंथ सभी यह बतला गए करो सत्य संधान
वर्ना न्यायी काल तुम्हारा करेगा काम तमाम

3. सियासी रार

देश में आजकल मची है अजब सियासी रार
जनहित भुला नेता कर रहे आपस में तकरार
अब नेताओं में शेष नहीं है थोड़ा सा भी उसूल
सत्ता खातिर ध्वंस मार्ग को कर रहे सभी कबूल
भूल गए वो सत्य अहिंसा और मानवता के संदेश
सत्ता खातिर पैदा कर रहे जन मन में विद्वेष
देश से बढ़कर कुछ भी नहीं वे भूले यह बात
घूम घूम भड़का रहे वे जनता के जज्बात

4. छवि

दिल में इतराती हुई लहरों से उपजती है छवि
इसी हलचल को बयां करते हैं लफ्जों से कवि
वो जब जब याद की दरिया में डूब जाते हैं
आईना देखने पर उनको महबूब नजर आते हैं…

दर्द

अब्र ए दर्द जब दिल पर घुमड़ आते हैं.
लाख रोके कोई पलकों को नम कर जाते हैं.
बहुत मुश्किल है दीवार ए सब्र को महफूज रखना.
दर्द बेइंतहा हो तो कांच से बिखर जाते हैं.
बहुत सोचा कि दिल की बात दिल में ही रहे.
तेरी चाहत का जादू ऐसा लब खुद ही थिरक जाते हैं

5. जिंदगी का सफर

जिंदगी का सफर कोई भूल जाए ये हो नहीं सकता.
ऐसा शिला है जो कभी गुम हो नहीं सकता.
भूलने का प्रपंच रचते हैं वो लोग
जिनकी दास्तां में कुछ अच्छा हो नहीं सकता
जिंदगी के पड़ावों पर मिलते हैं कुछ यार
जिनके जिक्र बिना दिल को मिलता नहीं करार

6. देश हमारा

करवट बदल रहा है अब देश भी हमारा
जो नाग थे वे अब बिल में सुनसान है नजारा
जन्नत को जो कभी दोजख में बदलते रहे हैं
देखो अब उनकी आंखों से आंसू छलक रहे हैं
बारूद की जो धमकी कल तक दे रहे थे
अब अपनी हिफाजत को वो कलमा पढ़ रहे हैं
बर्बादियों पर जश्न जो मनाते रहे खुलेआम
इंसानियत की अब चर्चा उनके लब पे सुबह शाम

7. भेड़ि़ये

मानव वेश में घूम रहे भेड़िये चहुं ओर
कैसे मानवता बचे इसी प्रश्न का शोर
आबादी की दृष्टि से पुलिस बहुत है कम
रक्तबीज से बढ़ रहे पापी नराधम
आधी दुनिया हैरान है नित सुनकर अपराध
जन.जन की है चाह यही जीवन हो निर्बाध

सबकी बस ये कामना तंत्र का रुख हो सख्त
तभी पापियों के हौसले हो पाएंगे पस्त
न्याय प्रक्रिया देश की जब हो जाए गतिशील
तब कुकर्मियों के मंसूबों पर ठुक पाएगी कील

8. नफरत

नफरत के शोले वे भड़काए जा रहे हैं
हर बात को बतंगड़ बनाए जा रहे हैं
बोएंगे जिस फसल को उसे काटना भी होगा
सोचे बिना इस सत्य वो जहर बोए जा रहे हैं
सियासत की चालें देख हैरान है जमाना
बिन ताल सुर के छेड़ें नेता अटपटा तराना
दिग्भ्रमित सियासत और नेता बदगुमान
ऐसे में फिर बचेगा कैसे लोकतंत्र का मान

9. हिंदुस्तान

धन्य धन्य हो पांव पखारे जिसके विस्तृत सागर
जिसकी माटी में रमने को आतुर रहे नटनागर
बारी बारी आ देवों ने डेरा यहां जमाया
जिनकी यश गाथा को ऋषियों मुनियों ने है गाया
राम. कृष्ण और महादेव भी जिसके रहे दीवाने
चार वेदों में पसरे हैं युग युग के अफसाने

