मदर डे पर कविता | Mothers Day Poem in Hindi

Mothers Day Poem in Hindi – दोस्तों आज इस पोस्ट में माँ पर आधारित कुछ लोकप्रिय कविताओं का संग्रह दिया गया हैं. इन कविताओं को आप मदर डे पर कविता को सुना सकते हैं. और इसे आप अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते हैं.

इस सभी Mothers Day Poem in Hindi को आप मदर डे पर होने वाले आयोजन में भी सुना सकते हैं. और मदर डे पर अपनी माँ को भी उनके सम्मान में सुना सकते हैं.

दोस्तों माँ से ज्यादा इस संसार में हमें और कोई प्रेम नहीं कर सकता हैं. माँ का प्रेम निस्वार्थ होता हैं. हर साल मई के दुसरे रविवार को मातृ दिवस मनाया जाता हैं. इस दिन माँ के सम्मान में सभी माँ के लिए कविता समर्पित करते हैं.

हमारे जीवन में माँ का स्थान भगवान से भी उच्चा माना गया हैं. माँ के लिए कवियों दुवारा बेहतरीन कविताएँ लिखी गई हैं. जो आपको निचे कुछ लोकप्रिय माँ पर आधारित कविता दी गई हैं.

मदर डे पर कविता, Mothers Day Poem in Hindi

Mothers Day Poem in Hindi

1. Poems in Hindi on Mother – (माँ अगर तुम न होती तो)

माँ अगर तुम न होती तो मुझे समझाता कौन…

काँटो भरी इस मुश्किल राह पर चलना सिखाता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे लोरी सुनाता कौन…

खुद जागकर सारी रात चैन की नींद सुलाता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे चलना सिखलाता कौन…

ठोकर लगने पर रस्ते पर हाथ पकड़ कर संभालता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे बोलना सिखाता कौन…

बचपन के अ, आ, ई, पढ़ना-लिखना सिखाता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे हँसना सिखाता कौन…

गलती करने पर पापा की डाँट से बचाता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे परिवार का प्यार दिलाता कौन…

सब रिश्ते और नातों से मेरी मुलाकात कराता कौन….

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे गलती करने से रोकता कौन…

सही क्या हैं, गलत क्या हैं इसका फर्क बताता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे ‘प्यारी लाड़ो’ कहता कौन…

‘मेरी राज-दुलारी प्यारी बिटिया’ कहकर गले लगाता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मुझे समाज मैं रहना सीखाता कौन…

तुम्हारे बिना ओ मेरी माँ मेरा अस्तित्व स्वीकारता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

माँ अगर तुम न होती तो मेरा हौसला बढ़ाता कौन…

नारी की तीनों शक्ति से मुझे परिचित कराता कौन…

माँ अगर तुम न होती तो…

वन्दना शर्मा

2. मदर डे पर कविता – (मेरी माँ)

मेरी माँ है वो जो मुझे हसाती-दुलारती,

त्याग और मेहनत से मेरे जीवन को सवारती।

चाहे वह खुद सो जाये भूखे पेट,

लेकिन मुझे खिलाती है भरपेट।

उसकी ममता की नही है कोई सीमा,

उससे सीखा है मैने यह जीवन जीना।

मेरा सुख ही उसका सुख है,

मेरा दुख ही उसका दुख है।

रहती है उसे सदा मेरे तरक्की की अभिलाषा,

अब मैं भला क्या बताउ माँ की परिभाषा।

मेरे जीवन के संकट रुपी धूप से वह टकराती है,

मेरे संकट परेशानियों में वह मातृ छाया बन जाती है।

वह है मेरे हर चिंता को दूर करने वाली,

वाकई में मेरे लिये मेरी माँ है सबसे निराली।

Yogesh Kumar Singh

Poems in Hindi on Mother

3. Mothers Day Poem in Hindi

लब्बो पर उसके कभी बदुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो कभी खफा नहीं होती
इस तरह वो मेरे गुनाहो को धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो बस रो देती है

मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आंसु
मुदतो माँ ने नहीं धोया दुपटा अपना
अभी जिन्दा है मेरी माँ मुझे कुछ नहीं होगा

