बारिश पर कविता | Poem on Rain in Hindi | Poetry on Rain in Hindi

Poem on Rain in Hindi – दोस्तों आज इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन Poetry on Rain in Hindi का संग्रह दिया गया हैं. यह सभी बारिश पर कविता लोकप्रिय कवियों द्वारा लिखी गई हैं.

यह सभी Rains Poems in Hindi आपको बहुत पसन्द आएगी. सभी ऋतु में वर्षा ऋतु का एक अलग ही महत्व हैं. जब गर्मी के बाद वर्षा ऋतु का आगमन होता हैं. तब इस समय मौसम काफी सुहावना हो जाता हैं. और चारो तरफ हरियाली हो जाती हैं.

स्कूल में भी Rain Poem in Hindi में लिखने को कहा जाता हैं. यहाँ पर दी गई सभी बारिश पर कविता आपको Poem on Rain in Hindi को लिखने में सहायता करेगी.

वर्षा ऋतु को बारिश, बहार और हरियाली के साथ प्रेम के मौसम के लिए भी जाना जाता हैं. अब आइए कुछ बारिश पर कविता नीचे दिए गए हैं. इसको पढ़ते हैं. हमें आशा हैं की यह सभी Poetry on Rain in Hindi में आपको बहुत पसंद आयगी. इस Poem on Rain in Hindi को आप सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

बारिश पर कविता, Poetry on Rain in Hindi, Poem on Rain in Hindi

Poetry on Rain in Hindi

1. Poem on Rain in Hindi – छम-छम बूँदे बरखा की

छम-छम बूँदे बरखा की
लेकर आई है संगीत नया
हरियाली और प्रेम का
बना हो जैसे गीत नया
मनभावन-सा लगे हैं सावन
हर चितवन हो गई है पावन
मेघों ने मानों झूमकर
धरती की प्यास बुझाई है
खेलकर खेतों में
फैलकर रेतों में
मतवाली बरखा आई है
संग अपने
त्यौहारों की भी
खुशहाली वो लाई है

स्मिता प्रसाद दारशेतकर

2. Poetry on Rain in Hindi – कैसे करूँ मैं स्वागत तेरा बता ओ बरखा रानी

कैसे करूँ मैं स्वागत तेरा बता ओ बरखा रानी
घर की छत गलती है जब-जब बरसे पानी

बारिश में लगता है मौसम बड़ा सुहाना
बूँद-बूँद ताल बजाए पंछी गाएँ गाना
मैं सोचूँ, कैसे चूल्हे की आग जलानी

ठंडी-ठंडी बौछारें हैं पवन चले घनघोर
बादल गरजे उमड़-घुमड़ नाचे वन में मोर
मन मेरा सोचे, कैसे गिरती दीवार बचानी

इंद्रधनुष की छटा बिखेरी बरसा पानी जम के
पाँवों में नूपुरों को बाँधे बरखा नाची छम से
मैं खोजूँ वो सूखा कोना जहाँ खाट बिछानी

प्रकृति कर रही स्वागत तेरा कर अपना शृंगार
पपीहे ने किया अभिनंदन गा कर मेघ मल्हार
मैं भी करता स्वागत तेरा भर अँखियों में पानी
आ जा ओ बरखा रानी!
आ जा ओ बरखा रानी!

हेमंत रिछारिया

3. बारिश पर कविता – सावन में तन मन जलाए

सावन में तन मन जलाए
हाय रे बेदर्दी साजन!
तेरे बिन जिया न जाए
हाय रे बेदर्दी साजन!

धरती प्यासी आँगन प्यासा
रीत गई हर अभिलाषा
दर्द बढ़ा कर क्या सुख पाए
हाय रे बेदर्दी साजन!

बदरा बरसे कण-कण हरसे
हरी-हरी हरियाली सरसे
तू क्यों मेरी जलन बढ़ाए
हाय रे बेदर्दी साजन!

सुन ले मेरी कातर मनुहारें
कभी तो आ भूले-भटकारे
अब तो हाय अंग लगा ले
हाय रे बेदर्दी साजन!

प्रीत की रीत वही पुरानी
तू क्या जाने ओ अभिमानी
राधा को क्या कपट दिखाए
हाय रे बेदर्दी साजन!

प्रिया सैनी

Poem on Rain in Hindi

4. Rains Poems in Hindi – ये बारिश की बूँदें

ये बारिश की बूँदें
इतना शोर क्यों मचा रही हैं?
या किसी के दिल का
हाल सुना रहीं हैं ?

अहसास जो कह ना पाए कोई,
इतना ही पावन और शीतल है,
जो मन में तूफ़ान मचा रहा है,
इन्हीं बारिश की बूँदों की तरह,
वो भी बरसाना चाहता है
पर बरस ना पता है,
गर बरसेगा तो
ऐसे ही ज़ोर से बरसेगा,
शोर मचाएगा, और अंत में
खुशी भी पाएगा!!