असुरों के संहार की खातिर जहां देवियां आईं
नारी ही हैं शक्ति स्वरूपा सबको विश्वास दिलाईं
राणा. शिवा औ सिख गुरुओं को जां से प्यारी माटी
दुश्मन भी भौंचक्के रह गए जब जाने परिपाटी
जांबाजों की बनी रही यह अद्भुत पाठशाला
अरि दल भी हैरान हुए जब पड़ा कभी भी पाला
उत्तर में हो खड़ा हिमालय करता ये ऐलान
जग में है सबसे प्यारा अपना हिंदुस्तान
देश से बढ़कर नहीं है कुछ पर सिरफिरे अनजान
उनकी करतूतों का धुआं छू रहा आसमान
अब नहीं सरकार को खामोश रहना चाहिए
हर हाल में उत्पातियों को दंड मिलना चाहिए

10. गुम है तेज बुंदेलखंड का

गुम है तेज बुंदेलखंड का युवा बने हैं घनचक्कर
नेता अफसर काटें मलाई. युवा डोलते दर ब दर
रोज लुट रही खनिज संपदा पर शासन है मुंह फेरे
ट्रक. ट्रैक्टर से लैस लुटेरे मारे फेरे पर फेरे
कैसे हो समुचित विकास यहां नहीं किसी को इसकी फिकर
गुम है तेज बुंदेलखंड का युवा बने हैं घनचक्कर
क्षेत्र को पिछड़ा बता बता अधिकारी ले आते कोष
कुछ दिन में ही कोष खपा पब्लिक पर मढ़ देते दोष

नेता अफसर सदा देखते इमदादों की राह यहाँ
पर युवकों को नहीं है चिंता हक हुकूक खो गए कहां.
रोजी की चाहत ले जाती युवाओं को इधर उधर
गुम है तेज बुंदेलखंड का युवा बने हैं घनचक्कर…
ऋषियों मुनियों की धरती पर आज लुटेरों का डेरा
भाग्यविथाता के आगे पीछे महाजनों का है घेरा
तंगहाली से दुखी किसान आए दिन दे देते जान
तंत्र यहां जन पीड़ा पर देता नहीं है पूरा ध्यान
बिन चेतना न पाएंगे रोजी के समुचित अवसर
गुम है तेज बुंदेलखंड का युवा बने हैं घनचक्कर…

11. जागो जागो बुंदेलखंड जागो

जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो
हाथ दोनों उठाके राज मांगो
बदलो तदवीर से अपनी किस्मत
छोड़ दो मौन रहने की आदत
गरजना करके हक अपने मांगो
जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो

आजादी का जश्न मनाते गुजरे सालोंसाल
पर देखो बुंदेलखंड को है कितना बदहाल
लुट रहा यहां का खजाना
लखनउ को है तनिक फिक्र ना
आल्हा उदल की संतति हो तुम
सोचकर भीरूता मन के त्यागो
जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो
नेता अफसर दोनों यहां पे हो रहे मालामाल
छाती चीरकर इस धरती को बना रहे कंगाल
तंत्र यहां का गूंगा बहरा
बस कागज पर देता पहरा
अपनी किस्मत स्वयं रचेंगे
अब यह प्रण लेकर जागो
जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो
वर्षों से चल रही सियासत
बदल रही ना क्षेत्र की किस्मत
नेताओं की दोहरी चाल
बुंदेली जन जन है बेहाल
राहत के जो पैकेज आए

अब उनका हिसाब मांगो
जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो
सूखा जब जब यहां मंडराए
नेता अफसर प्लेन से आए
राहत का करने ऐलान
हो जाते सब अंतरध्यान
पुनरावृत्ति न हो इन सबकी
यही सोचकर राज मांगो
जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो
गर जो जागे नहीं समझ लो
प्रबल भंवर में तुम्ही घिरोगे
मौन रहे थे क्यों हम अब तक
यही सोच सिर अपना धुनोगे
भावी पीढ़ी के हित खातिर
उठो जगाओ दूजो को औ अपनी तंद्रा त्यागो
जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो

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