मै जब घर से निकलता हूँ तो दुआ भी साथ चलती है मेरे
जब भी कश्ती मेरी शेलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई खुआब में आ जाती है

ए अँधेरे देख ले तेरा मुंह कला हो गया
माँ ने आंखे खोल दी और घर में उजाला हो गया

मेरी खुआइश है की मै फिर से फ़रिश्ता हो जाऊ
माँ से इस तरह लिपटू की फिर से बच्चा हो जाऊ

4. Hindi Kavita on Maa – (ममता की छाव में)

घुटनो से रेंगते रेंगते
कब पैरो पर खड़ा हुआ
तेरी ममता की छाव में
ना जाने कब बड़ा हुआ
काला टीका दूध मलाई
आज भी सब कुछ वैसा हैं
एक मैं ही मैं हूँ हर जगह
प्यार ये तेरा कैसा हैं
सीदा-सादा , भोला-भाला
मैं ही सबसे अच्छा हूँ
कितना भी हो जाऊं बड़ा माँ
मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ
कैसा था नन्हा बचपन वो
माँ की गोद सुहाती थी ,
देख देख कर बच्चों को वो
फूली नहीं समाती थी।
ज़रा सी ठोकर लग जाती तो
माँ दौड़ी हुई आती थी ,
ज़ख्मों पर जब दवा लगाती
आंसू अपने छुपाती थी।
जब भी कोई ज़िद करते तो
प्यार से वो समझाती थी,
जब जब बच्चे रूठे उससे
माँ उन्हें मनाती थी।
खेल खेलते जब भी कोई
वो भी बच्चा बन जाती थी,
सवाल अगर कोई न आता
टीचर बन के पढ़ाती थी।
सबसे आगे रहें हमेशा
आस सदा ही लगाती थी ,
तारीफ़ अगर कोई भी करता
गर्व से वो इतराती थी।
होते अगर ज़रा उदास हम
दोस्त तुरन्त बन जाती थी ,
हँसते रोते बीता बचपन
माँ ही तो बस साथी थी।
माँ के मन को समझ न पाये
हम बच्चों की नादानी थी ,
जीती थी बच्चों की खातिर
माँ की यही कहानी थी।

5. Small Poem on Mother in Hindi

क्या सीरत क्या सूरत थी
माँ ममता की मूरत थी

पाँव छुए और काम बने
अम्मा एक महूरत थी

बस्ती भर के दुख सुख में
एक अहम ज़रूरत थी

सच कहते हैं माँ हमको
तेरी बहुत ज़रूरत थी

6. Poems in Hindi on Mother

अपने आंचल की छाओं में,
छिपा लेती है हर दुःख से वोह
एक दुआ दे दे तो
काम सारे पूरे हों…
अदृश्य है भगवान,
ऐसा कहते है जो…
कहीं ना कहीं एक सत्य से,
अपरिचित होते है वोह…
खुद रोकर भी हमें
हसाती है वोह…
हर सलीका हमें
सिखलाती है वोह…
परेशानी हो चाहे जितनी भी,
हमारे लिए मुस्कुराती है वोह…
हमारी खुशियों की खातिर
दुखो को भी गले लगाती है वो…
हम निभाएं ना निभाएं
अपना हर फ़र्ज़ निभाती है वोह…
हमने देखा जो सपना
सच उसे बनती है वो…
दुःख के बादल जो छाये हमपर
तो धुप सी खिल जाती है वोह…
ज़िन्दगी की हर रेस में
हमारा होसला बढाती है वोह…
हमारी आँखों से पढ़ लेती है
तकलीफ और उसे मिटाती है वोह…
पर अपनी तकलीफ कभी नही जताती है वोह…
शायद तभी भगवान से भी ऊपर आती है वोह…
तब भी त्याग की मूरत नही माँ कहलाती है ‘वोह’….