आस्था

5. Rain Poem in Hindi – सावन आयो रे, आयो रे

सावन आयो रे, आयो रे,
सावन आयो रे।
उमड़-घुमड़ कर कारी बदरिया
जल बरसायो रे।।

मेंहदी वाला रंग रचाकर
सखियां झूला झूलें
पांव की पायल कहती है
कि उड़ते बादल छू लें
पीउ-पीउ कर के पपिहा ने
शोर मचायो रे,
सावन आयो रे।

सर-सर-सर-सर उड़े चुनरिया
हवा चले सन-सन-सन
रिमझिम-रिमझिम बरसे पानी
भीगे गोरिया का तन
सब सखियन ने मिलकर
राग मल्हार सुनायो रे,
सावन आयो रे।।

बहका-बहका मौसम है
ऋत पिया मिलन की आई
सब सखियाँ मिल तीज मनावें
हरियाली है छाई
जिसके पिया परदेस बसे
चिठिया भिजवायो रे,
सावन आयो रे।

सुनील जोगी

6. Poem on Rainy Season in Hindi – भीगा दिन

भीगा दिन
पश्चिमी तटों में उतर चुका है,
बादल-ढकी रात आती है
धूल-भरी दीपक की लौ पर
मंद पग धर।

गीली राहें धीरे-धीरे सूनी होतीं
जिन पर बोझल पहियों के लंबे निशान है
माथे पर की सोच-भरी रेखाओं जैसे।

पानी-रँगी दिवालों पर
सूने राही की छाया पड़ती
पैरों के धीमे स्वर मर जाते हैं
अनजानी उदास दूरी में।

सील-भरी फुहार-डूबी चलती पुरवाई
बिछुड़न की रातों को ठंडी-ठंडी करती
खोये-खोये लुटे हुए खाली कमरे में
गूँज रहीं पिछले रंगीन मिलन की यादें
नींद-भरे आलिंगन में चूड़ी की खिसलन
मीठे अधरों की वे धीमी-धीमी बातें।

ओले-सी ठंडी बरसात अकेली जाती
दूर-दूर तक
भीगी रात घनी होती हैं
पथ की म्लान लालटेनों पर
पानी की बूँदें
लंबी लकीर बन चू चलती हैं
जिन के बोझल उजियाले के आस-पास
सिमट-सिमट कर
सूनापन है गहरा पड़ता,

-दूर देश का आँसू-धुला उदास वह मुखड़ा-
याद-भरा मन खो जाता है
चलने की दूरी तक आती हुई
थकी आहट में मिल कर।

गिरिजा कुमार माथुर

7. Poetry on Rain in Hindi – बारिश जब आती है

बारिश जब आती है
ढेरो खुशिया लाती है
प्यासी धरती की प्यास बुझाती है
धुलो का उड़ना बंद कर जाती है
मिटटी की भीनी सुगंध फैलाती है
बारिश जब आती है
ढेरो खुशिया लाती है

भीषण गर्मी से बचाती है
शीतलता हमें दे जाती है
मुसलाधार प्रहारों से पतझड़ को भागाती है
बहारो का मौसम लाती है
बारिश जब आती है
ढेरो खुशिया लाती है
चारो ओर हरियाली फैलाती है
नदियों का पानी बढाती है
तालाबो को भर जाती है
बारिश जब आती है
ढेरो खुशिया लाती है
बारिश के चलते ही खेती हो पाती है
किसानो के होठो पे मुस्कान ये लाती है
रिमझिम फुहारों से सुखा मिटाती है
बारिश जब आती है
ढेरो खुशिया लाती है
मोरो को नचाती है
पहाड़ो में फूल खिलाती है
बीजो से नए पौधे उगाती है
बारिश जब आती है
ढेरो खुशिया लाती है

Poem on Rain in Hindi

8. बारिश पर कविता – आसमान पर छाए बादल

आसमान पर छाए बादल

बारिश लेकर आए बादल

गड़-गड़, गड़-गड़ की धुन में

ढोल-नगाड़े बजाए बादल

बिजली चमके चम-चम, चम-चम

छम-छम नाच दिखाए बादल

चले हवाएँ सन-सन, सन-सन

मधुर गीत सुनाए बादल

बूँदें टपके टप-टप, टप-टप

झमाझम जल बरसाए बाद ल

झरने बोले कल-कल, कल-कल

इनमें बहते जाए बादल

चेहरे लगे हँसने-मुसकाने

इतनी खुशियाँ लाए बादल

9. Rains Poems in Hindi – बारिश का मौसम है आया

बारिश का मौसम है आया ।

हम बच्चों के मन को भाया ।।

‘छु’ हो गई गरमी सारी ।

मारें हम मिलकर किलकारी ।।

काग़ज़ की हम नाव चलाएँ ।

छप-छप नाचें और नचाएँ ।।

मज़ा आ गया तगड़ा भारी ।

आँखों में आ गई खुमारी ।।

गरम पकौड़ी मिलकर खाएँ ।

चना चबीना खूब चबाएँ ।।

गरम चाय की चुस्की प्यारी ।

मिट गई मन की ख़ुश्की सारी ।।

बारिश का हम लुत्फ़ उठाएँ ।

सब मिलकर बच्चे बन जाएँ ।।

10. Rain Poem in Hindi – बूँदें भागी, बूँदें दौड़ी

बूँदें भागी, बूँदें दौड़ी

निकली है बनठन के देखो

छाते और मुनिया की जोड़ी

बादल भरकर आए कहाँ से

यहाँ पे आके चुप्पी तोड़ी

मौसम है यह ठंडा-ठंडा

आओ खाएँ गरम कचौड़ी

मुझे ऐसा लगा अभी कि

बूँदें भागी, बूँदें दौड़ी …

11. Poem on Rainy Season in Hindi – काली घटा छाई है

काली घटा छाई है
लेकर साथ अपने यह
ढेर सारी खुशियां लायी है
ठंडी ठंडी सी हव यह
बहती कहती चली आ रही है
काली घटा छाई है
कोई आज बरसों बाद खुश हुआ
तो कोई आज खुसी से पकवान बना रहा
बच्चों की टोली यह
कभी छत तो कभी गलियों में
किलकारियां सीटी लगा रहे
काली घटा छाई है
जो गिरी धरती पर पहली बूँद
देख ईसको किसान मुस्कराया
संग जग भी झूम रहा
जब चली हवाएँ और तेज
आंधी का यह रूप ले रही
लगता ऐसा कोई क्रांति अब सुरु हो रही
छुपा जो झूट अमीरों का
कहीं गली में गढ़ा तो कहीं
बड़ी बड़ी ईमारत यूँ ड़ह रही
अंकुर जो भूमि में सोये हुए थे
महसूस इस वातावरण को
वो भी अब फूटने लगे
देख बगीचे का माली यह
खुसी से झूम रहा
और कहता काली घटा छाई है
साथ अपने यह ढेर सारी खुशियां लायी है

12. Poem on Rain in Hindi – वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है

वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।
उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।

चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।
गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।

ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।
बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।

मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।
कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।

मेंढक भी प्यारे संगीत गा रहे है ।
बाज भी बादलों के ऊपर उड़ान भरकर इतरा रहा है ।।

कल कल करती नदियां, इठलाती हुई बह रही है ।
मानो कोई नया संगीत सुना रही है ।।

बागों में फूल खिल रहे, सुगंध मन को भा रही है ।
सावन में झूले पर झूल रही है बिटिया ।।

वर्षा बहार भू पर जीवन की ज्योति जला रही है ।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।।

नरेंद्र वर्मा

13. Rains Poems in Hindi – वर्षा आई बहार आयी

वर्षा आई बहार आयी,
प्रकृति ने अपनी कृपा बरसाई ।
पेड़ पौधों में हरे भरे रंगों में रंग कर अपनी खुशी दर्शाई ।।

वर्षा आई बहार आयी,
किसानों के लिए लहराती फसल का संकेत लाई ।
प्रेमियों के मन में प्रेम की ज्योत जलाई ।।

वर्षा आई बहार आयी,
मन आनंद से झूम उठा ।
वह प्रफुल्लित हो कर खुशियों से फूल उठा ।।

वर्षा आई बहार आयी,
जीवन का सारा दुख दर्द ना जाने कहां गुम हो गया ।
वर्षा आई बहार आयी ।।

विष्णु

14. Poetry on Rain in Hindi – रिमझिम रिमझिम बारिश आई

रिमझिम रिमझिम बारिश आई,
काली घटा फिर है छाई ।।

सड़कों पर बह उठा पानी,
कागज़ की है नाव चलानी ।।

नुन्नू-मुन्नू-चुन्नू आए,
रंग-बिरंगे छाते लाए ।।

कहीं छप-छप, कहीं टप-टप,
लगती कितनी अच्छी गपशप ।।

रिमझिम बारिश की फौहारें,
मन को भातीं खूब बौछारें ।।

बारिश की यह मस्ती है,
हो चाहे कल छुट्टी है ।।

अमृता गोस्वामी

15. बारिश पर कविता – नानी आज मुझे बतलाना 

नानी आज मुझे बतलाना ।
कहां से आती वर्षा पानी ।।

सोच न पाओ समझ न पाओ ।
है वर्षा की यहां मनमानी ।।

ऊपर नीला आसमान है ।
सब है सूरज चांद सितारे ।।

पानी फिर यहां कहां से आया ।
समझ ना आई बात हमारे ।।

सूरज की किरणें धरती पर अपने संग गर्मी लाती ।
गर्मी जल को भाप बनाकर ।।

आसमान तक जा पहुंचाती ।
ऊपर आसमान में जाकर ।।

भाप से काले बादल बनते ।
उमड़-घुमड़ यह बादल ही ।।

खूब गरजते खूब बरसते ।
ऐसे ही पानी से बादल ।।

बादल से फिर बनता पानी ।
अब तो जान गई बिटिया तुम ।।

कहां से आती वर्षा पानी ।।

आश्रिता दासारी

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