7. मदर डे पर कविता

चुपके चुपके मन ही मन में
खुद को रोते देख रहा हूँ
बेबस होके अपनी माँ को
बूढ़ा होता देख रहा हूँ
रचा है बचपन की आँखों में
खिला खिला सा माँ का रूप
जैसे जाड़े के मौसम में
नरम गरम मखमल सी धूप
धीरे धीरे सपनों के इस
रूप को खोते देख रहा हूँ
बेबस होके अपनी माँ को
बूढ़ा होता देख रहा हूँ………
छूट छूट गया है धीरे धीरे
माँ के हाथ का खाना भी
छीन लिया है वक्त ने उसकी
बातों भरा खजाना भी
घर की मालकिन को
घर के कोने में सोते देख रहा हूँ
चुपके चुपके मन ही मन में
खुद को रोते देख रहा हूँ………
बेबस होके अपनी माँ को
बूढ़ा होता देख रहा हूँ…..

8. Mothers Day Poem in Hindi

हे जननी, हे जन्मभूमि, शत-बार तुम्हारा वंदन है|
सर्वप्रथम माँ तेरी पूजा, तेरा ही अभिनन्दन है||
तेरी नदियों की कल-कल में सामवेद का मृदु स्वर है|
जहाँ ज्ञान की अविरल गंगा, वहीँ मातु तेरा वर है|
दे वरदान यही माँ, तुझ पर इस जीवन का पुष्प चढ़े|
तभी सफल हो मेरा जीवन, यह शरीर तो क्षण-भर है|
मस्तक पर शत बार धरुं मै, यह माटी तो चन्दन है|
सर्वप्रथम माँ तेरी पूजा, तेरा ही अभिनन्दन है||१||
क्षण-भंगुर यह देह मृत्तिका, क्या इसका अभिमान रहे|
रहे जगत में सदा अमर वे, जो तुझ पर बलिदान रहे|
सिंह-सपूतों की तू जननी, बहे रक्त में क्रांति जहाँ,
प्रेम, अहिंसा, त्याग-तपस्या से शोभित इन्सान रहे|
सदा विचारों की स्वतन्त्रता, जहाँ न कोई बंधन है|
सर्वप्रथम माँ तेरी पूजा, तेरा ही अभिनन्दन है||

9. Hindi Kavita on Maa

आज मेरा फिर से मुस्कुराने का मन किया।
माँ की ऊँगली पकड़कर घूमने जाने का मन किया॥

उंगलियाँ पकड़कर माँ ने मेरी मुझे चलना सिखाया है।
खुद गीले में सोकर माँ ने मुझे सूखे बिस्तर पे सुलाया है॥

माँ की गोद में सोने को फिर से जी चाहता है।
हाथो से माँ के खाना खाने का जी चाहता है॥
लगाकर सीने से माँ ने मेरी मुझको दूध पिलाया है।

रोने और चिल्लाने पर बड़े प्यार से चुप कराया है॥
मेरी तकलीफ में मुझ से ज्यादा मेरी माँ ही रोयी है।

खिला-पिला के मुझको माँ मेरी, कभी भूखे पेट भी सोयी है॥

कभी खिलौनों से खिलाया है, कभी आँचल में छुपाया है।
गलतियाँ करने पर भी माँ ने मुझे हमेशा प्यार से समझाया है॥

माँ के चरणो में मुझको जन्नत नजर आती है।
लेकिन माँ मेरी मुझको हमेशा अपने सीने से लगाती है॥

10. Small Poem on Mother in Hindi

जिंदगी की कड़ी धूप मे छाया मुझ पर कि
खड़ी रहती है सदा माँ मेरे लिये

माँ के आँचल मे आकर हर दुख भूल जाँऊ
हाथ रखे जो सर पे चैन से मै सो जाऊँ

वो जाने मुझे मुझसे ज्यादा, वो चाहे मुझे सबसे ज्यादा
मेरी हर खुशी को मुझे देने के लिये
खड़ी रहती है सदा माँ मेरे लिये

हर चोट का माँ है इकलौता मरहम
गोद मे उसकी सर रखके मिट जाये सारे गम

जिंदगी की हर घड़ी मे साथ उसका है जरूरी
माँ के साथ बिना हर खुशी है अधूरी

इस दुनिया के काँटो को फूल बनाये हुऐ
खड़ी रहती है सदा माँ मेरे लिये।

Kratika Sharma

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